35 की उम्र के बाद आपके शरीर के लिए जरूरी होते हैं ये 5 विटामिन्स

आमतौर पर 40 की उम्र के बाद व्यक्ति के चेहरे का तेज जाने लगता है और शरीर कई तरह के रोगों का शिकार होने लगता है। इसलिए आपको इन बीमारियों से बचने के लिए और अपने यौवन को बरकरार रखने के लिए इन विटामिन्स की जरूरत होती है।
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35 की उम्र के बाद आपके शरीर के लिए जरूरी होते हैं ये 5 विटामिन्स

हमारी उम्र जैसे-जैसे बढ़ती है, हमारा शरीर कमजोर होता जाता है। ऐसे में शरीर को पूरी तरह एक्टिव रखने के लिए और पूरी उर्जा के साथ काम करने के लिए आपको कई विटामिन्स और मिनरल्स की जरूरत होती है। विटामिन्स हमारे शरीर को न सिर्फ पोषण देते हैं बल्कि ये शरीर को कई तरह के रोगों से बचाते हैं। शरीर के लिए जरूरी ये विटामिन्स और मिनरल्स हमें आहार से मिलते हैं यानि अच्छी सेहत के लिए हमें पौष्टिक आहार खाना चाहिए। आमतौर पर 40 की उम्र के बाद व्यक्ति के चेहरे का तेज जाने लगता है और शरीर कई तरह के रोगों का शिकार होने लगता है। इसलिए आपको इन बीमारियों से बचने के लिए और अपने यौवन को बरकरार रखने के लिए इन विटामिन्स की जरूरत होती है।

विटामिन बी12

विटमिन बी12 हमारी कोशिकाओं में पाए जाने वाले जीन डीएनए को बनाने और उनकी मरम्मत में सहायता करता है। यह ब्रेन, स्पाइनल कॉर्ड और न‌र्व्स के कुछ तत्वों की रचना में भी सहायक होता है। हमारी लाल रक्त कोशिशओं का निर्माण भी इसी से होता है। यह शरीर के सभी हिस्सों के लिए अलग-अलग तरह के प्रोटीन बनाने का भी काम करता है। यह ऐसा विटमिन है, जिसका अवशोषण हमारी आंतों में होता है। वहां लैक्टो बैसिलस (फायदेमंद बैक्टीरिया) मौजूद होते हैं, जो बी-12 के अवशोषण में सहायक होते हैं। फिर यह लिवर में जाकर स्टोर होता है। उसके बाद शरीर के जिन हिस्सों को इसकी जरूरत होती है, लिवर इसे वहां भेजने का काम करता जाता है।

स्रोत- हालांकि मांसाहारी पदार्थों में विटामिन बी कॉम्पलेक्स की भरपूर मात्रा होती है, परन्तु शाकाहारी लोगों को विशेष रूप से अपने भोजन पर ध्यान देना चाहिए। आपको डेरी उत्पादों का सेवन भरपूर मात्रा में करना चाहिए जैसे दूध, दही, पनीर, चीज, मक्खन, सोया मिल्क आदि। इसके अलावा जमीन के भीतर उगने वाली सब्जियों जैसे आलू, गाजर, मूली, शलजम, चुकंदर आदि में भी विटामिन बी आंशिक रूप से पाया जाता है।

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कैल्शियम

कैल्शियम स्वास्थ्य के लिए बेहद जरूरी है। यह मांसपेशियों और हड्डियों को मजबूत बनाता है। आपको हर रोज कितने कैल्सियम की आवश्‍यकता है, यह आपकी उम्र और लिंग के आधार पर निर्धारित होता है। महिलाओं के लिए 50 साल की उम्र तक नियमित रूप से 1000 मिग्रा कैल्शियम की आवश्‍यकता होती है, 50 साल के बाद इसकी मात्रा बढ़ाकर 1200 कर देना चाहिए। वहीं पुरुषों को 70 साल तक 1000 मिग्रा नियमित और 70 साल के बाद 1200 मिग्रा नियमित रूप से कैल्शियम की जरूरत होती है।

स्रोत- आहार कैल्सियम का सबसे अच्‍छा स्रोत माना जाता है। निम्‍न वसायुक्‍त आहार और दूध के उत्‍पादों में कैल्सियम भरपूर मात्रा में पाया जाता है। ताजे और पत्‍तेदार सब्जियों, सोयमिल्‍क, साबुत अनाज, अंडा, आदि कैल्सिमय के स्रोत हैं।

विटामिन डी

विटामिन डी हड्डियों को मजबूत बनाने के साथ शरीर के अन्‍य अंगों के लिए भी बहुत जरूरी पोषक तत्‍व है। यह वसा में घुलनशील प्रो-हार्मोन्स का एक समूह होता है जो आंतों से कैल्शियम को सोखकर हड्डियों में पहुंचाता है। शरीर में इसका निर्माण हाइड्रॉक्सी कोलेस्ट्रॉल और अल्ट्रावॉयलेट किरणों की मदद से होता है। इसके अलावा शरीर में रसायन कोलिकल कैसिरॉल पाया जाता है, जो खाने के साथ मिलकर विटामिन-डी बनाता है।

स्रोत- सबसे अधिक विटामिन डी सूर्य की किरणों से मिलता है। अगर सुबह के वक्‍त रोज 15 मिनट तक सूर्य की रोशनी के संपर्क में रहें तो आपके शरीर के हिसाब से जरूरी विटामिन डी आपको मिल सकता है। इसके अलावा यह कुछ खाद्य पदार्थों में जैसे - मांस, अंडे, मछली का तेल, दुग्‍ध उत्पादों में भी पाया जाता है।

मैग्नीशियम

भोजन में मैग्नीशियम की पर्याप्त मात्रा आपको डायबिटिज के खतरे से बचाती है। मैग्नीशियम की कमी से आपको धमनी संबंधी रोग, डायबटीज, अर्थाराईटिस  जैसी समस्या हो सकती है। हमारे शरीर में होने वाली एंजाइम प्रतिक्रिया के लिए मैग्नीशियम जिम्मेदार है। इसकी कमी से शरीर की विभिन्न प्रक्रियाओं पर असर पड़ सकता है।

स्रोत- हरी पत्तेदार सब्जियां , साबुत अनाज, अखरोट, मूंगफली, बादाम, काजू, सोयाबीन, केले, खुबानी, कद्दू, दही, दूध, चॉकलेट और तुलसी में भी पाया जाता है।

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ओमेगा-3

ओमेगा 3 फैट्स, कॉन्जुगेटड लिनोलेक एसिड और गामा लिनोलेनिक एसिड जैसे कुछ फैट होते हैं जो शरीर के हार्मोन्स में बदलाव कर भूख को कम करते हैं और डाइटिंग करने में भी मददगार होते हैं। ओमेगा-3 फैटी एसिड का सेवन हार्ट अटैक के जोखिम को भी कम करता है। यह धमनियों के फैलने में सहायता करता है, जिससे उनमें रक्त प्रवाह ठीक ढंग से हो पाता है और एन्जाइम्स फैट को आसानी से शरीर में घुलने में सहायता करते हैं और उनका मेटाबॉलिज्म बेहतर होता है।

स्रोत- अलसी के बीज, अखरोट, ब्लूबेरी, राई का तेल, सोयाबीन, सालमन मछली और सीफूड जैसे, प्रॉन, झींगा, सीप आदि में काफी मात्रा में ओमेगा 3 फैटी एसिड होता है।

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