आधुनिक जीवनशैली ने इनसानी जिंदगी को कितना आसान बना दिया है। लेकिन साथ ही इसने लोगों के दबे-छिपे गुस्से को भड़कने का अवसर भी दिया है। हाल ही में हुए एक अध्ययन में मनोवैज्ञानिकों ने यह दावा किया है।
यूनिवर्सिटी ऑफ सेंट्रल लैंकशायर' के शोधकर्ताओं के मुताबिक रोजमर्रा की जिंदगी से जूझते हुए कई बार लोग अपना आपा खो देते हैं, जिससे उन्हें नुकसान होता है।
प्रमुख शोधकर्ता डॉ, सैंडी मैन बताती हैं, 'हमारे मस्तिष्क की संरचना इस तरह से की गयी है ताकि जरूरत पड़ने पर क्रोध की भावना को जाहिर किया जा सके। लेकिन आजकल लोगों का गुस्सा हर छोटी-मोटी बात पर निकलने लगा है। इसका एक कारण यह भी है कि लोगों को भावना जाहिर करने की कोई ठोस वजह नहीं मिलती। इसलिए वे हर छोटी-मोटी बात पर अपना गुस्सा जाहिर करने लगते हैं। वे नहीं समझ पाते कि इससे उन्हें ही नुकसान पहुंच रहा है।
जुलाई के 'रीडर्स डाइजेस्टे' अंक में डॉ. मैन ने लिखा है, 'किसी जमाने में गुस्सा हमारे जीने के लिए जरूरी होता था। आज यह हर मामूली बात पर बाहर आ जाता है। इसकी सबसे बड़ी वजह आधुनिक जीवनशैली है। पहले कुछ भी पाने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ती थी। आज ऐसा नहीं है। बस एक बटन दबाते ही सारे काम हो जाते हैं। ऐसे में जब लोगों के मन-मुताबिक कुछ नहीं होता, तो वह आगबबूला हो जाते हैं।'
हालांकि लोगों को अपने इस गुस्से का खामियाजा खुद ही उठाना पड़ता है। यह न केवल उन्हें मानसिक बल्कि शारीरिक रूप से भी भारी नुकसान पहुंचाता है। आगबबूला होने से शरीर में सेरोटोनिन हारमोन का स्राव तेजी से होने लगता है। यह भूख को बढ़ाता है और लोग बार-बार खाने की ओर लपकते हैं।
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