1 साल से छोटे शिशुओं में प्रदूषण के कारण जल्दी मौत का होता है ज्यादा खतरा, जानें बचाव के टिप्स

नवजात शिशुओं के लिए शहरों की हवा में घुला प्रदूषण मौत का कारण बन सकता है। हर साल प्रदूषण के कारण 70 लाख से ज्यादा बच्चों की मौत होती है। जानें छोटे बच्चों को कैसे प्रभावित करता है वायु प्रदूषण और कैसे बचाएं अपने नन्हे शिशु को प्रदूषण के जहर से।
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1 साल से छोटे शिशुओं में प्रदूषण के कारण जल्दी मौत का होता है ज्यादा खतरा, जानें बचाव के टिप्स

क्या आपको पता है कि हर साल 70 लाख से ज्यादा छोटे बच्चे हवा में घुले प्रदूषण के कारण 5 साल से कम उम्र में ही मर जाते हैं? प्रदूषण बच्चों के साथ-साथ बड़ों के लिए भी नुकसानदायक होता है, मगर 1 साल से कम उम्र के नवजात शिशुओं के लिए वायु प्रदूषण खतरनाक हो सकता है। प्रदूषण वाले इलाकों में पैदा होने वाले नवजात शिशुओं में समय से पहले मौत का खतरा बहुत ज्यादा होता है। हाल में हुई एक स्टडी में बताया गया है कि 1 साल से कम उम्र के बच्चों पर प्रदूषण का असर इतना बुरा होता है कि उनकी जान ले सकता है। ये स्टडी Cardiff University School of Medicine में की गई।

इसके पहले हुए कई अध्ययनों में बताया गया है कि वायु प्रदूषण सांस और हार्ट से जुड़ी बीमारियों के खतरे को बढ़ाता है और जल्दी मौत का कारण बनता है। लेकिन अभी तक इस बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी कि कौन से प्रदूषक (Pollutants) छोटे बच्चों के लिए खतरनाक होते हैं।

हवा में घुले ये 3 जहरीले तत्व बनते हैं शिशु की मौत का कारण

नवजात शिशुओं को सबसे ज्यादा खतरा हवा में घुले बेहद छोटे धूल कण और खतरनाक गैंसों से होता है। रिसर्च के अनुसार नन्हें शिशुओं के लिए 3 सबसे ज्यादा खतरनाक प्रदूषक हैं- PM10 (पार्टिकुलेट मैटर 10), नाइट्रोजन डाईऑक्साइड (NO2) और सल्फर डाई ऑक्साइड (SO2)। जिन शहरों में इनमें से कोई एक या सभी की मात्रा ज्यादा होती है, उन इलाकों में जन्म के 1 साल के भीतर शिशु के मरने की संभावना 20% से 50% तक बढ़ जाती है।

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गाड़ियों से निकलने वाला धुंआ खराब कर सकता है शिशु के फेफड़े

यही नहीं, University of Leicester में हुई एक रिसर्च के बाद वैज्ञानिकों ने बताया कि सड़क पर गाड़ियों से निकलने वाला धुंआ भी नन्हें शिशुओं के लिए खतरनाक हो सकता है। इस रिसर्च के अनुसार जन्म के 3 महीने बाद तक अगर आप नन्हे शिशु को लेकर गाड़ियों के प्रदूषण से भरी सड़क पर अक्सर यात्रा करते हैं, तो शिशु के फेफड़ों का फंक्शन प्रभावित हो सकता है। ऐसे बच्चों को भविष्य में कम उम्र में ही अस्थमा या फेफड़ों और सांस से जुड़ी कोई खतरनाक बीमारी हो सकती है। इसका खतरा उन बच्चों में और ज्यादा बढ़ जाता है, जिनके मां-बाप में से कोई एक या दोनों धूम्रपान (Smoking) करते हैं।

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कैसे बचाएं नन्हें शिशुओं को प्रदूषण से?

  • 3 महीने से छोटे बच्चे को लेकर बहुत अधिक ट्रैफिक वाले रास्तों पर लेकर यात्रा न करें।
  • शिशु को जन्म के समय मां का गाढ़ा पीला दूध (कोलेस्ट्रम) जरूर पिलाएं। ये शिशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है और उसके फेफड़ों को मजबूत बनाता है।
  • अगर आपका घर सड़क के आसपास है, तो घर के खिड़की दरवाजे हमेशा बंद रखें, ताकि हवा के साथ प्रदूषक शिशु के फेफड़ों में न पहुंचें।
  • अगर शिशु को सांस लेने में परेशानी, शरीर में नीलापन या बहुत अधिक रोने की समस्या हो, तो जल्द से जल्द डॉक्टर को दिखाएं।
  • 6 महीने से कम उम्र के शिशु को मच्छरों से बचाने के लिए धुंए वाले कॉइल या इलेक्ट्रॉनिक मस्कीटो रिपेलेंट की जगह, मच्छरदानी का प्रयोग करें। इन दोनों से निकलने वाला धुंआ शिशु के लिए नुकसानदायक हो सकता है।
  • घर में पूजा-पाठ के दौरान अगरबत्ती, धूपबत्ती, हवन सामग्री आदि के धुएं से 3 साल से छोटे बच्चों को दूर रखें।
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