
आज के समय में नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज (NAFLD) सिर्फ उम्रदराज़ लोगों तक सीमित नहीं रही, बल्कि यह तेजी से युवाओं को भी अपनी चपेट में ले रही है। पहले यह रोग 40-50 साल की उम्र के बाद देखने को मिलता था, लेकिन अब 20 से 35 साल के युवाओं में भी फैटी लिवर की शिकायत आम होती जा रही है। यह चिंता की बात है क्योंकि नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लिवर, यानी बिना एल्कोहल का सेवन किए भी लिवर में फैट जमने की स्थिति, कई गंभीर लिवर रोगों की शुरुआत हो सकती है। लखनऊ के विकास नगर में स्थित न्यूट्रिवाइज क्लीनिक की न्यूट्रिशनिस्ट नेहा सिन्हा बताती हैं कि एक शोध के अनुसार, 38.6 प्रतिशत भारतीय लोगों में नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लिवर रोग के लक्षण देखे गए हैं। इसके साथ 84 प्रतिशत ऐसे लोग जो पूरे दिन बैठकर काम करते हैं या आईटी प्रोफेशनल हैं, उनमें यह बीमारी देखी गई है। साथ ही दिल्ली जैसे शहर में इस बीमारी का दर 56.4 प्रतिशत है। ये आंकड़े एक गंभीर स्वास्थ्य संकट की ओर संकेत कर रहे हैं। फैटी लिवर होने पर शुरुआत में लक्षण नहीं नजर आते, लेकिन समय रहते पहचान न होने पर यह लिवर सिरोसिस या लिवर फेल होने का कारण बन सकता है। इसलिए युवाओं में इस रोग की बढ़ती प्रवृत्ति को नजरअंदाज करना खतरनाक हो सकता है। आइए एक्सपर्ट्स की नजर से समझते हैं कि आखिर यह खतरा इतना बड़ा क्यों बन रहा है।
नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज क्या है?- What is Non Alcoholic Fatty Liver Disease

नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज एक ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति एल्कोहल का सेवन नहीं करता, फिर भी उसके लिवर में फैट जमने की स्थिति बन जाती है। लखनऊ के वेलनेस डाइट क्लीनिक की डाइटिशियन डॉ स्मिता सिंह ने बताया कि लिवर जब फैट को अपने अंदर इकट्ठा करना शुरू कर देते हैं, तो लिवर का फंक्शन प्रभावित होता है और इस बीमारी को हम फैटी लिवर डिजीज के नाम से जानते हैं। जब हम ज्यादा मात्रा में कैलोरीज या एल्कोहल का सेवन करते हैं, तो लिवर अतिरिक्त कैलोरीज को इकट्ठा करता है और फैट के फॉर्म में अपने अंदर स्टोर कर लेता है। जब लिवर में 5-10 प्रतिशत से ज्यादा फैट जमा होता है, तब इसे फैटी लिवर कहा जाता है।
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युवाओं में क्यों बढ़ रहा है नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लिवर रोग?- Why Non Alcoholic Fatty Liver Disease is Increasing Among Youngsters
- डॉक्टर्स बताते हैं कि आज की युवा पीढ़ी ज्यादा देर तक स्क्रीन के सामने बैठी रहती है, एक्सरसाइज नहीं करती और अनहेल्दी खाना खाती है। यह नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लिवर रोग का एक कारण हो सकता है।
- फास्ट फूड और प्रोसेस्ड फूड का ज्यादा सेवन लिवर में फैट जमने का कारण बनता है।
- नींद की कमी और स्ट्रेस भी मेटाबॉलिक डिसऑर्डर को जन्म दे सकते हैं।
- मोटापा और इंसुलिन रेजिस्टेंस भी फैटी लिवर के रिस्क फैक्टर्स हैं।
- पीसीओडी, थायरॉयड जैसी हार्मोनल समस्याएं भी युवा महिलाओं में इस बीमारी को बढ़ा रही हैं।
नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज के लक्षण- Non Alcoholic Fatty Liver Disease Symptoms
