चॉकलेट बच्चों और बड़ों दोनों की पसंदीदा होती है, स्वाद में मीठी और मुंह में घुल जाने वाली, चॉकलेट अक्सर खुशियों के मौके पर खाई जाती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कुछ लोगों के लिए यही चॉकलेट सिरदर्द और माइग्रेन का कारण भी बन सकती है? कई माइग्रेन मरीजों ने यह अनुभव किया है कि चॉकलेट खाने के तुरंत बाद उन्हें सिर में तेज दर्द, आंखों के पीछे दबाव या हल्का मतली जैसा महसूस होता है। यह सवाल अक्सर दिमाग में आता है कि आखिर चॉकलेट में ऐसा क्या है जो कुछ लोगों के लिए इतना खतरनाक साबित होता है? इस लेख में जयपुर स्थित Angelcare-A Nutrition and Wellness Center की निदेशक, डाइटिशियन एवं न्यूट्रिशनिस्ट अर्चना जैन (Archana Jain, Dietitian and Nutritionist, Director, Angelcare-A Nutrition and Wellness Center, Jaipur) से जानिए, चॉकलेट खाने से माइग्रेन क्यों ट्रिगर होता है?
चॉकलेट और माइग्रेन का कनेक्शन - Why Chocolate Triggers Migraine
डाइटिशियन एवं न्यूट्रिशनिस्ट अर्चना जैन बताती हैं कि चॉकलेट में कुछ ऐसे तत्व पाए जाते हैं जो सेंसिटिव लोगों में माइग्रेन शुरू कर सकते हैं। इनमें सबसे प्रमुख हैं कैफीन, थियोब्रोमाइन। ये तत्व मस्तिष्क में न्यूरोट्रांसमीटर के लेवल को प्रभावित कर सकते हैं और रक्त वाहिकाओं यानी ब्लड वैसेल्स को सिकोड़ने या फैलने का संकेत दे सकते हैं। परिणामस्वरूप संवेदनशील व्यक्ति के सिर में दर्द या माइग्रेन शुरू हो सकता है।
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माइग्रेन एक न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है, कुछ लोगों में चॉकलेट के खाने से सेरोटोनिन लेवल में बदलाव होता है। सेरोटोनिन मस्तिष्क में दर्द और मूड को कंट्रोल करता है। इसके असंतुलन से रक्त वाहिकाओं का फैलाव या सिकुड़ाव होता है, जिससे सिर में तेज दर्द या माइग्रेन का अटैक शुरू हो सकता है। हर व्यक्ति का माइग्रेन ट्रिगर अलग होता है। कुछ लोग चॉकलेट खाने के बाद तुरंत दर्द महसूस करते हैं, तो कुछ लोग इसे खा सकते हैं। आमतौर पर जिन लोगों के माइग्रेन अटैक पहले से मौजूद हों या जो तनावग्रस्त हों, उनके लिए चॉकलेट एक और ट्रिगर बन सकता है।
एक्सपर्ट की सलाह
डाइटिशियन एवं न्यूट्रिशनिस्ट अर्चना जैन बताती हैं कि रोजाना खाने-पीने की चीजों और माइग्रेन अटैक को नोट करें, ताकि पता चले कि चॉकलेट किस हद तक प्रभावित कर रही है। डार्क चॉकलेट में थियोब्रोमाइन और कैफीन जैसे तत्व ज्यादा होते हैं, इसलिए संवेदनशील लोग इसे कम खाएं। इसके अलावा स्ट्रेस और नींद पर ध्यान दें, क्योंकि माइग्रेन केवल खाने से नहीं, बल्कि स्ट्रेस, नींद की कमी और हार्मोनल बदलाव से भी प्रभावित होता है।
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माइग्रेन का इलाज केवल दवाई से नहीं होता। सही लाइफस्टाइल, बैलेंस डाइट और ट्रिगर की पहचान बहुत जरूरी है। एक्सपर्ट का कहना है कि माइग्रेन वाले लोगों को अपने खाने-पीने और आदतों पर ध्यान देना चाहिए, ताकि अटैक की आवृत्ति और तीव्रता कम हो सके।
निष्कर्ष
चॉकलेट स्वादिष्ट होती है, लेकिन कुछ संवेदनशील लोगों के लिए यह माइग्रेन का कारण बन सकती है। इसमें मौजूद थियोब्रोमाइन, कैफीन मस्तिष्क की नसों और न्यूरोट्रांसमीटर को प्रभावित कर सकते हैं। इसलिए माइग्रेन वाले लोग चॉकलेट का सेवन सीमित करें और अपनी ट्रिगर डायरी बनाएं। सही जानकारी और सावधानी से चॉकलेट का आनंद लिया जा सकता है बिना सिरदर्द की परेशानी के।
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FAQ
क्या चॉकलेट हर किसी में माइग्रेन ट्रिगर करती है?
केवल उन लोगों में जो पहले से माइग्रेन या सिरदर्द की समस्या से पीड़ित हैं, चॉकलेट माइग्रेन ट्रिगर कर सकती है। अन्य लोग इसे सुरक्षित तरीके से खा सकते हैं।माइग्रेन ट्रिगर को कैसे पहचाना जा सकता है?
माइग्रेन ट्रिगर डायरी बनाकर। रोजाना खाने-पीने की चीजों और माइग्रेन अटैक को नोट करें। इससे पता चल जाएगा कि चॉकलेट या अन्य फूड्स अटैक का कारण हैं या नहीं।क्या डार्क चॉकलेट और मिल्क चॉकलेट में अंतर है?
डार्क चॉकलेट में थियोब्रोमाइन और कैफीन की मात्रा ज्यादा होती है, इसलिए संवेदनशील लोगों को इसे कम मात्रा में लेना चाहिए।
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Current Version
Sep 29, 2025 17:27 IST
Published By : Akanksha Tiwari