गर्भावस्था एक ऐसी अवस्था है जिसमें महिला को खानपान का विशेष ध्यान रखना पड़ता है। उसे केवल खुद के लिए नहीं खाना बल्कि गर्भ में पल रहे शिशु के लिए सेहतमंद खाना खाना होता है। अगर मां सही से पौष्टिक भोजन नहीं करेगी तो बच्चा कमजोर पैदा होगा। इसी कड़ी में आज हम बात कर रहे हैं अल्फाल्फा की। यह एक औषधीय पौधा है। जिसे हर्ब के रूप में प्रयोग में लाया जाता है। इसके सेवन से गर्भवती माताओं में स्तनपान के लिए दूध का निर्माण होता है और साथ ही डिलिवरी के बाद होने वाले रक्त के बहाव को भी अल्फाल्फा नियंत्रित करता है।
गर्भावस्था में इसके सेवन को लेकर नमामी लाइफ की न्यूट्रीशनिस्ट शैली तोमर का कहना है कि गर्भावस्था में अल्फाल्फा का सेवन बहुत ज्यादा मात्रा में नहीं करना चाहिए। इसे सीमित मात्रा में और डॉक्टर की सलाह से ही प्रयोग में लाएं। आज के इस लेख में न्यूट्रीशनिस्ट शैली तोमर से जानेंगे कि गर्भावस्था में कितनी मात्रा में अल्फाल्फा का सेवन करना चाहिए। साथ ही जानेंगे कि इसके सेवन से गर्भवती महिलाओ को क्या फायदे होते हैं और किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
अल्फाल्फा क्या है?
अल्फाल्फा एक आयुर्वेदिक हर्ब है। इसका वैज्ञानिक नाम मेडिकैगो सतीवा है। यह ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका, भारत, अमेरिका, ईरान, टर्की आदि जगहों पर पाई जाती है। यह बाहरमासी फलीदार पौधा है। अल्फाअल्फा में प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है और खाना पचाने वाले रेशे भी अधिक होते हैं। गर्भवती महिलाओं के लिए अल्फाअल्फा के बीज बहुत लाभदायक होते हैं। यह बीज फाइबर से भरपूर होते हैं और टाइप 2 डायबिटीज में लाभकारी होते हैं।
अल्फाल्फा के पोषक तत्त्व
- प्रोटीन
- ऊर्जा
- पानी
- कैल्शियम
- आयरन
- फाइबर
- विटामिन सी
- फोलेट
- मैंग्नेशियम
प्रेग्नेंसी में अल्फाल्फा के फायदे
टाइप 2 डायबिटीज में फायदेमंद
वे महिलाएं जिन्हें डायबिटीज उन्हें गर्भावस्था में सामान्य महिला से अधिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। मधुमेह होने के कारण माताएं अपने शिशु की सेहत को लेकर चिंतिंत भी रहती हैं। लेकिन प्रेग्नेंसी में अल्फाल्फा के सेवन से टाइप 2 डायबिटीज में नियंत्रण होता है। डायबिटीज नियंत्रित रहती है।
कोलेस्ट्रोल रखे नियंत्रित
कोलेस्ट्रोल लेवल बढ़ने से हृदय रोग, स्ट्रोक, बीपी की समस्या बढ़ जाती है। ऐसे में जरूरी है कि गर्भावस्था में माताएं अपने कोलेस्ट्रोल लेवल नियंत्रित रखें। न्यूट्रीशनिस्ट शैली तोमर का कहना है कि अल्फाल्फा में प्लांट बेस्ड कंपाउंड होता है जिसे सैपोनिन कहा जाता है। यह कोलेस्ट्रोल लेवल को कम करने में मदद करता है।
रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाए
गर्भावस्था में इम्युनिटी का स्ट्रांग होना बहुत जरूरी है। स्ट्रांग इम्युनिटी से गर्भवती महिला छोटी-मोटी परेशानियों से निपट लेगी। लेकिन अगर इम्युनिटी स्ट्रांग नहीं होगी तो हल्का सर्दी-खांसी जुकाम भी उसके लिए बड़ी बीमार बन जाएगा।
न्यूट्रीशनिस्ट शैली तोमर का कहना है कि अल्फाल्फा में विटामिन के पाया जाता है। विटामिन के रक्त को प्राकृतिक रूप से जमा होने मदद करता है और इम्युनिटी को बूस्ट करता है।
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पोषक तत्त्वों की पूर्ति
