शोधकर्ताओं ने हाल ही में एक अध्ययन में पाया है कि बुजुर्गों के लिए प्रचलित कुछ प्रोटीन टूटी हड्डियों को उभरने से रोकते हैं। ड्यूक वैज्ञानिकों ने आशा जताई है कि ये खोज चोट या सर्जरी के बाद उबरने में लोगों की मदद के लिए नए उपचार की ओर ले जाएगी।
ड्यूक डिपार्टमेंट ऑफ आर्थोपेडिक सर्जरी में सहायक प्रोफेसर व पीएच.डी और अध्ययन के मुख्य लेखक गुरप्रीत बाह्त का कहना है कि जब हमारे प्रोटीन का स्तर गिर जाता है तो उम्र बढ़ने की प्रक्रिया उल्टी हो जाती है। उन्होंने कहा कि ऐसा होने से न केवल हड्डियों को तेजी से उबरने में मदद मिली बल्कि यह ढांचे के विकास के रूप में अधिक सुखद परिणाम देखने को मिले।
जेसीआई इंसाइट में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक, बाह्त की टीम ने इस बात की पुष्टि की, कि उम्रदराज लोगों में युवाओं के मुकाबले अधिक अपोलीपोप्रोटीन ई (एपीओई) होता है। टीम यह पता लगाना चाहती थी कि कैसे एपीओई हड्डियों के उबरने की बहु-चरणीय प्रक्रिया को प्रभावित कर सकती है।
अध्ययन के मुताबिक, जब कोई हड्डी टूटती है तो आपकी बॉडी रक्तधारा के माध्यम से इन्हें जोड़ने के लिए कोशिकाओं को संकेत भेजती है। जिसके बाद यह विभिन्न प्रकार की कोशिकाएं हड्डियों के छिद्रों को भरने के लिए कार्टिलेज स्काफोल्ड और ओस्टियोब्लास्ट को खाना शुरू कर देती हैं।
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गुरप्रीत ने बताया, ''समय के बीतने के साथ यह कार्टिलेज दोबारा से सोखने की प्रक्रिया जारी रखते हैं और ओस्टियोब्लास्ट नई हड्डियों को बनाने का काम शुरू कर देते हैं। कुछ महीनों बाद आपका हाथ या पैर उबरना शुरू हो जाता है, जिसके बाद शरीर में कोई कार्टिलेज नहीं रहता। और अगर आप पांच साल बाद देखेंगे तो शरीर पर चोट का कोई निशान तक नहीं रहता है।''
हड्डी की हीलिंग प्रक्रिया पूरी तरह से काम करती है। लेकिन शोधकर्ताओं ने पाया कि अगर एपीओई को पेट्री डिश की स्टेम कोशिकाओं के साथ जोड़ा जाता है, तो ओस्टियोब्लास्ट में कम कोशिकाएं विकसित होती है, जिस कारण हड्डी निर्माण की प्रक्रिया बिगड़ने लगती है और हड्डी नहीं जुड़ पाती।
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गुरप्रीत ने कहा, ''हम देखना चाहते थे कि क्या कोशिकाओं की संख्या में ओस्टियोब्लास्ट बनने की क्षमता कम और ज्यादा है।" उन्होंने कहा कि सामान्य तौर पर करीब एक महीने के लिए इन कोशिकाओं को पेट्री डिश में डाला और यह डिश बहुत सख्त हो गई। इसे जमीन पर रगड़ने के बाद भी कोई खरोच नहीं आई क्योंकि इसमें दो आयामी हड्डी का निर्माण हो चुका था।
इसके बाद, शोधकर्ताओं ने एक वायरस को इंजेक्ट कर चूहों में अपोलीपोप्रोटीनई बनाने की प्रक्रिया को रोका और पाया कि ऐसा करने से चूहे में अपोलीपोप्रोटीन के स्तर में 75 प्रतिशत की गिरावट आई और उसकी हड्डियां दूसरे चूहों की हड्डियों की तुलना में डेढ़ गुना अधिक मजबूत और कठोर हो गई।
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