अस्थमा सांस से जुड़ी एक गंभीर बीमारी है। जिससे दुनियाभर में लाखों लोग पीड़ित हैं। ऐसे में इस बीमारी के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाने के मकसद से हर साल मई महीने के पहले मंगलवार को विश्व अस्थमा दिवस (World Asthma Day 2024) मनाया जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा हर साल एक खास थीम पर अस्थमा दिवस मनाया जाता है। इस बार विश्व अस्थमा दिवस की थीम है- जागरूकता और सशक्तीकरण। अगर किसी को अस्थमा (Asthma) है तो उसे नियंत्रित करने के उपायों, दवाओं और इनहेलर को लेकर जागरूक रहने की जरूरत होती है। वैश्विक स्तर पर कई सारे अभियान चलाने के बावजूद, आज भी इस बीमारी के प्रति कई ऐसी भ्रामक बातें, जिस पर लोग आंखें मूंदकर भरोसा कर लेते हैं। जिसकी वजह लोग अस्थमा का इलाज नहीं करवाते हैं और बुरी तरह से इस बीमारी की चपेट में आ जाते हैं। विश्व अस्थमा दिवस के मौके पर इंडियन चेस्ट सोसइटी के अध्यक्ष डॉ संदीप साल्वी बता रहे हैं अस्थमा से जुड़े मिथक और उनकी सच्चाई (Myths and Facts about Asthma) के बारे में।
मिथक: अस्थमा के मरीज नॉर्मल लाइफ नहीं जा सकते है।
फैक्ट : डॉक्टर के अनुसार अस्थमा के मरीज एक नॉर्मल लाइफ नहीं जी सकते हैं, यह बात बिल्कुल भ्रम है। अस्थमा होने पर एक नॉर्मल और हेल्दी लाइफ जीना बहुत ही आसान सी बात है। डॉक्टर का कहना है कि जिन लोगों को बचपन से ही अस्थमा है, वह डॉक्टर की सलाह पर दवाएं और इलाज लेते रहें, तो उन्हें तकलीफ कम होती हैं और वह बहुत ही आसानी से एक आम इंसान की तरह जिंदगी जी सकते हैं। जिन लोगों को ज्यादा तकलीफ होती है उन्हें इनहेलर लेने की सलाह दी जाती है, ताकि सांस फूलने की समस्या को कम किया जा सके।
मिथक: अस्थमा के मरीज एक्सरसाइज नहीं कर सकते हैं।
फैक्ट : डॉक्टर का कहना है कि अस्थमा के मरीज एक नॉर्मल इंसान की तरह एक्सरसाइज और वर्कआउट कर सकते हैं। हालांकि उन्हें हाई इंटेंसिटी वाले वर्कआउट से बचना चाहिए। अस्थमा के मरीजों को रनिंग, हैवी वेट लिफ्टिंग, फुटबॉल और बास्केटबॉल जैसे गेम्स जिनको खेलते वक्त सांस ज्यादा फूल सकती है, खेलने से बचना चाहिए। अस्थमा के मरीजों को नॉर्मल वॉक, योग, स्वीमिंग और साइकलिंग जैसी एक्सरसाइज के ऑप्शन चुनने चाहिए। साथ ही एक्सरसाइज करते वक्त मानसिक तौर पर चौकन्ना रहना चाहिए, ताकि अटैक न आए। एक्सरसाइज करते वक्त खांसी, सांस में दिक्कत या फिर सीने में जकड़न महसूस होने ब्रेक लेकर आराम करें।
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मिथक: अस्थमा के मरीजों के लिए इन्हेलर से ज्यादा बेहतर है दवाएं।
फैक्ट : डॉक्टर का कहना है कि अस्थमा के मरीजों को राहत पहुंचाने के लिए कई सारे दवाएं और सिरप मौजूद हैं, लेकिन सांस की थेरेपी के लिए इन्हेलर ही बेस्ट है। दरअसल जब हम किसी टैबलेट या सिरप को लेते हैं, तो यह अपना असर दिखाने में 25 से 30 मिनट का वक्त लेती है। जबकि इन्हेलर में मौजूद दवा तुरंत लंग्स में जाता है और सांस पर तुरंत अपना असर दिखाता है।
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मिथक: अस्थमा जानलेवा बीमारी है।
फैक्ट : अस्थमा एक जानलेवा बीमारी है, यह बात आंशिक रूप से सच है। अगर अस्थमा से पीड़ित व्यक्ति को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिल पाता है, तो उसकी स्थिति वक्त के साथ खराब हो जाती है। इसके अलावा अस्थमा के मरीज को जरूरत से ज्यादा दवाओं का सेवन करते हैं, उनके फेफड़े भी नाजुक हो जाते हैं। ऐसे में जरूरी है कि अस्थमा के मरीज दवाओं को सही डोज लें। साथ ही ऐसे वातावरण में रहें जहां पर ऑक्सीजन पर्याप्त मात्रा में मिल सके।
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