
फैमिली प्लानिंग से न सिर्फ स्वास्थ्य सुधरता है बल्कि ये सामाजिक और आर्थिक मजबूती का जरिया भी बन रहा है, आइए जानतें हैं कारण।
हाल ही में जारी हुए नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे 5 के आंकड़ों में फैमिली प्लानिंग की बात करें तो कई जरूरी बातें सामने निकल कर आईं। सर्वे से पता चला कि आज भी फैमिली प्लानिंग के उपाय पुरुषों की तुलना में महिलाएं ज्यादा अपना रही हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि फैमिली प्लानिंग के जरिए ह्यूमन रिर्सोस बढ़ाए जा सकते हैं। इससे हेल्थ ही नहीं बल्कि वेल्थ भी बढ़ती है। फैमिली प्लानिंग के फायदे और सर्वे से जुड़ी जरूरी बातें जानने के लिए हमने एमडी यूनीवर्सिटी कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंसेज, दिल्ली के सामुदायिक चिकित्सा विभाग में शहरी स्वास्थ्य केंद्र में एसोसिएट प्रोफेसर सह चिकित्सा अधिकारी और एमआईवाईसीएन-आईएपीएसएम के मानद सचिव डॉ अमीर मारूफ खान ने इस विषय पर जानकारी ली।
क्या कहते हैं हेल्थ सर्वे के आंकड़े? (National family health survey 5)
साल 2019 में भारत में 136,881,000 महिलाओं ने फैमिली प्लानिंग के नए ऑप्शन अपनाए। इसके चलते 53,354,000 अर्बाशन, 1,787,000 अनसेफ अर्बाशन और 22,000 मेटरनल डेथ रोकने में कामयाबी मिली। सर्वे से हमें ये समझ आया कि फैमिली प्लानिंग को महिलाओं के हाथों में देने के लिए हमें उन्हें फैसला लेने की पूरी आज़ादी देनी होगी। परिवार नियोजन के संसाधन, अवसर और सेवाओं का बराबर लाभ महिलाओं के लिए भी सुनिश्चित करना होगा ताकि वो पुरुषों के बराबर आ सकें। अगर महिलाओं को फैमिली प्लानिंग की जानकारी दी जाए तो तो कई महिलाएं मौत से बच सकती हैं। गांव या पिछड़े क्षेत्र में आज भी आर्थिक रूप से कमजोर महिलाएं लाचार होकर गर्भनिरोध के लिए खतरनाक उपाय अपनाती हैं जिससे उनकी जान पर बन आती है।
गर्भनिरोधक के इस्तेमाल से मिलेगी आर्थिक मजबूती (Use of contraceptions aids in financial stability)
कॉन्ट्रासेप्शन के इस्तेमाल और नसबंदी के प्रचलन से जेंडर डिफरेंस की समस्या दूर हो सकती है। इससे महिलाओं को ये आज़ादी मिलती है कि वो अपनी पसंद का उपाय अपना सकें। इस निर्णय से वो परिवार के लिए रोज़गार के बेहतर अवसर खोज पाएंगी। दो बच्चों के बीच का गैप और जन्म का स्थान चुनने की आज़ादी भी महिलाओं की होगी। इससे मॉर्टेलिटी रेट या रिप्रोडक्शन रेट भी कम होगा। अनसेफ अबॉर्शन और एचआईवी के मामले भी कम होंगे। कुल मिलाकर इससे महिलाओं को ये हक मिलेगा कि वे परिवार का आकार, उच्च शिक्षा के लिए समय, आर्थिक स्थिति पर फैसले ले सकेंगी।
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कम उम्र में मां बनने की समस्या से निजात (Family planning low down risk of abortion)
फैमिली प्लानिंग का सबसे बड़ा फायेदा उन लड़कियों के लिए है जिनकी शादी कम उम्र में हो जाती है। इससे न्यूबॉन मॉर्टेलिटी रेट भी कम होगा। कम उम्र में मां बनने से होने वाले बच्चे भी प्रीमेच्योर होते हैं जिससे उनकी मौत हो जाती है। फैमिली प्लानिंग अपनाने से घर का खर्च भी बचता है। मां और बच्चे दोनों शिक्षा ले सकेंगे जिसका सीधा असर देश के मानव संसाधन पर होगा। फैमिली प्लानिंग पर इंवेस्ट किए गए प्रत्येक डॉलर से प्रेगनेंसी केयर पर दोगुनी राशि बच सकती है। हाल में किए गए शोध के मुताबिक अगर भारत 2020 तक फैमिली प्लानिंग की तय योजना पूरी कर लेता है तो 2030 तक 89.7 अरब अमेरिकी डॉलर तक ग्रॉस डोमेस्टिक एक्सपेंडिचर कम कर सकते हैं।
दो बच्चों में कम अंतराल की समस्या सुधरी (Gap between two children)
