
गर्भ संस्कार विधि से होने वाले बच्चे के व्यवहार को गुणी बना सकते हैं। इस तकनीक को इन दिनों कई अस्पतालों में इस्तेमाल किया जा रहा है।
माता-पिता होने के नाते हम सब अपने बच्चे का व्यवहार बेहतर करना चाहते हैं पर ये आप पर निर्भर करता है कि आप अपने बच्चों में कौनसे गुण डालना चाहते हैं। बच्चे का व्यवहार भले ही बड़े होने पर पता चलता है पर उसे अच्छे गुणों की तरफ आप जन्म से ही लेकर जा सकते हैं। डॉक्टरों का मानना है कि प्रेग्नेंसी के दिनों में गर्भ संस्कार विधि की मदद ली जाये तो आप अपने बच्चे के व्यवहार को दूसरों से अलग बना सकते हैं। इस तकनीक में होने वाली मां के आसपास के माहौल में बदलाव किये जाते हैं। मां की आदतों में ऐसी चीज़े शामिल की जाती हैं जिससे होने वाले बच्चे पर सकारात्मक असर हो। इस विधि को समझने के लिये हमने बात की लखनऊ के डफरिन अस्पताल की प्रमुख चिकित्सा अधीक्षिका और गाइनोकॉलोजिस्ट डॉ सुधा वर्मा से और समझा कि आखिर क्या है गर्भ संस्कार विधि को करने का तरीका और इसके लाभ।
क्या होता है गर्भ संस्कार? (What is garbh sanskar)
डॉक्टर ऐसा मानते हैं कि जन्म से पहले गर्भस्थ शिशु अपने आसपास के वातावरण से बहुत कुछ सीखते हैं। मां के अच्छे या खराब मूड का असर भी बच्चे पर होता है। प्रेग्नेंसी के तीसरे माह से पेट में पल रहे बच्चे का दिमाग बनने लगता है। इसलिये ये कह सकते हैं कि बाहर की गतिविधियों का असर होने वाले बच्चे पर पड़ता है। इस तकनीक के जरिये मां को अच्छा आहार, संगीत, अध्यात्मिक ज्ञान आदि से जोड़ा जाता है। इसका नाता किसी एक धर्म से नहीं है। अध्यात्मिक आचार किसी भी धर्म का हो उसका असर मां और होने वाले बच्चे पर अच्छा ही होता है।
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कब से शुरू होती है विधि?
वैसे तो प्रेग्नेंसी के साथ ही इसे अपनाना बेहतर होता है पर डॉक्टर मानते हैं कि तीसरे से चौथे महीने से इस प्रक्रिया को शुरू करना अच्छा होता है। इस विधि का जिक्र महाभारत ग्रंथ में भी किया गया है। आप चाहें तो किसी मेडिटेशन सेंटर से जुड़ सकती हैं। वैसे इन दिनों कई सरकारी और प्राइवेट हॉस्पिटल भी इस विधि को लागू कर रहे हैं तो आप उनसे जानकारी ले सकती हैं। इस विधि के लिये आप इंटरनेट की मदद भी ले सकती हैं। कई एक्सपर्ट इससे जुड़े पहलू पर ऑनलाइन जानकारी देते हैं।
अच्छी सोच ही है सेहतमंद शिशु की पहली नींव (Impact of positive energy on newborn)
होने वाली मां अगर खुश नहीं है तो उसका सीधा असर होने वाले बच्चे पर पड़ता है। इसलिये मां और परिवार को इस बात का ध्यान रखना है कि वो प्रेग्नेंसी के दौरान महिला के शारीरिक और मानसिक स्थिति पर ध्यान दे। कई बार महिलाएं प्रेग्नेंसी के दौरान ज्यादा चिंता करने लगती हैं उससे उनका स्वास्थ्य बिगड़ सकता है इसलिये नेगेटिव बातों को खुद से दूर रखें।
अच्छा आहार लेना न भूलें (Healthy diet in pregnancy)
डॉ सुधा ने बताया कि गर्भ संस्कार सिर्फ मानसिक ही नहीं बल्कि शारीरिक विकास पर भी केंद्रित है। प्रेग्नेंसी में आपको पोषणयुक्त आहार लेने की जरूरत है। बच्चे का दिमाग और उसके शरीर के विकास में आहार की भूमिका अहम है। प्रेग्नेंसी में विटामिन और मिनरल को अपनी डाइट में शामिल करें। आयरन से भरपूर फल और सब्जियों को खायें इसके अलावा दूध और दूध के उत्पाद जैसे दही, घी, मक्खन (Milk products) आपके लिये बहुत जरूरी हैं इसलिये कैल्शियम लेना न भूलें। चीनी को कम से कम खायें। अगर कुछ मीठा खाने का मन है तो गुड़ से बनी मिठाई खा सकती हैं। एल्कोहोल या धूम्रपान का सेवन बिल्कुल भी न करें। इससे शिशु और आपकी सेहत पर बुरा असर पड़ सकता है।
