प्रेग्नेंसी में एनीमिया यानी खून की कमी एक आम और गंभीर समस्या है। इससे मां के साथ-साथ गर्भस्थ शिशु का स्वास्थ्य भी बिगड़ सकता है। प्रेग्नेंसी के दौरान, गर्भवती महिला के शरीर को खून और पोषण की जरूरत होती है, इसे पूरा करने के लिए डॉक्टर आयरन और फॉलिक एसिड का सेवन करने की सलाह देते हैं। अगर शरीर में इन पोषक तत्वों की कमी हो जाए, तो हीमोग्लोबिन ले वल गिरने लगता है जिससे प्रेग्नेंसी में एनीमिया (Anemia in Pregnancy) हो सकता है। अगर गर्भवती महिला को एनीमिया हो जाए, तो उसे सांस फूलना, चक्कर आना, थकान और समय से पहले डिलीवरी जैसी समस्याओं से गुजरना पड़ सकता है। ऐसे में अक्सर गर्भवती महिलाओं के मन में यह सवाल उठता है कि कहीं उन्हें भी प्रेग्नेंसी के दौरान एनीमिया का खतरा न हो। आइए डॉक्टर से जानते हैं कि किन महिलाओं को प्रेग्नेंसी के दौरान एनीमिया का खतरा ज्यादा होता है। इस विषय पर बेहतर जानकारी के लिए हमने लखनऊ के झलकारीबाई हॉस्पिटल की वरिष्ठ गाइनोकॉलोजिस्ट डॉ दीपा शर्मा से बात की।
1. पोषण की कमी होने पर प्रेग्नेंसी में एनीमिया हो सकता है- Women with Poor Nutrition
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की रिपोर्ट में कहा गया है कि एनीमिया मुख्य रूप से आयरन की कमी के कारण होता है, इसके अलावा फोलेट, विटामिन-बी12 और विटामिन-ए की कमी भी, एनीमिया के अन्य पोषण संबंधी कारण हैं। गर्भवती महिला अगर प्रेग्नेंसी के दौरान हेल्दी डाइट का सेवन न करे, तो शरीर में आयरन और फॉलिक एसिड की कमी हो जाती है जिससे प्रेग्नेंसी के दौरान खून की कमी हो जाती है। प्रेग्नेंसी में एनीमिया से बचना चाहती हैं, तो डाइट में अनाज, आयरन युक्त आहार, दालें, हरी पत्तेदार सब्जियां वगैरह को शामिल करें। हेल्दी डाइट लेकर आप एनीमिया से बच सकती हैं।
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2. कम उम्र में मां बनने वाली महिलाएं- Teenage Pregnant Women
डॉ दीपा शर्मा ने बताया कि गांव में अक्सर यह देखा जाता है कि महिलाएं, किशोरावस्था में ही गर्भधारण कर लेती हैं। इस स्थिति में उनके शरीर का विकास अधूरा रह जाता है और पोषण की कमी से एनीमिया हो सकता है। इस स्थिति में मां और शिशु दोनों की जिंदगी खतरे में पड़ सकती है। कम उम्र में खून की कमी का खतरा ज्यादा होता है और इसे ठीक करने के लिए आयरन की जरूरत को पूरा करना जरूरी हो जाता है।
3. खून की कमी से जुड़ी बीमारी होना- Women with Blood Related Disorders
अगर महिला प्रेग्नेंट है और उसे पहले से ब्लड डिसऑर्डर जैसे सिकल सेल एनीमिया या थैलेसीमिया है, तो ऐसे में एनीमिया का खतरा भी बढ़ जाता है। ब्लड डिसऑर्डर होने पर हीमोग्लोबिन का लेवल पहले से कम होता है और गर्भावस्था के दौरान यह और नीचे चला जाता है। ऐसे में महिलाओं को विशेष निगरानी, समय पर जांच और आयरन सप्लीमेंट्स की जरूरत होती है।
4. जुड़वा या मल्टीपल प्रेग्नेंसी- Twin or Multiple Pregnancy
अगर गर्भवती महिला के गर्भ में एक से ज्यादा शिशु हैं, तो शरीर में खून और पोषण की जरूरत भी एक गर्भ के मुकाबले ज्यादा होगी। ऐसे में आयरन और फॉलिक एसिड की कमी तेजी से हो सकती है। इन महिलाओं में एनीमिया का खतरा दोगुना होता है और समय पर जांच न करवाने से स्थिति गंभीर हो सकती है।
5. पहले से एनीमिया होना- Women With Anemia Before Pregnancy
ऐसी महिलाओं में प्रेग्नेंसी में गंभीर एनीमिया के लक्षण देखे जाते हैं, जिन्हें गर्भधारण करने से पहले ही एनीमिया हो। ऐसे में गर्भधारण करने के बाद, एनीमिया के लक्षण ज्यादा गंभीर हो सकते हैं। अगर शरीर पहले से ही खून की कमी से जूझ रहा है, तो गर्भावस्था के दौरान यह समस्या और बढ़ सकती है। ऐसी महिलाअें को नियमित जांच और डॉक्टर की निगरानी की जरूरत होती है।
निष्कर्ष:
प्रेग्नेंसी में एनीमिया का खतरा उन महिलाओं को ज्यादा होता है, जिन्हें पहले से एनीमिया हो, जिनकी जुड़वा या मल्टीपल प्रेग्नेंसी हो, जिन्हें खून की बीमारी या पोषण की कमी हो, या फिर जो महिलाएं कम उम्र में मां बन रही हों। एनीमिया से बचने के लिए समय पर इलाज जरूरी है।
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FAQ
गर्भवती महिलाओं में एनीमिया के क्या लक्षण हैं?
गर्भवती महिलाओं को एनीमिया होने पर सांस फूलना, थकान होना, चक्कर आने जैसे लक्षण महसूस होते हैं। समय पर जांच जरूरी है।प्रेग्नेंसी में एनीमिया होने पर क्या होता है?
प्रेग्नेंसी में एनीमिया होने पर मां को कमजोरी और शिशु को समय से पहले जन्म या कम वजन का खतरा बढ़ता है। यह स्थिति जानलेवा भी हो सकती है।प्रेग्नेंसी में खून बढ़ाने के लिए क्या खाएं?
प्रेग्नेंसी के दौरान शरीर में खून बढ़ाने के लिए आयरन और फॉलिक एसिड का सेवन करें। इनके स्रोत जैसे हरी सब्जियां, दालें, अनार, चुकंदर और खजूर का सेवन करें।