शुरुआत में कोई लक्षण नहीं दिखते, इसलिए इसे साइलेंट लिवर डिजीज कहा जाता है। यह बीमारी होने पर ये लक्षण नजर आते हैं-
- लगातार थकान होना
- दाहिने तरफ पेट के ऊपर हल्का दर्द होना
- वजन बढ़ना
- कमजोरी महसूस होना
नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लिवर रोग से बचने के लिए डाइट टिप्स- Diet Tips to Prevent Non Alcoholic Fatty Liver Disease
1. साबुत अनाज चुनें- मैदे की जगह बाजरा, ज्वार और रागी जैसे पारंपरिक अनाज खाएं।
2. प्लांट बेस्ड प्रोटीन का सेवन करें- दालें, चना और राजमा को अपनी डाइट में शामिल करें।
3. एंटी-इंफ्लेमेटरी स्पाइस का सेवन करें- हल्दी, मेथी और दालचीनी जैसे मसालों का इस्तेमाल करें।
4. प्रोसेस्ड चीजें कम करें- पैक्ड स्नैक्स, मीठे ड्रिंक्स और रिफाइंड तेल का सेवन कम करें।
5. हेल्दी फैट्स का सेवन करें- सरसों तेल या नारियल तेल जैसे कोल्ड प्रेस्ड ऑयल्स का सीमित मात्रा में इस्तेमाल करें।
6. हरी पत्तेदार सब्जियां खाएं- पालक, मेथी और अन्य साग, लिवर में फैट जमा होने से बचाते हैं।
7. फाइबर रिच फूड्स खाएं- साबुत अनाज, फल और सब्जियां, पाचन और लिवर डिटॉक्स में मदद करते हैं।
8. पर्याप्त पानी पिएं- शरीर और लिवर से टॉक्सिन निकालने के लिए हाइड्रेट रहें।
9. नियमित एक्सरसाइज करें- एक्टिव रहने से वजन कंट्रोल में रहता है और लिवर का फैट घटता है।
10. एल्कोहल को छोड़ दें- एल्कोहल, लिवर फैट बढ़ाने का सबसे बड़ा कारण है, इससे दूर रहें।
11. ब्लैक कॉफी पिएं- बिना दूध या चीनी वाली ब्लैक कॉफी का सेवन कर सकते हैं। एक शोध में इसे फैटी लिवर से छुटकारा पाने के लिए असरदार माना गया है।
नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज से कैसे बचें?- Non Alcoholic Fatty Liver Disease Prevention Tips
नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लिवर रोग से बचने के लिए डॉक्टर्स यह सलाह देते हैं कि अगर सही समय पर लाइफस्टाइल में सुधार कर लिया जाए, तो इस रोग को बचा जा सकता है-
- रोज कम से कम 30 मिनट नियमित एक्सरसाइज करें।
- फाइबर युक्त और कम फैट वाला भोजन करें।
- चीनी और रिफाइंड कार्ब्स से बचें।
- नींद पूरी लें और स्ट्रेस को कम करें।
- साल में 1 बार लिवर फंक्शन टेस्ट करवाना भी जरूरी है।
नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज अब सिर्फ एक उम्र विशेष की बीमारी नहीं रही, बल्कि यह युवाओं के स्वास्थ्य पर भी गहरा असर डाल रही है। इसका इलाज संभव है, लेकिन इसके लिए जरूरी है कि लोग समय रहते सावधानी बरतें, अपने खान-पान और दिनचर्या पर ध्यान दें, और नियमित जांच कराएं।
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FAQ
नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज क्या है?
यह लिवर की वह स्थिति है जिसमें बिना एल्कोहल पिए ही लिवर में फैट जमा होने लगता है। यह लाइफस्टाइल, मोटापा और गलत खानपान के कारण होता है।एल्कोहॉलिक लिवर डिजीज क्या है?
यह लिवर की बीमारी है जो ज्यादा एल्कोहल पीने से होती है। इसमें लिवर की कोशिकाएं डैमेज हो जाती हैं और लिवर धीरे-धीरे खराब होने लगता है।लिवर से फैट कैसे निकालें?
संतुलित भोजन लें, एक्सरसाइज करें, शुगर और तले हुए भोजन से बचें। खूब पानी पिएं और एल्कोहल व प्रोसेस्ड फूड से दूरी बनाएं।
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