प्रेग्नेंसी का समय हर महिला के लिए एक खूबसूरत सफर होता है और जब यह सफर एक नन्हे शिशु के जन्म के साथ पूरा होता है, तो परिवार में अलग ही खुशी का माहौल होता है। नवजात शिशु की देखभाल माता-पिता के लिए जितनी खास होती है, उतनी ही सेंसिटिव भी होती है। हर छोटी-बड़ी हरकत पर नजर रखी जाती है, बच्चा कितना सो रहा है, दूध कैसे पी रहा है, रोता है या मुस्कुराता है और सबसे जरूरी बात वह सोते वक्त क्या करता है? बहुत से नए पेरेंट्स को एक चीज अक्सर चौंका देती है कि उनका बच्चा नींद में बहुत बार हाथ-पैर फेंकता है, शरीर को तानता है, अंगुलियां फैलाता है या पीठ को झुकाता है। कई बार ऐसा लगता है जैसे वह कुछ असहज महसूस कर रहा हो। ऐसे में पेरेंट्स के मन में सवाल उठता है कि क्या यह सामान्य है? क्या हमारे बच्चे को कोई तकलीफ है? (Why does my baby stretch while sleeping) या यह उसके विकास का हिस्सा है? इस लेख में हम डॉ. सुमित चक्रवर्ती, एसोसिएट डायरेक्टर, पीडियाट्रिक्स व नियोनेटोलॉजी एंड हेड, एनआईसीयू, एशियन हॉस्पिटल (Dr. Sumit Chakravarty, Pediatrics & Neonatology and Head, NICU, Asian Hospital) से विस्तार से जानेंगे कि आखिर शिशु नींद में शरीर को स्ट्रेच क्यों करते हैं, इसके पीछे कौन-कौन से कारण होते है।
बेबी के सोते वक्त स्ट्रेच करने की वजह - Why do babies stretch so much when sleeping
डॉ. सुमित चक्रवर्ती बताते हैं कि हर नए माता-पिता ने यह देखा होगा कि उनका नवजात शिशु या कुछ महीने का बच्चा जब सोता है, तो वह अक्सर शरीर को स्ट्रेच (Why does my baby stretch so much while sleeping) करता है। यह देख कई बार माता-पिता सोच में पड़ जाते हैं क्या बच्चा ठीक है? क्या उसे कुछ दिक्कत है? या ये सामान्य विकास का हिस्सा है? असल में शिशुओं का नींद में स्ट्रेच करना न केवल सामान्य है, बल्कि यह उनकी सेहत और ग्रोथ से गहराई से जुड़ा हुआ व्यवहार है।
1. मसल्स की मजबूती
जन्म के समय बच्चे के मांसपेशियां बहुत नाजुक होती हैं। स्ट्रेचिंग से उनकी मसल्स में एक्टिविटी बढ़ती है और यह उन्हें ताकतवर बनाने में मदद करती है।
इसे भी पढ़ें: शिशु को दूध पिलाते समय हर न्यू मॉम करती हैं ये 5 गलतियां, जानें बचने का उपाय
2. ब्लड सर्कुलेशन
जब बच्चा शरीर को फैलाता है तो रक्त संचार तेज होता है, जिससे पूरे शरीर में ऑक्सीजन और पोषण सही तरीके से पहुंचता है।
3. शरीर को ढालना
बच्चा 9 महीने तक एक टाइट और सीमित जगह यानी गर्भाशय में रहता है। वहां वह सिकुड़ा हुआ रहता है। लेकिन जन्म के बाद उसे खुली जगह मिलती है जहां वह शरीर को पूरी तरह फैला सकता है। यह प्राकृतिक अनुकूलन है जो शिशु को बाहरी वातावरण में ढलने और मांसपेशियों को विकास की दिशा में लाने में मदद करता है।
इसे भी पढ़ें: क्या शिशु को दूध में ब्रेड भिगोकर खिलाना सेफ होता है? डॉक्टर से जानें जवाब
4. डाइजेशन और गैस
छोटे शिशुओं में पाचन प्रणाली पूरी तरह परिपक्व नहीं होती। गैस बनना, पेट फूलना या मल त्याग से पहले हल्का तनाव महसूस होना आम है। ऐसे में शिशु पेट पर हल्का दबाव देने के लिए शरीर को स्ट्रेच करता है। कई बार स्ट्रेचिंग गैस पास करने और मल त्याग में भी मदद करती है। अगर बच्चा बहुत बार स्ट्रेच करता है और साथ में रोता भी है, तो यह गैस या अपच का संकेत हो सकता है।
