आज के दौर में लाइफस्टाइल जितनी मॉडर्न हो गई है, उतनी ही अनहेल्दी भी होती जा रही है। खासकर बीते कुछ सालों में, खासकर कोरोना महामारी के बाद, तनावपूर्ण वर्किंग कल्चर ने युवाओं के स्वास्थ्य पर गंभीर असर डाला है। इसका सबसे स्पष्ट उदाहरण है, 45 वर्ष से कम उम्र के लोगों में तेजी से बढ़ रही फैटी लिवर की समस्या। फैटी लिवर की समस्या पहले अधेड़ उम्र के लोगों में ज्यादा देखी जाती थी। लेकिन अब यह रोग युवाओं को भी तेजी से प्रभावित कर रहा है। इस लेख में मेदांता अस्पताल के गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग के चेयरमैन डॉ. रंधीर सूद (Dr. Randhir Sud, Chairman of Gastroenterology and Gastrosciences, Medanta Hospital) से जानिए, 45 साल से कम उम्र के लोगों में में फैटी लिवर क्यों हो रहा है?
कम उम्र में फैटी लिवर क्यों हो रहा है? - What causes fatty liver in a young person
डॉ. रंधीर सूद बताते हैं कि प्रोसेस्ड फूड का बढ़ता सेवन, बैठे रहने वाला डेली रूटीन, अनियमित नींद का पैटर्न और तनावपूर्ण वर्किंग कल्चर ने युवाओं में फैटी लिवर के खतरे को कई गुना बढ़ा दिया है। जहां पहले यह रोग अधिकतर शराब के सेवन से जुड़ा माना जाता था, अब नॉन-अल्कोहोलिक फैटी लिवर डिजीज (NAFLD) के मामले कहीं अधिक देखे जा रहे हैं। शहरों में रहने वाले युवा फास्ट लाइफस्टाइल के कारण जल्दी बनने वाले खाने को प्राथमिकता देने लगे हैं। इन फूड्स में हाई ट्रांस फैट्स, शुगर और प्रिजर्वेटिव्स पाए जाते हैं, जो सीधे तौर पर लिवर पर असर डालते हैं। फैटी लिवर की शुरुआत बिना किसी लक्षण के होती है, लेकिन समय रहते पहचान न होने पर यह सिरोसिस या लिवर कैंसर का रूप ले सकता है।
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1. फिजिकल एक्टिविटी की कमी
डॉ. सूद के अनुसार, कोरोना महामारी के बाद घर से काम (वर्क फ्रॉम होम) का चलन और बढ़ा है, जिससे फिजिकल एक्टिविटी में भारी गिरावट आई है। लंबे समय तक बैठ कर काम करने से शरीर की चयापचय क्रिया (मेटाबॉलिज्म) धीमी हो जाती है और फैट लिवर में जमा होने लगता है। नियमित एक्सरसाइज की कमी इस बीमारी को और बढ़ा देती है।
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2. नींद और तनाव
एक और बड़ा कारण है नींद की क्वालिटी और मात्रा में गिरावट। अनियमित सोने-जागने का समय लिवर डिटॉक्स प्रक्रिया को प्रभावित करता है। वहीं, ऑफिस की डेडलाइंस, नौकरी का दबाव और सोशल मीडिया के चलते दिमाग को आराम नहीं मिलता। यह सब मिलकर शरीर में कोर्टिसोल हार्मोन का स्तर बढ़ाते हैं, जिससे वजन और पेट की चर्बी बढ़ती है, जो फैटी लिवर के प्रमुख कारकों में से एक है।
फैटी लिवर के लक्षण और इलाज
शुरुआती अवस्था में फैटी लिवर का कोई स्पष्ट लक्षण नहीं होता। परंतु कुछ मामलों में थकावट, पेट में भारीपन और अपच जैसी समस्याएं दिख सकती हैं। अल्ट्रासाउंड और लिवर फंक्शन टेस्ट से इसकी पुष्टि की जा सकती है। डॉ. सूद का कहना है कि नियमित एक्सरसाइज, संतुलित और घर का बना खाना, पर्याप्त नींद और तनाव मैनेजमेंट को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाना बेहद जरूरी है। प्रोसेस्ड फूड्स और शुगर ड्रिंक्स से दूरी बनाना लाभकारी है।
निष्कर्ष
फैटी लिवर अब उम्र नहीं देखता। यह हमारे शरीर में धीरे-धीरे अपनी पकड़ मजबूत करता है। इसलिए युवाओं को अभी से सजग रहना चाहिए। यदि समय रहते पहचान कर ली जाए और जरूरी बदलाव किए जाएं, तो इस रोग को रोका जा सकता है।
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Oct 05, 2025 09:21 IST
Modified By : Anurag GuptaOct 05, 2025 09:21 IST
Published By : Akanksha Tiwari