
आज की जीवनशैली में एनीमिया आम बीमारी बनती जा रही है। हर चौथे व्यक्ति में खून की कमी पाई जाती है पर क्या आपको पता है प्रेगनेंसी में एनीमिया मां और बच्चे के लिये जानलेवा साबित हो सकता है। खून की कमी से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। अगर होने वाली मां को एनीमिया है तो उसकी चुनौतियां डबल हो जाती है। खून की कमी से होने वाले बच्चे का शारीरिक और मानसिक विकास भी ठीक से नहीं हो पाता इसलिये प्रेगनेंसी के दौरान आपको इस बीमारी से सतर्क रहने की जरूरत है। जरा सी लापरवाही आपको और बच्चे को खतरे में डाल सकती है। जब शरीर में एनीमिया हमला करता है तो हीमोग्लोबिन बनना कम हो जाता है और खून की कमी होने लगती है। इससे बचने के लिये आपको एनीमिया के लक्षण, कारण और उपाय जानने की जरूरत है। तो चलिये आज हम बात करेंगे लखनऊ के महिला अस्पताल डफरिन की प्रमुख चिकित्सा अधीक्षिका और गायनेकोलॉजिस्ट डॉ सुधा वर्मा से और उनसे समझेंगे प्रेगनेंसी में एनीमिया से जुड़ी जरूरी बातें।
क्या है एनीमिया? (what is anemia)
एनीमिया एक बीमारी है जिससे शरीर में खून की कमी होती है। ये हमारी शारीरिक और मानसिक क्षमता पर धीरे-धीरे हमला करता है। हीमोग्लोबिन की कमी (low hemoglobin) के चलते शरीर में ऑक्सीजन की कमी होने लगती है और शरीर को एनर्जी नहीं मिल पाती। हीमोग्लोबिन ऑक्सीजन को फेफड़ों से लेकर खून में पहुंचाने का काम करता है पर एनीमिया में ये प्रक्रिया धीमी होने लगती है। खानपान में कमी एनीमिया का बड़ा कारण मानी जाती है। इससे शरीर में कमजोरी और थकान होने लगती है, गंभीर कंडीशन में मरीज बिस्तर पकड़ लेता है।
प्रेगनेंसी में क्यों होता है एनीमिया (Anemia in pregnancy)
- -प्रेगनेंसी के दौरान गलत खानपान एनीमिया का कारण बनता है। आयरन की कमी से शरीर में खून कम हो जाता है।
- -जो महिलाएं ब्रेस्टफीड करवाती हैं उन्हें भी एनीमिया का खतरा रहता है।
- -जेनेटिक कारण से भी एनीमिया हो सकता है।
- -ऑपरेशन के दौरान ज्यादा खून बहने से शरीर में खून की कमी हो जाती है।
- -जो महिलाएं वजन कम करने के चक्कर में पोषक तत्व नहीं लेतींं वो भी प्रेगनेंसी में एनीमिया का शिकार होती हैं।
- -गर्भाशय में ट्यूमर होने पर भी एनीमिया हो सकता है।
समय रहते हीमोग्लोबिन की जांच जरूरी (Hemoglobin Test in pregnancy)
डॉ. सुधा ने बताया कि डिलीवरी से पहले जांच कर हमें पता चलता है कि महिला के शरीर में खून की कमी है। कुछ महिलाओं का हीमोग्लोबिन डिलीवरी के वक्त 4 या 5 भी रहता है और अगर सीजेरियन डिलीवरी है तो जच्चा-बच्चा की जान पर बन आती है। इस स्थिति से बचने का आसान तरीका है कि आप समय-समय पर अपने खून की जांच करवाती रहें। इससे आपको अंदाज हो जायेगा की खून चढ़ाने की जरूरत है या नहीं क्योंकि नया खून शरीर में बनने में समय लगता है। जिन महिलाओं की डिलीवरी में 2 से 3 महीने बचे होते हैं उन्हें खून चढ़वाना पड़ता है। अगर खून की जांच में हीमोग्लोबिन 11 ग्राम से कम होता है तो मतलब आपको एनीमिया है। 7 ग्राम से कम हीमोग्लोबिन गंभीर स्थिति मानी जाती है।
कैसे पहचानें एनीमिया के लक्षण (Symptoms of anemia)
- -खून की कमी या एनीमिया होने का पहला लक्षण है कमजोरी। आपको सामान्य काम करने में परेशानी होगी। चलने-उठने में कमजोरी लगेगी।
- -समय बढ़ने के साथ चक्कर भी आने लगते हैं।
- -सांस लेने में परेशानी होना भी एनीमिया के लक्षण हो सकते हैं।
- -अगर प्रेगनेंसी के दौरान आपको लगातार सिरदर्द की शिकायत हो रही है तो एक बार हीमोग्लोबिन की जांच करवा लें।
- -खून की कमी होने पर बाल झड़ना एक आम लक्षण देखा गया है।
- -भूख कम लग रही है तो आपके शरीर में खून की कमी हो सकती है।
- -अगर आपको मौसम से ज्यादा ठंड का अहसास हो रहा है तो ये भी खून की कमी के लक्षण हो सकता है।
