
प्रकृति के पास हर मर्ज का इलाज है। इसी प्रकृति का हिस्सा है धातकी का पौधा। यह एक औषधीय पौधा है। यह पौधा भारत के हर राज्य में मिल जाता है। बस बंगाल और दक्षिण भारत के ज्यादा पानी वाले इलाकों में नहीं मिलता है। मार्च का महीना चल रहा है। इस महीने में पेड़ों पर नए पत्ते, फूल खिल रहे हैं। धातकी का पौधा भी इन दिनों हरे पत्तों से भर रहा है। तो वहीं अप्रैल तक यह फूलों से भर जाएगा। जितना सुंदर इसका फूल होता है उतने ही इसके फायदे होते हैं। धातकी के फल, फूल, जड़, तना आदि का औषधीय लाभ है। आयुर्वेद में इस पौधे को विशेष स्थान प्राप्त है। यह पौधा टूटी हड्डियों को जोड़ने, गर्भस्थापन (conceive) करने और दांतों की समस्याओं को खत्म करने में बहुत मदद करता है। इस पौधे के अनेक लाभ हैं जिनके बारे में हमें दिल्ली के भजनपुरा में नव्याखुशी क्लीनिक की आयुर्वेदाचार्य मीना कश्यप ने जानकारी दी।
धातकी की पहचान
धातकी के पौधे की ऊंचाई 3.6 मीटर की होती है। इसकी शाखाओं और पत्तियों पर विशेष प्रकार के काले-काल बिंदुओं का जमघट होता है। जब इस पौधे पर फूल लद जाते हैं तब इसके पत्ते झड़ जाते हैं। इसके फूल चमकीले लाल रंग के होते हैं। फल पतले, अंडकार होते हैं। फल भूरे रंग के छोटे, चिकने बीजों से भरे होते हैं। फूलों में टैनिन 24.1 फीसद और शुगर 11.8 फीसद होता है। पत्तों में 12.20 फीसद टैनिन और मेंहंदी की तरह का रंजक पदार्थ लॉसोन होता है। छाल (Bark) में भी 20-27.1 फीसद टैनिन होता है। तने (stem) से एक प्रकार का गोंद निकलता है। धातकी के फूल चरपरे, ठंडे और कसैले होते हैं। यह फूल दस्त, पेट, भूख और रुधिर दोष (Blood disease) से जुड़ी बीमारियों में काम आते हैं। साथ ही इसके फूल गर्भस्थापक में भी सहायक है।
धातकी के विभिन्न नाम
धातकी को अलग-अलग जगह अलग नामों से जाना जाता है। इसको हिंदी में धातकी, धायफूल, धावा, धाय, अंग्रेजी में रेड बेल बुश (red bell bush), संस्कृत में धातकी, धातृपुष्पी औ बहुपुष्पी कहा जाता है। तो वहीं, तमिल में धातरी जर्गी, नेपाल में दाहिरी, पंजाबी में धा कहा जाता है। हर राज्य में इसे अलग नामों से जाना जाता है।
धातकी के औषधीय प्रयोग (Usage of dhataki)
नकसीर (Hemorrhage)
गर्मियों में अक्सर लोगों को नकसीर की समस्या हो जाती है। जिसमें उन्हें नाक से खून बहने लगता है। इस परेशानी में निजात दिलाने में धातकी फूल बहुत फायदेमंद हैं। आयुर्वेदाचार्य मीना कश्यप ने बताया कि जिन लोगों को नकसीर दिक्कत होती है, उन्हें धातकी के फूलों का रस निचोड़कर नाक में डालने से नकसी की समस्या खत्म हो जाती है।
दांतों की समस्या को करे खत्म
दांत कमजोर होना, मुंह से बदबू आना, पायरिया होना, मसूड़ों का कमजोर होना आदि समस्याओं में धातकी बहुत लाभदायक है। अगर आपको भी दातों में दर्द या कोई अन्य समस्या है तो धातकी के पत्ते और फूलों को समान मात्रा में लेकर काढ़ा बना लें। इस काढ़े से सुबह शाम गरारे करें। इस गरारे करने दांतों के सभी रोग (Usage of red bell bush ) खत्म होते हैं।
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प्लीहा रोग (spleen disease)
