
सर्दियों का मौसम आते ही हमारी प्यास मानो कहीं गायब-सी हो जाती है। गर्मियों में जहां थोड़ी देर बाहर निकलते ही गला सूखने लगता है, वहीं ठंड के दिनों में घंटों तक पानी पीने की याद नहीं आती। कई लोग यह मान लेते हैं कि सर्दियों में शरीर को पानी की उतनी जरूरत नहीं होती, इसलिए कम पानी पीना बिलकुल सामान्य है लेकिन क्या यह सोच सही है? मेडिकल एक्सपर्ट्स की मानें तो ठंड में कम प्यास लगना शरीर का एक भ्रम पैदा करने वाला संकेत हो सकता है, जो सेहत के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है। इस लेख में यशोदा हॉस्पिटल, हैदराबाद के सीनियर कंसल्टेंट फिजिशियन और डायबेटोलॉजिस्ट डॉ. जी. कृष्णा मोहन रेड्डी (Dr. G. Krishna Mohan Reddy, Senior Consultant Physician, Diabetologist, Yashoda Hospitals, Hyderabad) से जानिए, सर्दियों में प्यास कम क्यों लगती है?
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सर्दियों में प्यास कम क्यों लगती है? - Why do we feel less thirsty in winter
फिजिशियन और डायबेटोलॉजिस्ट डॉ. जी. कृष्णा मोहन रेड्डी बताते हैं कि ठंड में प्यास कम लगने के पीछे शरीर की एक प्राकृतिक प्रतिक्रिया होती है, न कि पानी की कम जरूरत। ठंडे मौसम में शरीर खुद को गर्म रखने के लिए रक्त वाहिकाओं यानी ब्लड वेसल्स को सिकोड़ देता है। इस प्रक्रिया को वेसोकंस्ट्रिक्शन कहा जाता है। जब रक्त वाहिकाएं सिकुड़ती हैं, तो शरीर के अंदर रक्त का दबाव थोड़ा बढ़ जाता है। इससे दिमाग को यह संकेत मिलता है कि शरीर में तरल पदार्थ पर्याप्त मात्रा में मौजूद हैं। नतीजतन, प्यास का संकेत कमजोर हो जाता है और हमें कम प्यास महसूस होती है।
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गर्मियों में पसीना आना प्यास लगने का सबसे बड़ा कारण होता है। पसीने के साथ शरीर से पानी और जरूरी इलेक्ट्रोलाइट्स बाहर निकल जाते हैं, जिससे दिमाग तुरंत पानी पीने का संकेत देता है। लेकिन सर्दियों में पसीना बहुत कम आता है। जब पसीना नहीं निकलता, तो शरीर को पानी की कमी का सीधा अहसास नहीं होता और प्यास कम लगती है। हालांकि इसका मतलब यह नहीं है कि शरीर पानी नहीं खो रहा।
- ठंड के मौसम में लोग आमतौर पर चाय, कॉफी या अन्य गर्म ड्रिंक ज्यादा पीते हैं और सादा पानी कम पीते हैं। कई बार लोग यह मान लेते हैं कि चाय या कॉफी ही पानी की कमी पूरी कर देगी, जबकि ऐसा पूरी तरह सही नहीं है।
- इसके अलावा सर्दियों में फिजिकल एक्टिविटी भी कम हो जाती है। कम चलना-फिरना और कम पसीना आना भी प्यास की भावना को कम कर देता है।
- डॉ. रेड्डी के अनुसार, भले ही सर्दियों में प्यास कम लगे, लेकिन शरीर में पानी की कमी यानी डिहाइड्रेशन फिर भी हो सकता है।
- इसके लक्षणों में होंठों का सूखना, लगातार थकान महसूस होना, सिरदर्द, चक्कर आना और पेशाब का रंग गहरा होना शामिल है।
- लंबे समय तक डिहाइड्रेशन रहने से किडनी, पाचन और इम्यून सिस्टम पर भी असर पड़ सकता है।
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सर्दियों में खुद को हाइड्रेट कैसे रखें? - How to stay hydrated during the winter
सर्दियों में सेहतमंद रहने के लिए जरूरी है कि प्यास लगने का इंतजार किए बिना नियमित रूप से पानी पिया जाए। गुनगुना पानी पीना एक अच्छा विकल्प है, क्योंकि यह शरीर को आराम देता है और पाचन में भी मदद करता है। इसके अलावा सूप, दाल, सब्जियों का शोरबा और हर्बल चाय भी शरीर में तरल की मात्रा बनाए रखने में सहायक होते हैं।
निष्कर्ष
ठंड के मौसम में प्यास कम लगना एक सामान्य शारीरिक प्रक्रिया है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि शरीर को पानी की जरूरत कम हो गई है। डॉ. जी. कृष्णा मोहन रेड्डी के अनुसार, सर्दियों में भी पर्याप्त मात्रा में पानी पीना उतना ही जरूरी है जितना गर्मियों में। सही हाइड्रेशन से न केवल डिहाइड्रेशन से बचाव होता है, बल्कि शरीर की एनर्जी, इम्यूनिटी और ओवरऑल हेल्थ भी बनी रहती है।
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FAQ
क्या सर्दियों में भी डिहाइड्रेशन हो सकता है?
ठंडी और सूखी हवा, सांस के जरिए नमी का निकलना और हीटर के उपयोग से शरीर से पानी लगातार बाहर निकलता रहता है, जिससे डिहाइड्रेशन हो सकता है।ठंड में कितना पानी पीना चाहिए?
प्यास लगे या न लगे, दिनभर नियमित अंतराल पर पानी पीना चाहिए। गुनगुना पानी, सूप और हर्बल चाय भी हाइड्रेशन में मदद करते हैं।ठंड में डिहाइड्रेशन के लक्षण क्या हैं?
होंठों का सूखना, थकान, सिरदर्द, चक्कर आना और पेशाब का रंग गहरा होना डिहाइड्रेशन के सामान्य संकेत हैं।
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Dec 26, 2025 11:35 IST
Published By : Akanksha Tiwari
