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बैठे रहने की आदत कैसे बढ़ा रही है फैटी लिवर का खतरा? जानिए डॉक्टर की राय

खराब लाइफस्टाइल के कारण बीते कुछ सालों में फैटी लिवर के मामलों में बढ़ोतरी हुई है। यहां जानिए, क्या ज्यादा बैठने से फैटी लिवर होता है?
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बैठे रहने की आदत कैसे बढ़ा रही है फैटी लिवर का खतरा? जानिए डॉक्टर की राय


आजकल की तेज रफ्तार जिंदगी ने जहां एक ओर कामकाज को डिजिटल और आसान बना दिया है, वहीं दूसरी ओर सेहत पर इसका गहरा प्रभाव पड़ रहा है। खासतौर पर वर्किंग कल्चर में लंबे समय तक एक ही जगह पर बैठे रहना, घंटों कंप्यूटर या मोबाइल स्क्रीन के सामने समय बिताना और शरीर की सामान्य एक्टिविटी में भारी कमी आना एक सेडेंटरी लाइफस्टाइल को जन्म दे रहा है। यह इनएक्टिव लाइफस्टाइल धीरे-धीरे गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन रही है, जिनमें से एक है फैटी लिवर। आज की पीढ़ी खासतौर पर युवा वर्ग, काम के दबाव और बिजी दिनचर्या के चलते न तो सही समय पर भोजन कर पाता है और न ही पौष्टिक खानपान पर ध्यान देता है। फास्ट फूड, प्रोसेस्ड आइटम्स, ज्यादा तली-भुनी चीजें और शुगर ड्रिंक्स जैसे फूड्स अब दिनचर्या का हिस्सा बन चुके हैं। इस लेख में मेदांता हॉस्पिटल के गैस्ट्रोएंटेरोलॉजी और गैस्ट्रोसाइंसेस विभाग के चेयरमैन डॉ. रंधीर सूद (Dr. Randhir Sud Chairman of Gastroenterology and Gastro Sciences, Medanta Hospital) से जानिए, क्या ज्यादा बैठने से फैटी लिवर का खतरा होता है?

बैठे रहने की आदत से कैसे बढ़ता है फैटी लिवर का खतरा - How Sedentary Lifestyle Increase Risk of Fatty Liver

इस विषय पर मेदांता हॉस्पिटल के गेस्ट्रोएंट्रोलॉजी और गैस्ट्रोसाइंसेस के चेयरमैन डॉ. रंधीर सूद ने बताया कि फैटी लिवर एक ऐसी स्थिति है, जिसमें लिवर की कोशिकाओं में ज्यादा फैट जमा हो जाता है। यह स्थिति शुरू में बिना लक्षण के होती है, लेकिन समय के साथ यह गंभीर लिवर रोगों जैसे सिरोसिस और लिवर फेलियर में बदल सकती है। फैटी लिवर मुख्य रूप से दो प्रकार का होता है- अल्कोहोलिक फैटी लिवर और नॉन-अल्कोहोलिक फैटी लिवर। डॉ. सूद के अनुसार, लंबे समय तक बैठना यानी "सेडेंटरी लाइफस्टाइल" लिवर में फैट जमा करने की प्रक्रिया (Can sitting too much cause fatty liver) को तेज कर देता है। जब हम पर्याप्त फिजिकल एक्टिविटी नहीं करते, तो शरीर अतिरिक्त कैलोरी को वसा यानी फैट के रूप में लिवर में जमा करना शुरू कर देता है। इससे लिवर की कार्यक्षमता प्रभावित होती है और धीरे-धीरे फैटी लिवर की समस्या उभरने लगती है।

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कोरोना महामारी के दौरान और बाद में बड़ी संख्या में लोग घर से काम करने लगे। इससे फिजिकल एक्टिविटी घट गई, खाने का रूटीन बिगड़ गया और तनाव बढ़ गया। डॉ. सूद बताते हैं कि पिछले कुछ वर्षों में हमने देखा है कि ऑफिस जाने और बाहर एक्टिव रहने वाले लोग अब दिनभर कुर्सी पर बैठे रहते हैं और इसका सीधा असर उनके लिवर पर पड़ा है।

Sedentary Lifestyle Increase Risk of Fatty Liver

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खानपान के कारण फैटी लिवर

अनहेल्दी ईटिंग हैबिट्स जैसे कि प्रोसेस्ड फूड, अधिक चीनी और फैट युक्त भोजन भी फैटी लिवर का मुख्य कारण बनते हैं। फास्ट फूड और शुगर ड्रिंक्स लिवर पर ज्यादा दवाब डालते हैं, जो पहले से ही इनएक्टिव लाइफस्टाइल की वजह से कमजोर हो चुका होता है। डॉ. सूद बताते हैं कि लंबे समय तक तनाव में रहना और पूरी नींद न लेना भी शरीर के मेटाबॉलिज्म को बिगाड़ता है, जिससे फैट का सही तरीके से उपयोग नहीं हो पाता और वह लिवर में जमा होने लगता है। मानसिक स्वास्थ्य और लिवर हेल्थ का आपस में गहरा संबंध है। फैटी लिवर के शुरुआती लक्षण अक्सर नजर नहीं आते। लेकिन थकान, पेट के ऊपरी हिस्से में भारीपन और अनजानी कमजोरी इसके संकेत हो सकते हैं। अगर समय रहते इसे नजरअंदाज किया गया, तो यह गंभीर लिवर रोगों का कारण बन सकता है।

निष्कर्ष

फैटी लिवर को रोका जा सकता है अगर हम समय रहते अपनी लाइफस्टाइल में बदलाव (Does sedentary lifestyle cause fatty liver) करें। डॉ. रंधीर सूद कहते हैं कि शरीर को एक्टिव रखना, खाने पर ध्यान देना और तनाव से दूर रहना ही इसका सबसे प्रभावी इलाज और बचाव है।

All Images Credit- Freepik

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