प्रदूषण से होती हैं कई गंभीर बीमारियां, इस तरह रखें अपनी फैमिली का खयाल

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार बीते कुछ सालों में अस्थमा, लंबी खांसी, फेफड़ों के कैंसर, फेफड़ों के संक्रमण, ब्रोंकाइटिस, सिर दर्द, दिल की धड़कन का असामान्य होना और हार्ट अटैक के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है।
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प्रदूषण से होती हैं कई गंभीर बीमारियां, इस तरह रखें अपनी फैमिली का खयाल

हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस के रूप में मनाया जाता है। प्रदूषण हमारे समय की एक बड़ी समस्या है। विश्वभर में प्रदूषण से होने वाली सबसे ज्यादा मौतें भारत में होती हैं। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन यानि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 2013 में ही एक रिपोर्ट जारी कर बताया था कि आउटडोर पॉल्यूशन से इंसान की सेहत के लिए कितना खतरनाक है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार बीते कुछ सालों में अस्थमा, लंबी खांसी, फेफड़ों के कैंसर, फेफड़ों के संक्रमण, ब्रोंकाइटिस, सिर दर्द, दिल की धड़कन का असामान्य होना और हार्ट अटैक के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है। कई देशों में तो प्रदूषण जानलेवा स्तर तक पहुंच गया है।
इतने खराब हालात में आप कई बार सोचते होंगे कि अपने परिवार, अपने बच्चों और खुद को प्रदूषण से होने वाले इतने गंभीर प्रभावों से किस तरह बचाया जाए। आइये हम आपकी मदद करते हैं। कुछ बातों का ध्यान रखकर आप न सिर्फ प्रदूषण से होने वाले दुष्प्रभावों को कम कर सकते हैं बल्कि अपने परिवार और अपने बच्चों को एक बेहतर खुशहाल जिंदगी दे सकते हैं।

धूम्रपान न करें और न करने दें

प्रदूषण का मतलब सिर्फ घर से बाहर फैली हुई हवा से नहीं है। घर के अंदर और आपके आसपास प्रदूषण के ऐसे कई कारक हैं, जिनका दुष्प्रभाव आपके बच्चों के साथ-साथ आपके पूरे परिवार पर पड़ता है। धूम्रपान आपकी सेहत के लिए खतरनाक है। अगर आप घर में या कार में धूम्रपान करते हैं, तो ये आपके बच्चों की सेहत के लिए और ज्यादा खतरनाक है। इसलिए न तो आप स्वयं धूम्रपान करें और न ही अपने आस-पास किसी को करने दें।

घर में एयर प्यूरिफायर का इस्तेमाल करें

बाहर के साथ-साथ घर के अंदर की हवा में भी हानिकारक तत्वों की मौजूदगी हो सकती है इसलिए कोशिश करें कि घर में एयर प्यूरिफायर लगाएं। इससे कम से कम घर में रहने के दौरान आपके बच्चों और परिवार को साफ और शुद्ध हवा मिल सकेगी। इसके अलावा घर में खुश्बू के लिए या कमरे को महकाने के लिए एयर फ्रेशनर्स का इस्तेमाल न करें। इनमें मौजूद केमिकल्स हाव में घुलकर आपके फेफड़ों में जमा होते हैं और सेहत को नुकसान पहुंचाते हैं।

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घर की रेगुलर सफाई करें

घर की सफाई बहुत जरूरी है। चादर, तकिया, मैट्रेस, पर्दे, कपड़े, किचन आदि को अच्छी तरह साफ करें। घर में मौजूद धूल से भी सांसों सें संबंधित कई तरह की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। यहां तक कि तकिया और चादर में भरी हुई धूल कई बार शिशुओं के लिए जानलेवा भी हो सकती है। इसके अलावा दिन के समय और रात के समय वेंटिलेशन के लिए खिड़कियां खोल दें क्योंकि इस समय प्रदूषण कम होता है और घर में ताजी हवा का भरना भी जरूरी है।

दिन के समय बाहर कम निकलें

आमतौर पर सुबह और रात में प्रदूषण का स्तर दिन की अपेक्षा कम होता है। इसलिए बाहर के ज्यादातर कामों को दिन में या रात में ही करें। बच्चों को दिन में घर से बाहर कम निकलने दें या कम से कम मास्क पहनाकर ही निकलने दें। इसके अलावा सर्दियों की अपेक्षा गर्मी में प्रदूषण का स्तर ज्यादा होता है इसलिए गर्मी के दिनों में अगर पिकनिक या आउटडोर ट्रैवेल प्लान करें, तो सुरक्षा का पूरा ध्यान रखें।

घर के आस-पास पेड़-पौधे लगाएं

बच्चों के साथ मिलकर अपने घर के आस-पास पेड़-पौधे लगाएं। अगर आपके आस-पास जगह नहीं है तो कम से कम घर में ही कुछ गमले रखें, जिनसे शुद्ध ऑक्सीजन आपको मिलती रहे। बच्चों को बागवानी के लाभ बताएं और उनसे भी इस काम में मदद लें।

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गाड़ियों का इस्तेमाल कम करें

गाड़ियों से निकलने वाला धुंआ प्रदूषण की एक बड़ी वजह है। इसलिए गाड़ियों का कम से कम इस्तेमाल करें। अगर जरूरी हो, तो कारपूल करें या पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल करें। बच्चों को शुरू से ही साइकिल चलाने की आदत डालें। साइकिल चलाना न सिर्फ आपकी और उनकी सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है, बल्कि इससे सांसों और फेफड़ों से जुड़े ढेर सारे रोगों की आशंका भी कम होती है क्योंकि साइकिल चलाने से कई तरह के व्यायाम एक साथ होते हैं।

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