- -खाने में स्वाद न आना या खाना निगलने में दिक्कत आ रही है तो भी एक बार जांच करवा लेना बेहतर है।
नवजात के लिये खतरनाक है एनीमिया (Anemia is dangerous for newborn)
ऐसा नहीं है कि एनीमिया सिर्फ होने वाली मां के लिये खतरनाक है। इससे होने वाले बच्चे पर भी बुरा प्रभाव पड़ सकता है। समय रहते एनीमिया का पता न लगे तो प्रीमेच्योर डिलीवरी (premature delivery) की संभावना बढ़ जाती है। प्रीमेच्योर का मतलब है 9 महीने से पहले ही बच्चे का जन्म हो जाता है। इसे उसकी जान तो बच जाती है पर अगले कुछ महीने उसके लिये नाजुक होते हैं। ऐसे बच्चों का विकास पूरा नहीं होता। जन्म के समय आयरन की कमी से उनका दिमाग और शरीर पूरी तरह से विकसित नहीं हो पाता जिससे आगे चलकर बच्चे को कई बीमारियां हो सकती हैं। ऐसे बच्चे जन्म के बाद जिंदा नहीं रह पाते, उनका वजन बढ़ाने के लिये उन्हें इंक्यूबेटर में रखना पड़ता है।
डिलीवरी के बाद इन आहार से दूर करें खून की कमी (Food to fight anemia)
- 1. गन्ने का ताजा रस पीना एनीमिया दूर करने में लाभकारी होगा।
- 2. खून बढ़ाने के लिये रोजाना हरी सब्जियों को खाना न भूलें।
- 3. अगर पहले से ही एनीमिया है तो गुढ़-चने का सेवन फायदेमंद होगा।
- 4. दूध में खजूर डालकर पीना फायदेमंद होगा,इससे शरीर में खून बढ़ने लगेगा।
- 5. गरम दूध में शीरा मिलाकर पीयें। शीरा में रेड ब्लड सेल्स बढ़ाने की क्षमता होती है।
- 6. पालक में आयरन और फाइबर होता है, पालक के पराठे या साग बनाकर खा सकती हैं।
- 7. मूंगफली के दाने भी नया खून बनाने में मदद करते हैं। गुढ़ के साथ भी मूंगफली खा सकते हैं।
- 8. टमाटर खाने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता तेजी से बढ़ती है। टमाटर का सूप रोज पीयें।
- 9. आंवले का मुरब्बा या ताजा आंवला खाने से खून बढ़ता है। एनीमिया है तो आंवला जरूर खाएं।
- 10. किशमिश में आयरन और फाइबर होता है। आप इसे रातभर पानी में भिगोकर सुबह खायें। खून जल्दी बढ़ेगा।
- 11. बादाम खाने से खून की कमी दूर होती है। इससे खून भी साफ होता है। रात को बादाम का दूध भी पी सकती हैं।
- 12. साबुत अनाज, सूखे मेवे, सेब खाने से शरीर में आयरन की कमी दूर होती है जिससे खून की नई कोशिकायें बनने लगती है।
- 13. जिन मांओं को एनीमिया है उन्हें हर दिन केला खाना चाहिये।इससे शरीर में हीमोग्लोबिन बनाने वाले एंजाइम बनना शुरू हो जाते हैं।
- 14. अगर डिलीवरी सीजेरियन हुई है तो उससे कई बार खून की कमी हो जाती है जिसे दूर करने के लिये चुकंदर के जूस का रोज सेवन करें।
- 15. एनीमिया की समस्या दूर करने के लिये अनार भी बहुत गुणकारी होती है। उसमें कैल्शियम की अच्छी मात्रा होती है जिससे खून का संचार अच्छा रहता है।
रोजाना फॉलिक एसिड का सेवन करें (folic acid intake in pregnancy)
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद और स्वास्थ्य मंत्रालय कहता है की सभी गर्भवती महिलाओं को आयरन जरूर लेना चाहिये। आयरन की कमी दूर करने के लिये आप 0.5 मिली ग्राम फॉलिक एसिड दूसरी तिमाही से रोजाना लेना शुरू करें। फॉलिक एसिड की गोली आपको डिलीवरी के बाद भी खानी है। ब्रेस्टफीडिंग के दौरान भी आप गोलियों को खाना जारी रखें। अगर आप एनीमिया से पीड़ित हैं तो डॉक्टर आपको दिन में 2 गोली लेने की सलाह दे सकते हैं। अगर आप पहले से कैल्शियम की दवाओं को खा रही हैं तो उसे फॉलिक एसिड की गोली लेते समय बंद कर दें क्योंकि आयरन और कैल्शियम की गोली एक साथ नहीं लेनी चाहिये।
समय रहते एनीमिया के लक्षण और इलाज का पता चल जाये तो प्रेगनेंसी के दौरान इस गंभीर बीमारी से बचा जा सकता है। जच्चा-बच्चा की सेहत के लिये समय-समय पर खून की जांच करवाते रहें।
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