योग से शरीर को स्वस्थ रखा जा सकता है। रोज योगासन करने के कई फायदे होते हैं। हर योग किसी न किसी अंग के लिए लाभकारी होता है और इसे स्वस्थ रखने में मदद करता है। अगर आप लोग अपनी दिनचर्या में योग शामिल करेंगे तो आपको कई लाभ मिलेंगे। जमशेदपुर के बिरसानगर के योग प्रशिक्षक और सेना सहित सीआरपीएफ, रैफ-जैफ के जवानों को योगाभ्यास कराने वाले मगन लाल शर्मा ने बताया कि योगासन सिर्फ आपके वेट को कम नहीं करता है, इससे आंत की जटिल से जटिल समस्या दूर होती है। आंत के रोग या इसमें कोई समस्या आने से शरीर की पाचन शक्ति कमजोर हो जाती है, जिससे हम किसी चीज को पचा नहीं पाते हैं। इसके साथ आंत दिमाग से जुड़ा होता है, इसलिए आंत का स्वस्थ रहना शरीर के लिए काफी लाभदायक होता है। आज हम जानेंगे आंत को स्वस्थ रखने और आंत की बीमारी को हमेशा शरीर से दूर रखने के लिए कौन-कौन सा योगाभ्यास करें।
आंत की समस्या के कारण कई तरह के रोगों का जन्म होता है
एक्सपर्ट बताते हैं कि अगर आंत में कोई समस्या आती है, तो इससे पेट से जुड़ी कई बीमारियों का जन्म होता है, जिसे आंत के रोग कहते हैं। इसमें पाचन शक्ति का खराब होना, अपच होना, पेट का फूलना, पेट में असहनीय दर्द होने जैसी कई बीमारी है। शरीर को स्वस्थ रखने के लिए हेल्दी भोजन बहुत ही ज्यादा जरूरी है। भोजन का पचना मुंह से शुरू होता है, उसके बाद आंतों में जाता है। इसके बाद भोजन शरीर में पचना शुरू होता है। पाचन प्रक्रिया के बाद बेकार पदार्थ मल के रूप में शरीर से निकल जाता है। अगर इस प्रक्रिया में किसी तरह की समस्या आती है, तो इससे पाचन शक्ति प्रभावित होती है और आंत संबंधी रोगों का जन्म होता है।
इन पांच आसन को करने से आंत की समस्या रहेंगे दूर
1. अर्धमत्स्येंद्रासन करने की विधि और फायदे जानें
एक्सपर्ट बताते हैं कि पाचन शक्ति को अच्छा करने के लिए अर्धमत्स्येन्द्रासन बेहतर मुद्रा होती है। इस आसन को करने से पेट के अंगों और आंतों की मालिश होती है। इस आसन से शरीर की पाचन शक्ति मजबूत होती है। यकृत और अग्न्याशय में सुधार करता है। आंतों की बीमारी इससे नहीं होती है।
कैसे करें अर्धमत्स्येंद्रासन
- सबसे पहले मैट पर दंडासन की स्थिति में बैठ जाएं
- रीढ़ की हड्डी को सीधा रखते हुए बाएं पैर को मोड़ लें और दाएं पैर के घुटने को ऊपर कर लें
- अब बाएं पैर को जमीन पर रख दें
- दाएं हाथ को बाएं पैर के ऊपर लाएं और बाएं पैर के अंगूठे को पकड़ लें
- इसके बाद आप सांस को धीरे-धीरे छोड़ें
- सांस को छोड़ते समय बॉडी को जितना हो सके उतना मोड़ लें
- इस योगाभ्यास को अब दूसरे ओर से करें, तब इस योगासन का एक चक्र होगा
2. आनंद बालासन है इंटेस्टाइन के लिए फायेमंद
योग प्रशिक्षक बताते हैं कि चाइल्ड पोज के कारण इसे आनंद बालासन योगाभ्यास कहते हैं। इससे तनाव कम होता है और दिमाग शांत रहता है। यह मुद्रा लसीका प्रणाली, कूल्हों, जांघों के लिए फायदेमंद होती है। इससे पाचन शक्ति भी अच्छी रहती है।
आनंद बालासन को करने की विधि जानें
- सबसे पहले फर्श पर दोनों को पैर को पीछे करके वज्रासन की मुद्रा में बैठें
- दोनों हाथ को जमीन को पर रखने और माथे को फर्श पर सटाने के लिए शरीर को आगे की तरफ झुकाएं
- इस योग अवस्था में कम से एक मिनट से पांच मिनट तक रहें
- फिर सामान्य अवस्था में वापस हो जाएं
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3. सेतुबंधासन से गैस होगा छूमंतर, जानें फायदे