म्यूजिक की धुन बनाये आपका दिन (Role of music in pregnancy)
गर्भ संस्कार विधि में संगीत का भी मुख्य किरदार है। डॉक्टर ऐसा मानते हैं कि अगर आप अच्छे संगीत को प्रेग्नेंसी के दौरान सुनें तो उसकी ध्वनि की तरंगें होने वाले बच्चे तक भी पहुंचती हैं। आप अध्यात्मिक गाने, श्लोक या मंत्रों को सुनें। इससे आपका मन शांत रहेगा और शिशु पर इसका अच्छा असर होगा। म्यूजिक यंत्र जैसे तबला, बांसुरी या किसी अन्य को सुनें इसकी तरंगों से बच्चे के दिमाग में हरकत होगी। हमेशा शांत माहौल में संगीत सुनें या सोते समय भी हल्का म्यूजिक अच्छा रहेगा।
मेडिटेशन को न करें नजरअंदाज (Meditation in pregnancy)
गर्भसंस्कार में प्रेग्नेंट महिला को मेडिटेशन सिखाया जाता है। आप चाहें तो अपने घर की छत या बॉलकनी में ध्यान कर सकती हैं। शुरूआत में आप 15 मिनट तक ध्यान करें फिर धीरे-धीरे समय बढ़ाती जायें। मेडिटेशन करने से आपको किसी तरह का स्ट्रेस नहीं होगा। ध्यान करते समय अच्छी चीजों के बारे में सोचें। (Think positive) घर में अगर किसी तरह की कोई परेशानी है तो उसका असर खुद पर न पड़ने दें।
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अध्यात्म की ओर बढ़ें (Spritual thoughts effect on pregnancy)
गर्भ संस्कार में हर धर्म को गर्भावस्था के लिये उचित बताया गया है। आपका चाहे जिस भी मजहब के हों अपने ईश्वर को याद करना न भूलें। डॉक्टर ऐसा मानते हैं कि श्लोक या मंत्र या ग्रंथ में लिखी बातों को प्रेग्नेंसी के दौरान सुनना फायदेमंद होता है क्योंकि इस सब से मन शांत होता है और कोई भी नेगेटिव एनर्जी का असर आप पर नहीं होगा इसलिये थोड़ा समय अपने लिये जरूर निकालें।
किताबों से करें दोस्ती (Books are stress buster)
डॉ सुधा ने बताया कि गर्भ संस्कार विधि में किताबें पढ़ने की सलाह दी जाती है। प्रेग्नेंसी में आपको ज्यादा शोर भरा माहौल अशांत कर सकता है इसलिये किताबों से दोस्ती करें। इन्हें आप कभी भी और कहीं भी पढ़ सकती हैं। अपनी पसंद की कोई भी किताब चुन सकती हैं। किताबों को स्ट्रेस बस्टर कहा जाता है। इन्हें पड़ने से आपके आसपास अच्छी वाइब्स रहती हैं।
योगा को मिस न करें (Yoga in pregnancy)
गर्भसंस्कार में आहार के साथ-साथ योग या हल्के व्यायाम को करने की सलाह दी जाती है। आपको किसी तरह के भारी व्यायाम नहीं करने हैं पर आप हल्की-फुल्की कसरत कर सकती हैं। इससे मां और होने वाले बच्चे का शरीर मजबूत रहेगा। योग करने से आपको प्रेग्नेंसी के दौरान किसी तरह की बीमारी का सामना नहीं करना पड़ेगा और इससे उम्मीद बनेगी कि आपकी डिलीवरी नॉर्मल हो।
गर्भसंस्कार के हैं कई लाभ (Benefits of garbh sanskar)
- गर्भ संस्कार से होने वाले बच्चे के दिमाग का विकास होता है। बच्चा जन्म से ही बुद्धिमान बनता है।
- डॉक्टर ऐसा मानते हैं कि होने वाला बच्चा व्यवहार से गुणी बनता है और उसमें जन्म से ही अच्छी आदतें आती हैं। योग, संगीत और आहार का सकारात्मक असर बच्चे पर पड़ता है।
- गर्भ संस्कार विधि मां को तनाव मुक्त रखती है। मां और बच्चे का मन शांत रहता है जिससे डिलीवरी के दौरान किसी तरह की परेशानी नहीं आती। हर घर में किसी न किसी वजह से लोग परेशान रहते हैं पर गर्भ संस्कार विधि से नकारात्मक शक्ति का असर मां और बच्चे पर नहीं पड़ता।
- प्रेग्नेंसी के दौरान शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है और बीमारियां शरीर में जगह बनाने की कोशिश करती हैं पर अगर आप इस विधि को अपनायेंगे तो आपको या बच्चे को किसी तरह की कोई बीमारी नहीं होगी।
- ये विधि मां और बच्चे के बीच मजबूत रिश्ते को जन्म देती है।
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