Fatty Liver During Pregnancy: प्रेग्नेंसी के दौरान अगर लिवर में फैट जमा होने लगे, तो फैटी लिवर की समस्या हो सकती है। यह बीमारी आमतौर पर तीसरी तिमाही में देखने को मिलती है। जो महिलाएं पहली बार प्रेग्नेंट होती हैं, डायबिटीज की समस्या हो, मोटापा हो या जुड़वा (risk factors of fatty liver during pregnancy) बच्चे हों, उनमें फैटी लिवर की संभावना ज्यादा हो सकती है। इसका समय पर इलाज कराना बहुत जरूरी है, क्योंकि कई मामलों में यह मां और शिशु की जिंदगी का भी जोखिमभरा साबित हो सकता है। महिलाओं को यह परेशानी क्यों होती है और इसे कैसे मैनेज किया जाए, वर्ल्ड लिवर डे (World Liver Day) के मौके पर इस बारे में हमने फरीदाबाद के मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स के प्रोग्राम क्लिनिकल डायरेक्टर, एचओडी-लिवर ट्रांसप्लांटऔर एचपीबी सर्जरी डॉ. पुनीत सिंगला ( Dr Punit Singla, Program Clinical Director - Institute of Liver Transplant & HPB Surgery, Marengo Asia Hospitals, Faridabad) से बातचीत की।
प्रेग्नेंसी में फैटी लिवर की समस्या क्यों होती है? Why Fatty Liver in Pregnancy?
डॉ. पुनीत सिंगला ने बताया, “प्रेग्नेंसी में फैटी लिवर की समस्या थोड़ी रेयर होती है, लेकिन जो महिलाएं इसकी चपेट में आ जाती है, उनके लिए यह स्थिति काफी गंभीर हो सकती है। प्रेग्नेंसी में फैटी लिवर की इस समस्या को एक्यूट फैटी लिवर प्रेग्नेंसी (AFLP) भी कहा जाता है। इस स्थिति में लिवर में फैट जमा होने पर सूजन आ जाती है। इस दौरान अगर लिवर का आकार बढ़ने लगे, तो जटिलताओं का रिस्क बढ़ जाता है। फैटी लिवर का असर मां और भ्रूण दोनों पर पड़ता है। अगर कोई महिला पहली बार प्रेग्नेंट है, या फिर जुड़वा या एक से अधिक बच्चों को जन्म देने वाली है, तो उन्हें थोड़ा अधिक खतरा होता है।”
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फैटी लिवर के कारण प्रेग्नेंसी कौन सी जटिलताएं हो सकती है? - Complications of Fatty Liver in Pregnancy
डॉ. पुनीत सिंगला कहते हैं कि AFLP ((Acute Fatty Liver of Pregnancy) होने के स्पष्ट कारण तो नहीं है, लेकिन आनुवांशिक (Genetic) और हार्मोनल फैक्टर्स (Hormonal Factors) इसकी बड़ी वजह हो सकते हैं। आमतौर पर प्रेग्नेंसी में हार्मोनल बदलाव भी देखने को मिलते हैं, जो लिवर पर असर डाल सकते हैं। इसके अलावा, अगर परिवार में माता-पिता को लिवर संबंधी बीमारियां हैं, तो इससे आगे की जनरेशन में भी इसका जोखिम बढ़ सकता है।
डॉ. पुनीत कहते हैं कि अगर प्रेग्नेंसी में समय रहते फैटी लिवर की पहचान न हो पाए या इलाज न मिले, तो कई तरह की गंभीर जटिलताएं हो सकती हैं।
- लिवर फेलियर
- किडनी की समस्याएं
- समय से पहले डिलीवरी होना
- मां और शिशु की जान को खतरा
प्रेग्नेंसी में फैटी लिवर के लक्षण - Symptoms of Fatty Liver in Pregnancy
डॉ. पुनीत सिंगला ने कहा कि जो महिलाएं पहली बार प्रेग्नेंट हो रही है, या फिर जुड़वा या इससे ज्यादा भ्रूण है, तो फैटी लिवर के लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन कुछ लक्षण आम होते हैं। इन पर ध्यान रखना बहुत जरूरी है।
- लगातार मतली और उल्टी होना
- पेट के ऊपरी दाहिने हिस्से में दर्द होना
- पीलिया होना जिसमें त्वचा और आंखें पीली दिखने लगती है
- बहुत ज्यादा थकान होना
- भ्रम जैसी स्थिति होना
- हाथों या पैरों में सूजन आना
इन लक्षणों के दिखने पर डॉक्टर से सलाह लें और AFLP की जांच के लिए ब्लड टेस्ट, अल्ट्रासाउंड कराने की सलाह दी जाती है।
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प्रेग्नेंसी में फैटी लिवर को कैसे मैनेज करें? - How to Manage Fatty Liver in Pregnancy?
डॉ. पुनीत सिंगला ने प्रेग्नेंसी में फैटी लिवर को मैनेज करने के तरीके बताएं हैं -
- कम सैचुरेटेड फैट वाला संतुलित आहार लें - यह प्रेग्नेंसी में लिवर की सूजन को कंट्रोल करने में मदद कर सकता है।
- नियमित जांच कराएं - इससे लिवर की सेहत का पता चलता है।
- पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं - पानी से लिवर सही तरीके से काम करेगा।
- गंभीर मामलों में डॉक्टर से सलाह लें - कुछ केस में मां और बच्चे की सेहत को मॉनीटर करने के लिए अस्पताल में एडमिट करने की जरूरत भी पड़ सकती है।
प्रेग्नेंसी में मां और शिशु को सेहतमंद रखने के लिए लिवर का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। अगर किसी भी तरह के लक्षण नजर आएं, तो बिना देर किए तुरंत डॉक्टर की सलाह लें।