प्लीहा रोग किसी इंफेक्शन, लिवर की बीमारी या ब्लड कैंसर जैसी बीमारियों के कारण होता है। इन रोगों में प्लीहा बढ़ने के लक्षण दिखाई देते हैं। प्लीहा शरीर के अंदर बाईं ओर पसलियों के नीचे पाया जाता है। प्लीहा रोग होने पर भी धातकी फायदा करता है। इसके लिए 2-3 ग्राम धातकी चुर्ण को 50 ग्राम गुड़ के साथ खाने से प्लीहा रोग ठीक हो जाते है। धातकी एक औषधीय पौधा है, जिसके कई फायदे हैं।
पेट के कीड़े मारे
बच्चों के पेट में अक्सर कीड़े होते हैं। इन कीड़ों को मारने में भी धातकी फायदा करता है। जिन बच्चों के पेट में कीड़े हो गए हैं, वे 3 ग्राम की मात्रा में खाली पेट ताजे जल के साथ धातकी के चूर्ण का सेवन करें। धातकी से पेट के कीड़े मर जाते हैं।
दस्त (Diarrhea)
गर्मियां आ गई हैं। इस मौसम में पेट के रोग अक्सर होते हैं। उन्हीं रोगों में से एक है दस्त। दस्त में शरीर में पानी की कमी हो जाती है। गर्मी में अगर आपको भी दस्त हो जाएं तो धातकी का चूर्ण आपके लिए बहुत फायदेमंद है। इसके लिए 5 ग्राम धातकी चूर्ण एक कप मट्ठे के साथ दिन में तीन बार पिएं। इससे दस्त में आराम मिलेगा।
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सफेद पानी की समस्या (leucorrhea)
महिलाओं को अक्सर सफेद पानी की समस्या होती है। यह किसी भी वजह से हो सकती है। महिलाओं से लेकर लड़कियों में भी यह समस्या होती है। इस रोग से बचने के लिए खाना खाने से एक घंटा पहले 3 ग्राम धातकी चुर्ण शहद के साथ सुबह-शाम खाने से फायदा मिलता है।
दाद, खाज से दिलाए निजात
शरीर के किसी भी अंग में दाद व जलन को दूर करने के लिए धातकी के फूलों को गुलाब जल में पीसकर लेप करें। इससे समस्या से निजात मिलती है।
दांत निकलते समय दर्द
आंवला, पिप्पली और धातकी के फूल को बराबर मात्रा में महीन पीसकर शहद में मिलाकर हर दिन बच्चों को मसूड़ों पर मलने से बच्चों के दांत निकलते समय जो दर्द होता है उसे धातकी आराम से दूर करता है।
गर्भस्थापन (conceive)
ऐसी बहुत सी महिलाएं हैं जिन्हें अलग-अलग कारणों से बच्चा नहीं होता है। वे बच्चा कंसीव ही नहीं कर पाती हैं। डॉ. मीना का कहना है कि जिन महिलाओं की पूरी मेडिकल जांत हो गई है और फिर कंसीव नहीं कर पा रही हैं तो उनको धातकी का सेवन करना चाहिए। उन्होंने बताया कि ऐसी महिलाओं को नीलकमल चूर्ण तथा धातकी चूर्ण दोनों का समान मात्रा में ऋतुकाल प्रारंभ होने के दिन से (From the begning day of mensus) पांच दिन तक शहद के साथ सुबह-शाम नियमित सेवन करें। असफल होने पर अगले मासिक धर्म से फिर से इसका सेवन करें।
पित्तज बुखार
धातकी के फूलों का चूर्ण गुलकंद के साथ सुबह शाम दूध के साथ लेने से इस बुखार से आराम मिलता है।
घाव भरने में मददगार
अगर किसी को चोट लग गई है और घाव गहरा हो गया है और घाव जल्दी नहीं भर रहा हो तो उसको भरने के लिए इसके फूलों का चूर्ण जख्म पर लगाने से जख्म जल्दी भर जाता है।
नासूर
अलसी के तेल में धातकी के पुष्प चूर्ण को फेंटकर थोड़ी मात्रा में शहद मिलाकर प्रतिदिन नासूर में लगाते रहने से नासूर भर जाता है।
जले कटे में फायदा
जले हुए स्थान पर धातकी के फूलों को पीसकर अलसी के तेल में मिलाकर लगाने से लाभ होता है और बाद में निशान भी खत्म हो जाता है।
धातकी के औषधीय पौधा है। जिसका आयुर्वेदिक इलाज में बहुत तरीकों से इस्तेमाल होता है। इसके फूल गर्मियों के मौसम में बहुत लाभकारी होते हैं। तो वहीं, इसके फल, बीज, छाल आदि का भी औषधीय लाभ है।
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