Women's Health: गुस्सा न करना और चुप रहना 40 के बाद महिलाओं में बढ़ा देता है स्ट्रोक का खतरा, रिसर्च

वेस्टर्न वाशंगिटन यूनिवर्सिटी में साइकॉलोजी की प्रोफेसर डेना जैक का कहना है कि अगर आप अपने करीबियों पर कम गुस्सा करती हैं या फिर अपने अंदर की भावनाओं को बाहर निकलाने में मुश्किल होती है तो आपमें स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।

Jitendra Gupta
Written by: Jitendra GuptaUpdated at: Sep 30, 2019 10:00 IST
Women's Health: गुस्सा न करना और चुप रहना 40 के बाद महिलाओं में बढ़ा देता है स्ट्रोक का खतरा, रिसर्च

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क्या आप अपने करीबियों पर न के बराबर गुस्सा करती हैं? या फिर अपने रिश्ते में नकरात्मक भावनाओं को बाहर निकालना आपके लिए बहुत मुश्किल होता है? एक नए शोध में खुलासा हुआ है कि अगर आप अपने करीबियों पर कम गुस्सा करती हैं या फिर अपने अंदर की भावनाओं को बाहर निकलाने में मुश्किल होती है तो आपमें स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। 40 से 60 की उम्र की महिलाओं पर किए गए इस अध्ययन में यह पाया गया कि वे महिलाएं, जो अंदर ही अंदर घुटती रहती हैं उनकी ग्रीवा धमनी में प्लाक जमा होने का खतरा बढ़ जाता है।

इस अध्ययन को मुख्य शोधकर्ता और वेस्टर्न वाशंगिटन यूनिवर्सिटी में साइकॉलोजी की प्रोफेसर डेना जैक का कहना है कि किसी रिश्ते या किसी की सुरक्षा को नुकसान पहुंचने की भावना को दबाना और बाहरी रूप से सहमत होना, इसमें आपके अंदर गुस्सा बढ़ता जाता है और मन अशांत रहने लगता है, जिसको अंदर अंदर ही घुटना कहते हैं।

अध्ययन की एक और शोधकर्ता कैरेन जाकुवॉस्की ने बताया कि अध्ययन इसके कारण और प्रभावों को साबित नहीं कर सका लेकिन वे महिलाएं, जो अपनी जरूरतों और अपने रिश्तों की भावनाओं के बारे में बहुत कम बात करती हैं उनकी ग्रीवा धमनियों में प्लाक के जमा होने की संभावना 14 फीसदी अधिक बढ़ जाती है। उन्होंने कहा कि जिन महिलाओं की धमनियों में प्लाक  न के बराबर जमा होता है वे उन महिलाओं की उन तुलना में अधिक मुखर होती है, जिनकी धमनियों में प्लाक पाया जाता है।

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शोधकर्ताओं ने कहा, ''जरूरत से ज्यादा जमा प्लाक हार्ट अटैक, स्ट्रोक और अन्य ह्रदय संबंधी समस्याओं का कारण बन सकता है।''

जैक ने बिना नए अध्ययन में शामिल हुए एक ऐसा पैमाना विकसित किया, जिसमें करीबी रिश्तों में आत्म अभिव्यक्ति को मापने में मदद मिल सके। जैक ने बताया कि अगर आप चुप रहेंगी और लोगों से कटी-कटी रहेंगी तो न केवल आप दूसरों से भी अलग हो जाएंगी बल्कि आप खुद से भी कटने लगेंगी।

उन्होंने कहा, ''अधिकतर बार ऐसा होता है कि हम आवाज के जरिए दूसरों से अपने दिल की बात करते हैं लेकिन अंदर ही अंदर घुटने या फिर चुप रहने से महिलाएं इस बात को लेकर असमंजस में रहने लगती हैं कि वह वास्तव में क्या महसूस करती हैं। महिलाओं को लगता है कि उनके साथ क्या गलत हो रहा है, जिसके कारण उन्हें गुस्सा आ रहा है, क्या उन्हें अधिक नर्म हो जाना चाहिए। यही कारण है कि महिलाओं को तनाव हो जाता है और उन्हें शारीरिक समस्याओं की ओर ले जाता है।''

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इस अध्ययन में जैके के पैमाने का आधार 304 महिलाओं द्वारा दिए गए जवाब थे। जैक ने ब्लड प्रेशर, लंबाई, वजन जैसे शारीरिक माप और डेमोग्राफिक, मेडिकल इतिहास और तनाव पर आधारित सेल्फ रिपोर्ट थी।

शोधकर्ताओं ने कहा, ''पिछले अध्ययनों में यह पाया गया कि वे महिलाएं, जो चुप रहती हैं या अक्सर अंदर ही अंदर घुटती रहती हैं उनमें तनाव और गुस्से के लक्षण अधिक पाए गए और यह दोनों ही लक्षण ह्रदय रोगों से संबंधित हैं।''

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