
बिहार का सीतामढ़ी जिला (HIV in Bihar) इस समय खबरों में बना हुआ है। दरअसल, इस एक जिले में लगभग 8 हजार लोग जिनमें बच्चे भी शामिल हैं एचआईवी संक्रमित पाए गए हैं। हर महीने यहां के एआरटी सेंटर में 5000 से ज्यादा लोग इस बीमारी की दवा लेने आते हैं जबकि बहुत से मरीज बाहर इसका इलाज करवा रहे हैं। मीडिया में छपी खबरों की मानें तो मात्र इसे जिले में एचआईवी एड्स के लगभग 7400 से 8 हजार मरीज मिले हैं। इनमें 400 से ज्यादा बच्चें हैं। इतना ही नहीं बिहार में साल 2013 से लेकर दिसंबर 2025 तक के आकड़ों की बात करें तो राज्य में कुल 97 हजार से ज्यादा लोग एड्स से पीड़ित हैं। बता दें कि एचआईवी (HIV-ह्यूमन इम्यूनोडेफिशिएंसी वायरस) एक ऐसी लाइलाज बीमारी है जो इम्यून सिस्टम को धीमे-धीमे कमजोर करके खत्म कर जेती है और फिर मरीज के लिए मामूली सी खांसी-सर्दी से भी उभर पाना असंभव सा हो जाता है।
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बच्चों में कैसे फैली ये बीमारी?
दरअसल, मीडिया में आई खबरों की मानें तो ज्यादातर बच्चे जो HIV संक्रमित पाए गए हैं वे 15 साल से कम उम्र के हैं और माना जा रहा है कि वे अपने माता-पिता द्वारा संक्रमित हुए हैं या संक्रमित खून या एक ही सुई से इंजेक्शन लगने की वजह से फैला है। इस घटना ने पूरे स्वास्थ्य विभाग की नींद उड़ा दी है।

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इतनी संख्या में लोग कैसे हुए HIV Positive
अब बात बड़ों की करें तो कई मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि ज्यादातर बीमारी वाले लोग प्रवासी हैं जो देश के दूसरे हिस्सों में काम करने गए थे और फिर जब घर लौटे तो उन्हें पता चला कि वे इस बीमारी के शिकार हैं। महिलाओं ने बताया कि उन्हें ये बीमारी अपने साथी से हुई और कुछ के बच्चों तक भी ये बीमारी पहुंच गई है।
समझें कैसे फैलता है HIV?
HIV.Gov के अनुसार एचआईवी संक्रमण केवल एचआईवी संक्रमित व्यक्ति के कुछ विशिष्ट शारीरिक तरल पदार्थों के सीधे संपर्क में आने से हो सकता है। जैसे कि
-खून
-स्पर्म और वीर्य-पूर्व द्रव (प्री-कम) से
-मलाशय के फ्लूड से
-वजाइनल फ्लूड से
-स्तन का दूध से
-एचआईवी से संक्रमित व्यक्ति के साथ असुरक्षित यौग संबंध बनाने से
-संक्रमित ब्लड इंजेक्शन से
-इंजेक्शन द्वारा नशीली दवाओं के सेवन के उपकरण, जैसे सुई, सिरिंज या अन्य नशीली दवाओं को साझा करने से
-एचआईवी संक्रमित महिला गर्भावस्था, प्रसव या स्तनपान के दौरान अपने बच्चे को एचआईवी संक्रमित कर सकती है।
-सुई चुभने या किसी नुकीली चीज से चोट लगने के कारण एचआईवी के संपर्क में आना।
-एचआईवी वाले ब्लड के ट्रांसफ़्यूजन से या फिर ट्रांसप्लांट के दौरान।
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गौरतलब है कि एचआईवी संक्रमित व्यक्ति जो एचआईवी की दवा नियमित रूप से लेते हैं और इलाज में हैं वे लंबा और स्वस्थ जीवन जी सकते हैं बशर्ते सही समय पर इस बीमारी का पता लग जाए इसलिए एड्स से बचाव के लिए टेस्टिंग बेहद जरूरी है। इसके अलावा समाज में इस बात की जागरूकता फैलाएं कि साथ रहने, खाने-पीने, हाथ मिलाने, गले मिलने और बातचीत करने से ये बीमारी नहीं फैलती।
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Dec 11, 2025 15:46 IST
Published By : Pallavi Kumari