गर्भवती महिला को जितने पोषक तत्त्व चाहिए होते हैं, उनमें से कई सारे उसे अल्फाल्फा से मिल जाते हैं। अल्फा-अल्फा में विटामिन सी, फोलेट, विटामिन सी और मैंगनेशियम होता है। ये सभी गुण गर्भवती महिला को जरूरी पोषक तत्त्व देते हैं।
डिलेवरी के समय या बाद में महिलाओं में रक्तस्राव बढ़ जाता है। इस रक्त को रोकने में अल्फाल्फा काम आता है। दरअसल अल्फाल्फा के बीजों का सेवन करने से रक्त का जमाव होता है जिस वजह से रक्त के बहाव रोकने में मदद करता है।
मॉर्निंग सिकनेस से रखे दूर
गर्भवती महिलाओं को अक्सर पहली तिमाही में मॉर्निंग सिकनेस के लक्षण दिखाई देते हैं। यानि गर्भावस्था में उन्हें उल्टी, मितली की परेशानी होती है। इस मॉर्निंग सिकनेस को दूर करने में भी अल्फाल्फा के बीज फायदेमंद हैं।
दूध के निर्माण में सहायक
अल्फाल्फा बीच माताओं में दूध के निर्माण में सहायक हैं। ये मिल्क प्रोडक्शन बढ़ाते हैं। लेकिन न्यूट्रीशनिस्ट का कहना है कि रोजाना अल्फा-अल्फा का सेवन नहीं करना चाहिए।
त्वचा के लिए फायदेमंद
गर्भावस्था में अक्सर महिलाओं की त्वचा काली पड़ने लग जाती है। साथ त्वचा की चमक और रंगत भी चली जाती है। इस चमक को वापस लाने में अल्फाल्फा लाभदायक है। दरअसल अल्फाल्फा के बीजों में विटामिन सी, ई, के होता है जो स्वस्थ त्वचा के लिए जरूरी हैं। इसमें एंटी-इंफ्लामेटरी और एंटी-ऑक्सीडेंट भी पाए जाते हैं। यह सभी गुण त्वचा पर समय से पहले झुर्रियों को आने से भी रोकते हैं।
अल्फाल्फा त्वचा को साफ रखने और त्वचा की नमी बनाए रखने का भी काम करते हैं। यह त्वचा के लिए लाभकारी होते हैं।
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डिप्रेशन को रखे दूर
अल्फाल्फा में लिग्निन नामक कंपाउंड पाया जाता है जो डिप्रेशन से लड़ने में मदद करता है। यह शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालता है। जिससे शरीर की सफाई भी हो जाती है और अवसाद से लड़ने के लिए ताकत भी मिलती है। अल्फाल्फा का सेवन करने से आंतों में जमा विषैले पदार्थ बाहर निकलते हैं। शरीर साफ होता है।
प्रेग्नेंसी में कितना लेना चाहिए अल्फाल्फा?
न्यूट्रीशनिस्ट शैली तोमर का कहना है कि एक गर्भवती महिला हफ्ते में 2 बार इन बीजों का प्रयोग कर सकती है। लेकिन इन बीजों को उबालकर इनकी चाय बनाकर पी जा सकती है, इससे ज्यादा मात्रा में इनका सेवन न करें। अल्फाल्फा बीज के नुकसान भी होते हैं, इसलिए डॉक्टर की सलाह से लेना चाहिए।
सावधानियां
- न्यूट्रीशनिस्ट शैली तोमर का कहना है कि अगर आप प्रेग्नेंट तो कच्चा अल्फा-अल्फा का सेवन न करें। या उन्हें स्प्राउट्स के रूप में भी कच्चा न लें। अल्फाल्फा की चाय पीना सही है क्योंकि तब तक बीज उबल जाते हैं। कच्चे नहीं रहते।
- अल्फाल्फा के बीजों का ओवरडोज गर्भावस्था में नुकसान दायक साबित हो सकता है। इन बीजों में फाइटोएस्ट्रोजन (महिलाओं में पाए जाने वाले एस्ट्रोजन हार्मोन के समान) पाया जाता है।
- अल्फाल्फा के अधिक सेवन से डायरिया, गैस, ब्लोटिंग आदि की परेशानी हो सकती है।
- इसके बीजों का अधिक सेवन गर्भाशय का संकुचन भी कर सकता है।
- वे महिलाएं जो किसी तरह के ब्लड थिनर ले रही हैं, उन्हें पूरी तरह से अल्फा-अल्फा के बीजों का त्याग कर देना चाहिए।
गर्भावस्था में अल्फाल्फा का सेवन डॉक्टर से पूछकर ही करना चाहिए। इसके अधिक सेवन से नुकसान भी हो सकता है। लेकिन सही मात्रा में प्रयोग करने से यह गर्भवती महिलाओं के लिए बहुत लाभकारी होता है।
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