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बुजुर्गों में खून की कमी (Anemia) होने पर द‍िखते हैं ये 7 लक्षण, डॉक्‍टर से जानें इसका कारण और इलाज

एनीमिया शरीर में हीमोग्लोबिन या रेड ब्‍लड सेल्‍स की कमी है, जिससे थकान, कमजोरी और ऑक्सीजन की कमी हो सकती है।
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बुजुर्गों में खून की कमी (Anemia) होने पर द‍िखते हैं ये 7 लक्षण, डॉक्‍टर से जानें इसका कारण और इलाज

बढ़ती उम्र के साथ शरीर में कई तरह के बदलाव आते हैं, जिनमें से एक आम लेकिन गंभीर समस्या है- खून की कमी या एनीमिया (Anemia)। बुजुर्गों में एनीमिया की समस्या अक्सर अनदेखी रह जाती है क्योंकि इसके लक्षण सामान्य थकान या उम्र से जुड़ी कमजोरी जैसे लगते हैं। जब शरीर में रेड ब्‍लड सेल्‍स (Red Blood Cells) की संख्या या हीमोग्लोबिन (Hemoglobin) का लेवल सामान्य से कम हो जाता है, तब शरीर को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाती, जिससे कमजोरी, चक्कर आना और कई अन्य दिक्कतें हो सकती हैं। खासतौर पर बुजुर्गों में यह समस्या इसलिए गंभीर हो जाती है क्योंकि यह हृदय, द‍िमाग और अन्य अंगों की कार्यक्षमता को प्रभावित कर सकती है। इस लेख में हम जानेंगे कि बुजुर्गों में खून की कमी के सामान्य लक्षण क्या हैं, इसके कारण कौन-से हैं और इसे ठीक करने के लिए डॉक्टर क्या सलाह देते हैं। इस व‍िषय पर बेहतर जानकारी के ल‍िए हमने लखनऊ के केयर इंस्‍टिट्यूट ऑफ लाइफ साइंसेज की एमडी फ‍िजिश‍ियन डॉ सीमा यादव से बात की।

बुजुर्गों में एनीमिया के लक्षण- Anemia Symptoms in Elderly People

बुजुर्गों में खून की कमी के लक्षण धीरे-धीरे उभरते हैं और कई बार इन्हें उम्र संबंधी कमजोरी समझकर नजरअंदाज कर दिया जाता है-

  1. लगातार थकान और कमजोरी होना
  2. सांस फूलना और चक्कर आना
  3. त्वचा का पीला या फीका पड़ना
  4. हृदय की धड़कन तेज होना या अनियमित धड़कन
  5. हाथ-पैरों में ठंडक महसूस होना
  6. फोकस करने में मुश्‍क‍िल होना और याददाश्त कमजोर होना
  7. भूख कम लगना और वजन घटना

इसे भी पढ़ें- आयरन की कमी दूर करने के ल‍िए अपनाएं ये खास डाइट प्‍लान, लो हीमोग्लोबिन और थकान से म‍िलेगी राहत

बुजुर्गों में एनीमिया के कारण- Causes of Anemia in Elderly People

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बुजुर्गों में एनीमिया के कई कारण हो सकते हैं-

  • आयरन की कमी से शरीर में हीमोग्लोबिन का निर्माण नहीं हो पाता और एनीम‍िया हो सकता है।
  • रेड ब्‍लड सेल्‍स के निर्माण के लिए विटामिन-बी12 और फोलिक एसिड जैसे जरूरी पोषक तत्वों की कमी एनीमिया का कारण बन सकती है।
  • किडनी रोग, कैंसर, डायबिटीज जैसी बीमारियां शरीर में खून की कमी पैदा कर सकती हैं।
  • पेट के अल्सर, बवासीर या दवाओं के कारण होने वाली इंटरनल ब्‍लीड‍िंग से शरीर में आयरन की कमी हो सकती है।
  • एंटीबायोटिक्स या दर्द निवारक दवाएं भी रेड ब्‍लड सेल्‍स को प्रभावित कर सकती हैं और एनीम‍िया हो सकता है।

बुजुर्गों में एनीमिया का इलाज- Anemia Treatment in Elderly People

बुजुर्गों में एनीमिया का इलाज इसके कारणों पर निर्भर करता है। मुख्‍य रूप से एनीम‍िया का इलाज इन 4 तरीकों से क‍िया जाता है-

ब्लड ट्रांसफ्यूजन- Blood Transfusion

अगर एनीमिया बहुत गंभीर हो और हीमोग्लोबिन का लेवल बहुत कम हो जाए, तो डॉक्टर खून चढ़ाने (Blood Transfusion) की सलाह दे सकते हैं। यह उन बुजुर्गों के लिए जरूरी हो सकता है, जिन्हें पुरानी बीमारियों के कारण गंभीर एनीमिया हो गया हो।

दवाएं और सप्‍लीमेंट्स- Medicines and Supplements

  • अगर आहार से पर्याप्त आयरन नहीं मिल पा रहा है, तो डॉक्टर की सलाह से आयरन की गोलियां या सिरप लिया जा सकता है।
  • अगर शरीर में व‍िटाम‍िन-बी12 की कमी ज्‍यादा हो, तो इंजेक्शन से इसका लेवल नॉर्मल किया जा सकता है।
  • डॉक्टर की सलाह से फोलिक एसिड की गोलियां लेने से एनीमिया की समस्या में सुधार आता है।

डाइट में बदलाव- Dietary Changes

अगर बुजुर्गों में एनीमिया का कारण आयरन, विटामिन-बी12 या फोलिक एसिड की कमी है, तो संतुलित आहार से इसे कंट्रोल किया जा सकता है-

  • आयरन युक्त खाद्य पदार्थ: हरी पत्तेदार सब्जियां (पालक, मेथी), अनार, चुकंदर, गुड़, तिल, बीन्स और अंडे का सेवन करें।
  • विटामिन बी12 स्रोत: दूध, दही, पनीर और अंडे व‍िटाम‍िन-बी12 के अच्छे स्रोत हैं। शाकाहारी बुजुर्गों को डॉक्टर की सलाह से बी12 सप्लीमेंट लेना चाहिए।
  • फोलिक एसिड: ब्रोकली, केला, संतरा, अंकुरित अनाज और राजमा का सेवन फायदेमंद होता है।
  • विटामिन सी युक्त आहार: संतरा, आंवला, नींबू, टमाटर खा सकते हैं।

जीवनशैली में बदलाव- Change in Lifestyle

  • नियमित एक्‍सरसाइज करें। हल्की सैर, योग और प्राणायाम से शरीर में ऑक्सीजन का संचार बढ़ता है और कमजोरी कम होती है।
  • धूम्रपान और शराब से बचें। ये दोनों ही शरीर में पोषक तत्वों के एब्‍सॉर्ब होने की प्रक्र‍िया को प्रभावित करते हैं और एनीमिया को बढ़ा सकते हैं।

बुजुर्गों में एनीमिया को हल्के में नहीं लेना चाहिए क्योंकि यह उनकी शारीरिक और मानसिक सेहत को प्रभावित कर सकता है। समय रहते सही आहार, जीवनशैली में सुधार और डॉक्टर की सलाह से इसका इलाज किया जा सकता है।

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