हर साल 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस 2025 (World Population Day 2025) मनाया जाता है ताकि दुनियाभर में बढ़ती जनसंख्या के असर को समझा जा सके और लोगों में जागरूकता फैलाई जा सके। 2025 में भारत पहले से ही दुनिया का सबसे ज्यादा जनसंख्या वाला देश बन चुका है। लखनऊ के संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में हॉस्पिटल मैनेजमेंट के एचओडी डॉ राजेश हर्षवर्धन ने बताया कि जनसंख्या में यह तेज ग्रोथ- स्वास्थ्य सेवाओं, रोजगार, शिक्षा, जलवायु और संसाधनों पर भारी दबाव डाल रही है। खासकर ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में हॉस्पिटल्स की भारी भीड़, डॉक्टरों की कमी, इलाज में देरी और महंगे स्वास्थ्य खर्च जैसी समस्याएं आम होती जा रही हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक जनसंख्या पर काबू नहीं होगा, तब तक बेहतर हेल्थकेयर सिस्टम सिर्फ एक सपना बना रहेगा। डॉक्टरों के अनुसार, एक सीमित और संतुलित जनसंख्या के लिए जरूरी है कि हर नागरिक परिवार नियोजन को अपनाए और सरकार जनसंख्या नीति को और सख्ती से लागू करे। आइए जानें कि आखिर क्यों बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के लिए जनसंख्या नियंत्रण जरूरी है और इसके लिए डॉक्टरों की क्या राय है।
जनसंख्या बढ़ने से स्वास्थ्य सेवाएं चरमराती हैं- Overpopulation Overloads Healthcare System
जनसंख्या बढ़ने से अस्पतालों में मरीजों की संख्या भी तेजी से बढ़ती है। इससे डॉक्टरों और नर्सों पर दबाव, इलाज में देरी और कई बार बुनियादी इलाज तक न मिल पाना जैसी समस्याएं देखने को मिलती हैं। डॉ राजेश हर्षवर्धन के मुताबिक, जब एक वार्ड में 30 की बजाय 70 मरीज भर जाते हैं, तो क्वालिटी ट्रीटमेंट नामुमकिन हो जाता है। सरकार को जब बड़ी जनसंख्या को स्वास्थ्य सेवाएं देनी होती हैं तो बजट कम पड़ जाता है। दवाएं, वैक्सीन, बेड, वेंटिलेटर जैसी जरूरी चीजें सीमित हो जाती हैं। इससे गरीब और ग्रामीण क्षेत्रों के लोग अस्वस्थ रहते हैं या इलाज नहीं करवा पाते।
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जनसंख्या बढ़ने से सेहत पर असर- How Population Affect Health
- अस्पतालों में भीड़ बढ़ने से इलाज में देरी होती है।
- वायरल और संक्रामक बीमारियों के फैलने का खतरा बढ़ता है।
- प्रदूषण बढ़ने से सांस और त्वचा की बीमारियां होती हैं।
- स्वच्छ पानी और पोषण की कमी से बच्चों की ग्रोथ रुक सकती है।
डॉक्टर-जनसंख्या अनुपात पर असर
डब्ल्यूएचओ के अनुसार प्रति 1,000 जनसंख्या पर 1 डॉक्टर होना चाहिए, लेकिन भारत जैसे देशों में यह अनुपात बेहद असंतुलित है। ज्यादा जनसंख्या वाले क्षेत्रों में प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाएं भी नहीं पहुंच पातीं, जिससे इलाज में गंभीर देरी होती है।
मातृ और शिशु मृत्यु दर बढ़ती है- Maternal & Infant Mortality
जनसंख्या नियंत्रण के अभाव में महिलाएं बार-बार गर्भधारण करती हैं, जिससे उनका शरीर कमजोर होता है। इससे गर्भावस्था में समस्याएं, प्रसव के समय जोखिम और नवजात मृत्यु दर में वृद्धि होती है। डॉक्टर बताते हैं कि फैमिली प्लानिंग से न सिर्फ महिला का स्वास्थ्य बेहतर होता है, बल्कि शिशु की देखभाल भी आसान होती है।
संक्रामक रोगों का तेजी से फैलाव- Dense Population Spreads Infectious Diseases Faster
भीड़भाड़ वाले इलाकों में साफ-सफाई और सोशल डिस्टेंसिंग जैसी बातें असंभव हो जाती हैं। इससे टीबी, डेंगू, मलेरिया, फंगल इंफेक्शन और अब कोविड जैसे इंफेक्शन तेजी से फैलते हैं। डॉक्टरों का कहना है कि कम जनसंख्या वाले क्षेत्रों में इंफेक्शन को कंट्रोल करना ज्यादा आसान होता है।
फैमिली प्लानिंग अपनाएं- Choose Family Planning to Control Population
डॉक्टरों का मानना है कि अगर हर दंपती 2 बच्चों की नीति अपनाएं तो आने वाले 10 वर्षों में फैमिली प्लानिंग के जरिए भारत की हेल्थ केयर सेवाएं बहुत बेहतर हो सकती हैं। डॉक्टर्स सुझाव देते हैं कि गर्भनिरोधक साधनों का प्रचार, यौन शिक्षा और महिलाओं को निर्णय लेने का अधिकार इस दिशा में बहुत मददगार हो सकते हैं।
जनसंख्या नियंत्रण कोई सरकारी या राजनीतिक मुद्दा नहीं है, यह सीधा हमारी सेहत और हमारे बच्चों के भविष्य से जुड़ा हुआ विषय है। जब जनसंख्या सीमित होगी तभी हर व्यक्ति को बेहतर इलाज और स्वास्थ्य सेवाएं मिल सकेंगी।
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FAQ
जनसंख्या की परिभाषा क्या है?
जनसंख्या का मतलब किसी विशेष क्षेत्र, देश या दुनिया में एक निश्चित समय पर रहने वाले सभी लोगों की कुल संख्या से होता है। यह सामाजिक, आर्थिक और स्वास्थ्य नीति के लिए जरूरी है।3 सबसे बड़ी स्वास्थ्य समस्याएं क्या हैं?
आज के समय की 3 प्रमुख स्वास्थ्य समस्याएं हैं- हृदय रोग, डायबिटीज और स्ट्रेस। ये जीवनशैली से जुड़ी हैं और असंतुलित आहार, शारीरिक निष्क्रियता और मानसिक दबाव इनके मुख्य कारण हैं।जनसंख्या दिवस क्यों मनाया जाता है?
विश्व जनसंख्या दिवस 11 जुलाई को मनाया जाता है ताकि लोगों को बढ़ती जनसंख्या के कारण संसाधनों पर बढ़ते दबाव, स्वास्थ्य सेवाओं की कमी और परिवार नियोजन के महत्व के बारे में जागरूक किया जा सके।