योग प्रशिक्षक बताते हैं कि इस आसन को करने से आपके पेट का गैस बाहर निकलेगा। पाचन में सुधार आएगा। पेट की मांसपेशियां इससे मजबूत होती है। आंत के रोगों से यह बचाता है। पेट दर्द की समस्या को दूर करता है।
सेतुबंधासन करने की विधि जानें
- इस योगाभ्यास को करने के लिए सबसे पहले सीधे लेट जाएं
- इसके बाद टखनों को दोनों हाथों से पकड़ लें, धीरे-धीरे कमर को ऊपर की तरफ उठाएं
- सिर को जमीन पर ही जमाए रखें, ठुड्डी को गर्दन की तरफ हल्का झुका कर रखें
- इस अवस्था में कम से कम एक मिनट तक रहें
- इसके बाद सामान्य अवस्था में आ जाएं
4. परिघासन से आंत होती है मजबूत
योग प्रशिक्षक बताते हैं कि इस आसन को करने से आंत मजबूत रहती है। इसके साथ पाचन संबंधी समस्या नहीं आती है। गैस और कब्ज से छुटकारा मिलता है। इसलिए लोगों को योग प्रशिक्षक की सलाह लेकर इस आसन को दिनचर्या में शामिल करना चाहिए।
>कैसे करें परिघासन, जानें पूरी विधि
- इस आसन को करने से पहले घुटने के बल बैठ जाएं
- इस दौरान घुटने के बीच दूरी बनाएं रखें
- >पैर को दाएं तरफ फैलाएं और पैर के पंजे को उसी दिशा में रखकर अंगुलियों को जमीन पर रख लें
- इसके बाद सिर को बाएं ओर धीरे-धीरे झुकाएं
- इस योगावस्था में 10 मिनट तक रहें, इसके बाद इसे दूसरी ओर से दोहराएं
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5. पश्चिमोत्तानासन करने से गैस और कब्ज से मिलता है राहत
एक्सपर्ट बताते हैं कि इस आसन को करने के दौराम शरीर आगे की ओर झुकता है, इससे कब्ज और गैस से शरीर को राहत मिलती है। इससे शरीर की चर्बी कम होती है। इसके साथ वेट लॉस भी होता है। यह आसन दो शब्दों को मिलाकर बना है -‘पश्चिम’ का अर्थ होता है पीछे और ‘उत्तांन’ का अर्थ होता है तानना। इस आसन के दौरान रीढ़ की हड्डी के साथ शरीर का पिछला भाग तन जाता है जिसके कारण इसका नाम पश्चिमोत्तानासन दिया है।
पश्चिमोत्तानासन करने की विधि जानें
- इस आसन को करने के लिए जमीन पर दोनों पैरों को एकदम सीधे फैलाकर बैठ जाएं
- अब दोनों पैरों के बीच में दूरी न हो और पैर को सीधा रखें
- गर्दन, सिर और रीढ़ की हड्डी को भी सीधा रखें
- इसके बाद अपनी दोनों हथेलियों को दोनों घुटनों पर रखें
- अब सिर और धड़ को धीरे से आगे की ओर झुकाएं और अपने घुटनों को बिना मोड़े हाथ से पैरों की अंगलियों को छूने की कोशिश करें
- इसके बाद गहरी सांस लें और धीरे-धीरे छोड़ें
- सिर और माथे को दोनों घुटनों से छूने की कोशिश करें
- इसे लगभग एक मिनट तक करें
एक्सपर्ट सलाह लेकर ही करें योगाभ्यास
हर योगाभ्यास सभी मनुष्य के शरीर के लिए नहीं होता है। अगर आपको किसी तरह की बीमारी है तो ऊपर दिए योगासन को करने से पहले एक बार डॉक्टर या योगा प्रशिक्षक से परामर्श लें, इसके बाद ही इन आसन को करें। अगर आपको आंत संबंधी कोई समस्या है तो डॉक्टर से मिले। उनके कहने पर ही इन आसन को करें। बेहतर यही होगा कि एक बार आप एक्सपर्ट की सलाह लेकर योगासन को करेंगे तो निश्चित तौर पर काफी फायदा होगा। किसी भी योगाभ्यास को शुरू करने के शुरुआती दिनों में योग प्रशिक्षक के मार्गदर्शन में ही अभ्यास करना चाहिए। इससे योगासन को करने का सही तरीका आपको पता होता है, जिससे आप इसे गलत तरीके से परफॉर्म नहीं करेंगे और नई प्रकार की समस्या नहीं आएगी।
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