Doctor Verified

आजकल क्यों बढ़ रहा है बच्चों में अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर, जानें डॉक्टर से

ADHD यानी अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर की समस्या आज के समय में बच्चों में बहुत ज्यादा बढ़ गई है, आइए जानते हैं इसके कारण- 
  • SHARE
  • FOLLOW
आजकल क्यों बढ़ रहा है बच्चों में अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर, जानें डॉक्टर से


आज के समय में माता-पिता दोनों वर्किंग होते हैं, जिस कारण बच्चों पर सही ध्यान देना काफी मुश्किल हो गया है। लेकिन, इसके बाद भी पेरेंट्स अपने बच्चों को अच्छी लाइफस्टाइल और परवरिश देने की कोशिश करते हैं। लेकिन, इसके बाद भी कुछ बच्चों में ऐसी बीमारियां बढ़ जाती हैं, जिसे कई बार बच्चों के नॉर्मल व्यवहार के रूप में देखा जाता है। लेकिन बच्चों में ध्यान की कमी, बहुत ज्यादा चंचलता और अचानक बहुत ज्यादा गुस्सा आना या सही तरह से पढ़ाई न करने जैसे लक्षण ADHD यानी अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर का संकेत हो सकता है, जिसे अक्सर पेरेंट्स शरारत, बदतमीजी या चंचलता के रूप में देखते हैं। ऐसे में आइए गुरुग्राम के नारायणा अस्पताल के सीनियर कंसल्टेंट और डायरेक्टर, न्यूरोसर्जरी के डॉ. उत्कर्ष भगत (Dr. Utkarsh Bhagat, Senior Consultant & Director, Neurosurgery, Narayana Hospital, Gurugram) से जानते हैं कि बच्चों में ADHD की समस्या क्यों बढ़ रही है?

बच्चों में ADHD होने के कारण

डॉ. उत्कर्ष भगत के अनुसार, बच्चों में ADHD की समस्या पहले रही है, लेकिन लोग इसे बच्चों की हरकत और व्यवहार समझकर नजरअंदाज कर देते थे। हालांकि आज के समय में इलाज और जागरूकता के कारण बच्चों में इस बीमारी को आसानी से पहचाना जा सकता है। आइए जानते हैं इस समस्या के बढ़ने के और क्या कारण हो सकते हैं-

1. ADHD को लेकर जागरूकता

बच्चों में ADHD की समस्या सदियों से हैं, लेकिन आज के समय में इसके ज्यादा मामले आने का कारण लोगों में इस बीमारी की बढ़ती जागरूकता है। पहले बच्चे अगर ध्यान नहीं लगाते थे या ज्यादा शरारत करते थे तो लोग उन्हें शरारती या जिद्दी समझते थे। लेकिन, अब माता-पिता बच्चों में इस बीमारी को पहचानने लगे हैं। आज के समय में जब कोई बच्चा ओवरएक्टिव लगता है और पढ़ाई में फोकस नहीं कर पाता है, जो पेरेंट्स उन्हें डॉक्टर के पास ले जाते हैं, जिससे उनमें ADHD की पहचान आसानी से की जा सकती है।

इसे भी पढ़ें: ADHD टेस्ट: कैसे पता चलता है बच्चे को Attention Deficit Hyperactivity Disorder है? डॉक्टर से जानें

2. जेनेटिक कारण

ADHD एक न्यूरोलॉजिकल यानी दिमाग से जुड़ी समस्या है, जो कई बार जेनेटिक कारणों से भी हो सकता है। अगर पेरेंट्स में ये समस्या है तो बच्चे को भी होने की संभावना बढ़ जाती है। ADHD वाले बच्चों के दिमाग में कुछ केमिकल का संतुलन बिगड़ जाता है, जिसके कारण उन्हें फोकस करने और कोई फैसला लेने में समस्या होने लगती है।

3. मॉर्डन लाइफस्टाइल और पर्यावरण

आज के समय में बच्चों की लाइफस्टाइल पहले के बच्चों के मुकाबले बहुत अलग है। बच्चे आजकल ज्यादा देर तक मोबाइल, टीवी या टैबलेट जैसे गैजेट्स का इस्तेमाल करने लगे हैं, जिससे उनके दिमाग पर असर पड़ता है, जो ADHD के लक्षणों को बढ़ा सकते हैं। इतना ही नहीं आज के समय में बच्चों में शारीरिक गतिविधियां काफी कम हो गई हैं, वे बाहर खेलने के स्थान पर घर के अंदर रहना ज्यादा पसंद करते हैं, जो ADHD की समस्या को बढ़ा सकता है।

Why-are-children-getting-ADHD

4. भोजन और पोषण का असर

बच्चों का बदलता खानपान भी उनमें ADHD के लक्षणों को बढ़ा सकता है। दरअसल, जो बच्चे प्रोसेस्ड फूड्स जैसे- चिप्स, कोल्ड ड्रिंक्स, पेस्ट्री आदि चीजों का सेवन ज्यादा मात्रा में करते हैं या जिनके शरीर में ओमेगा-3 फैटी एसिड की कमी होती है, उनमें ADHD के लक्षण ज्यादा नजर आ सकते हैं।

इसे भी पढ़ें: क्या बढ़ती उम्र के साथ एडीएचडी अपने आप खत्म हो जाता है? एक्सपर्ट से जानें सच्चाई

5. प्रेग्नेंसी से जुड़े फैक्टर्स

प्रेग्नेंसी के समय या जन्म के दौरान होने वाली कुछ दिक्कतें जैसे- मां का प्रेग्नेंसी के दौरान स्मोकिंग या शराब का सेवन, जन्म के समय बच्चे का कम वजन, समय से पहले बच्चे का जन्म, जन्म के समय ऑक्सीजन की कमी आदि चीजें बच्चों में ADHD का कारण बन सकती है।

निष्कर्ष

ADHD बच्चों में कोई नई बीमारी नहीं है, लेकिन आज के समय में इसकी पहचान जल्दी और ज्यादा की जा रही है। बता दें कि अगर समय पर बच्चों में ADHD की पहचान और सही इलाज मिले तो इस स्थिति के साथ बच्चा नॉर्मल लाइफ जी सकते हैं।
Image Credit: Freepik

FAQ

  • एडीएचडी के 3 मुख्य लक्षण क्या है?

    ADHD के 3 मुख्य लक्षण हैं, जिसमें असावधानी यानी ध्यान न दे पाना, अतिसक्रियता और आवेगशीलता यानी बिना सोचे-समझे काम करना है।
  • बच्चे को किस उम्र में एडीएचडी हो सकता है?

    ADHD के लक्षण आमतौर पर 12 साल की उम्र से पहले ही बच्चों में दिखने लगते हैं। कुछ बच्चों में, इसके लक्षण 3 साल की उम्र से ही दिखाई दे सकते हैं, जो सभी बच्चों में अलग-अलग हो सकते हैं।
  • हाइपर एक्टिव बच्चे को कैसे नियंत्रित करें?

    हाइपरएक्टिव बच्चों को कंट्रोल करने के लिए बच्चे का नियमित रूटीन बनाएं, शारीरिक गतिविधियों को बढ़ावा दें, मोबाइल फोन और लैपटॉप का कम इस्तेमाल करवाएं। 

 

 

 

Read Next

बच्चों में विटामिन बी 1 की कमी के क्या लक्षण हैं? डॉक्टर से जानें

Disclaimer

TAGS