उत्तराखंड राज्य में करीब चार हजार लोगों के डेंगू से प्रभावित होने की खबरों के बीच राज्य के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने डेंगू के मरीजों को सलाह दी है कि बुखार होने पर 500 एमजी पैरसिटामोल के बजाए 650 एमजी लिया जाए तो डेंगू को फैलने से रोका जा सकता है। मीडिया रिपोर्टस का दावा है कि इस साल डेंगू राज्य में महामारी का रूप ले चुका है, जो कि मच्छर के काटने से होता है, जिसके दो से तीन दिन बाद व्यक्ति को तेज बुखार होता है।
मुख्यमंत्री ने संवाददाताओं को बताया कि उत्तराखंड में डेंगू अभी महामारी से कोसो दूर है। अगर किसी को भी यह बीमारी होती है तो वह 650 एमजी पैरासिटामोल ले और आराम करें, ऐसा करने से बीमारी से बचाव होगा। इसबीच राज्य में स्वास्थ्य के डीजी आर.के. पांडे ने एक एजेंसी को बताया कि इस साल राज्य में डेंगू से पीड़ित मरीजों की संख्या 4,800 पहुंच गई है। अधिकारी ने कहा कि अधिकतर मामले देहरादून में दर्ज किए गए हैं, जहां करीब तीन हजार लोगों में डेंगू की पहचान की गई है, जिसके बाद हल्द्वानी में 1,100 मरीज डेंगू के हैं।
वहीं मुख्यमंत्री ने दावा किया है कि राज्य में केवल छह लोगों की मौत इस बीमारी से हुई है, जिसमें से चार लोग देहरादून और हल्द्वानी में दो लोगों ने डेंगू से अपनी जान गंवाई है। रावत ने यह भी दावा किया कि डेंगू से कोई भी मौत सरकारी अस्पताल में नहीं हुई है। जबकि राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने 17 सितंबर तक आठ लोगों की मौत की पुष्टि की थी।
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मुख्यमंत्री का दावा है कि उन्होंने सरकारी अस्पताल में भर्ती डेंगू के मरीजों से मुलाकात की और पाया कि मरीजों को अस्पतालों में मौजूद सुविधाओं के जरिए उपचार से फायदा हुआ है। उन्होंने कहा, ''अगर कोई डेंगू बुखार से पीड़ित है तो उसे घबराने की जरूरत नहीं है। अगर कोई व्यक्ति 500 एमजी के बजाए पैरासिटामोल का 650 एमजी डोज लेता है और आराम करता है तो वह इस बीमारी से बच सकता है।''
डेंगू के लक्षण
- मच्छर के काटने के 3 से 15 दिनों (इन्क्युबेशन पीरियड) तक डेंगू के लक्षण नहीं दिखाई देते।
- डेंगू होने पर तेज बुखार, सिरदर्द और पीठ में दर्द होता है।
- इन्क्युबेशन पीरियड समाप्त होने के बाद 3 से 4 घंटों तक जोड़ों में बहुत दर्द होता है।
- शरीर का तापमान 104 डिग्री तक हो जाता है और ब्लड प्रेशर भी नार्मल से बहुत कम हो जाता है।
- आंखें लाल हो जाती हैं और स्किन का रंग गुलाबी हो जाता है।
- गले के पास की लिम्फ नोड सूज जाते हैं।
- डेंगू बुखार 2 से 4 दिन तक रहता है और फिर धीरे धीरे तापमान नार्मल हो जाता है।
- डेंगू बुखार के साथ-साथ शरीर में खून की कमी हो जाती है।
- शरीर में लाल या बैगनी रंग के फफोले पड़ जाते हैं।
- नाक या मसूड़ो से खून आने लगता है।
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डेंगू का उपचार
डेंगू का इलाज इससे होने वाली परेशानियों को कम कर के ही किया जा सकता है। बुखार में आराम करना और पानी की कमी को पूरा करना बहुत ही ज़रूरी हो जाता है। डेंगू बुखार से मौत निश्चित नहीं है। डेंगू बुखार से होने वाली मौतें 1 प्रतिशत से भी कम है। यह बीमारी अकसर एक से दो हफ्ते तक रहती है।
डेंगू से बचने के कुछ तरीके
- डेंगू से बचने के लिए मच्छरों से बचना बहुत जरूरी है।
- ऐसी जगह जहां डेंगू फैल रहा है वहां पानी को रूकने नहीं देना चाहिए जैसे प्लास्टिक बैग, कैन, गमले या सड़को या कूलर में जमा पानी।
- मच्छरों से बचने का हर सम्भव प्रयास करना चाहिए जैसे मच्छरदानी लगाना, पूरी बांह के कपड़े पहनना आदि।
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