5. विकास
शिशुओं की ग्रोथ बहुत तेजी से होती है, कभी-कभी तो हर हफ्ते में कुछ सेंटीमीटर लंबाई बढ़ सकती है। ऐसे में उनकी मांसपेशियां और हड्डियां स्ट्रेचिंग की जरूरत महसूस करती हैं। ग्रोथ स्पर्ट के दौरान बच्चे ज्यादा स्ट्रेच करते हैं और ज्यादा सोते हैं। स्ट्रेचिंग का मतलब यह भी हो सकता है कि बच्चा अंदरूनी रूप से मजबूत हो रहा है।
ज्यादातर मामलों में शिशु का सोते समय स्ट्रेच पूरी तरह सामान्य और हेल्दी है। लेकिन कुछ मामलों में अगर स्ट्रेचिंग के साथ बच्चा बार-बार जोर से रोए, पीठ मोड़े, सांस लेने में दिक्कत हो या दूध पीने से इंकार करे तो डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। कुछ रेयर स्थितियों में मसल टोन डिसऑर्डर या न्यूरोलॉजिकल समस्या की वजह से भी बच्चा शरीर को असामान्य ढंग से तानता है। लेकिन ये बहुत ही दुर्लभ हैं और आमतौर पर स्ट्रेचिंग चिंता की बात नहीं होती।
निष्कर्ष
शिशुओं का नींद में स्ट्रेच करना पूरी तरह से सामान्य और पॉजिटिव संकेत है। यह न केवल उनकी ग्रोथ को दर्शाता है, बल्कि यह उनकी मांसपेशियों, पाचन और नींद के पैटर्न का अहम हिस्सा (Why do babies stretch when sleeping) भी है। अगर बच्चा खुश, एक्टिव और ठीक से दूध पी रहा है, तो स्ट्रेचिंग को लेकर चिंता करने की जरूरत नहीं है। माता-पिता बस बच्चे को प्यार, आराम और सुरक्षा दें बाकी शरीर अपना काम खुद कर रहा है।
All Images Credit- Freepik
FAQ
दूध पिलाते समय कौन सी सावधानी बरतनी चाहिए?
दूध पिलाते समय मां को कुछ जरूरी सावधानियां जरूर बरतनी चाहिए। सबसे पहले, मां और बच्चे दोनों की स्थिति आरामदायक होनी चाहिए ताकि बच्चे को सही पकड़ मिल सके और वह आसानी से दूध पी सके। स्तनपान करते समय बच्चे का सिर और गर्दन सीधी रखें और उसका मुंह पूरी तरह निप्पल को घेरे। दूध पिलाने से पहले और बाद में अपने हाथ धोएं और स्तनों की सफाई का ध्यान रखें। हर फीड के बाद बच्चे को डकार जरूर दिलवाएं ताकि गैस की समस्या न हो।बच्चे की गर्दन किस महीने में स्थिर होती है?
शिशु की गर्दन 3 से 4 महीने की उम्र तक स्थिर होने लगती है। जन्म के समय बच्चे की गर्दन बहुत कमजोर होती है और वह अपना सिर खुद नहीं संभाल पाता। पहले महीने में गर्दन में थोड़ा बहुत मूवमेंट दिख सकता है, लेकिन यह कंट्रोल में नहीं होता। दूसरे महीने से मांसपेशियां धीरे-धीरे मजबूत होने लगती हैं और बच्चा पेट के बल लेटकर सिर कुछ सेकंड के लिए उठा सकता है। तीसरे से चौथे महीने तक अधिकांश बच्चे अपने सिर को स्थिर रखने लगते हैं।बच्चे कितने महीने में पलटना शुरू करते हैं?
अधिकांश बच्चे 4 से 6 महीने की उम्र के बीच पलटना (रोल ओवर) शुरू करते हैं। पहले वे पेट के बल से पीठ की ओर पलटना सीखते हैं, जो आमतौर पर 4 महीने की उम्र के आसपास होता है। फिर वे पीठ से पेट की ओर पलटना 5 से 6 महीने की उम्र में सीखते हैं। यह उनकी गर्दन, पीठ और हाथ-पैर की मांसपेशियों के मजबूत होने का संकेत होता है। कुछ बच्चे थोड़ा जल्दी या देर से भी पलट सकते हैं, जो सामान्य है।