भारत में फैमिली प्लानिंग प्रोग्राम 1952 में शुरू हुआ। तब से लेकर अब तक नीतियों में कई बदलाव हो चुके हैं। पूरे भारत के 6.1 लाख परिवारों को लेकर नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे 5 के पहले चरण 2019-2020 से ये बात साफ है कि दो बच्चों के बीच गैप की जो समस्या थी उसमें काफी सुधार हुआ है। मेघालय और मिजोराम को छोड़कर बाकि सभी राज्यों में ये समस्या 10 प्रतिशत तक कम हुई है। बिहार समेत जिन राज्यों में सर्वे हुआ वहां फैमिली प्लानिंग के इस्तेमाल में बढ़त देखी गई है। फैमिली प्लानिंग में पुरुषों का योगदान अब भी कम है। पुरुष नसबंदी का ग्राफ काफी नीचे है।
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3 से 10 साल तक नहीं होगी अनचाहे गर्भ की फिक्र (Contraceptive options)
अनचाहे गर्भ से निजात पाने के लिये कई तरह के अस्थायी गर्भ निरोधक साधन भी अपनाए जा रहे हैं जिनमें से एक है पोस्ट पार्टम इंट्रायूटेराइन कंट्रासेप्टिव डिवाइस (पीपी आईयूसीडी) यह प्रसव के 48 घंटे के अंदर लगाया जाता है। दूसरे बच्चे का विचार बने तो महिलाएं इसको आसानी से निकलवा भी सकती हैं। इसका असर तीन से दस साल तक रहता है। साल के मुताबिक अलग अलग विकल्प मौजूद हैं। अगर आप आसान उपाय खोज रही हैं तो ‘अंतरा’ अपनायें। ये एक गर्भ निरोधक इंजेक्शन है जिसे एक या दो बच्चों के बाद गर्भ में अंतर रखने के लिए दिया जाता है। इंजेक्शन के कुल चार डोज एक साल में लगाये जाते हैं। महिलाओं के लिये ये एक असरदार साधन है जिसे हर 3 महीने के अंतराल पर एक लेना होता है। गर्भधारण रोकने में यह 99.7 प्रतिशत प्रभावी माना जाता है ऐसे में आप इन्हें बिना डरे इस्तेमाल करें।
फैमिली प्लानिंग से जुड़े बड़े फायदे (Major benefits of family planning)
- 1. फैमिली प्लानिंग सिर्फ स्वास्थ्य ही नहीं बल्कि समाज को बदलने का एक जरिया भी है। जागरूक होने से घर की महिलाएं पारिवारिक मामलों में निर्णय ले पाती हैं।
- 2. अनचाहे गर्भ के कारण आज भी लड़कियों की पढ़ाई अधूरी रह जाती है। गांव के साथ शहरों में भी ये समस्या देखी गई है। फैमिली प्लानिंग इस समस्या से बचने का बेहतर उपाय है।
- 3. फैमिली प्लानिंग की मदद से महिलाएं बच्चों की जिम्मेदारी उठाने का सही समय तय कर पाती हैं जिससे अर्थव्यवस्था में उनकी भागीदारी बढ़ती है।
- 4. अगर फैमिली प्लानिंग न हो तो जेंडर प्रॉब्लम बढ़ जाएगी। छोटे क्षेत्रों में महिलाओं को बच्चे पैदा करने की क्षमता से आंका जाता है इसलिए पुरूष गर्भनिरोधक उपायों पर फैसला लेते हैं।
- 5. फैमिली प्लानिंग को अपनाने से मांएं अपने बच्चों के लिए सेहत भरा पोषण तय कर पाती हैं।
- 6. फैमिली प्लानिंग करने से महिलाओं को कई परेशानियों के समाधान मिलते हैं जैसे उन्हें कब बच्चे पैदा करना है, कितने बच्चों को जन्म देना है आदि।
2030 लक्ष्य: विश्व भर में फैमिली प्लानिंग से जुड़ें महिलाएं (United Nation Population fund's objective)
एडवांस फैमिली प्लानिंग 2020 के लक्ष्य के मुताबिक फैमिली प्लानिंग के तहत मिलनी वाली सेवाओं का दायरा बढ़ाना है। इस योजना के अंदर गर्भनिरोधक के विकल्पों की रेंज को बढ़ाना है। इसके साथ ही न्यूबॉर्न, एडोलेसेंस हेल्थ, मां का स्वास्थ्य आदि को फैमिली प्लानिंग में शामिल किया गया है। इस योजना के मदद से महिलाओं को सोशल और फाइनेंशल मदद मिलेगी और घरेलू स्तर पर उनका औहदा बढ़ेगा। साल 2030 तक यूनाइटेड नेशन पॉपुलेशन फंड का लक्ष्यय है कि पूरी दुनिया में महिलाएं बिना किसी डर, पैसे की कमी या किसी और कारण के बिना फैमिली प्लानिंग को अपनाएं।
जच्चा-बच्चा स्वास्थ्य के लिए फैमिली प्लानिंग के उपाय जरूरी है। पति-पत्नी को मिलकर इन साधनों को अपनाना चाहिए।
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