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कान से कम सुनाई देने पर कौन सा योग करना चाहिए? एक्सपर्ट से जानें

Yoga for ear problems: कान से कम सुनाई देने पर इस योग को करने से आपको मदद मल सकती है। तो जानते हैं कान के लिए कौन सा योगासन करें और इसे करने के क्या फायदे हैं, जानते हैं इस बारे में विस्तार से।
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कान से कम सुनाई देने पर कौन सा योग करना चाहिए? एक्सपर्ट से जानें


Yoga for ear problems: कान हमारे शरीर के कुछ जरूरी अंगों में से है जिसकी वजह से हमें सुनाई अच्छी तरह से पड़ता है। लेकिन, कई बार कान से जुड़ी समस्याओं की वजह से सुनाई देना कम पड़ जाता है। होता यह है कि समय के साथ कई बार एजिंग की वजह से कुछ लोगों को कान से कम सुनाई देता है। तो कुछ लोग ऐसे भी हैं जिन्हें कान में इंफेक्शन की वजह से कम सुनाई देता है तो कई बार तेज शोर, पटाखे और तेज म्यूजिक भी सुनने की क्षमता प्रभावित करने लगती है। ऐसे में कुछ योग करना आपके सुनने की क्षमता को बेहतर बनाने में मदद कर सकते हैं। ये न सिर्फ कान के आंतरिक फंक्शन को बेहतर बनाने में मदद करते हैं बल्कि, कान के परदों को भी हेल्दी रखने में मदद कर सकते हैं। तो कौन से हैं ये योग जिन्हें करने से कान का काम काज सही रहता है जानते हैं इस बारे में Taarika Dave, Holistic Life Coach and Yoga Expert at Luke Coutinho Holistic Healing Systems से।

कान से कम सुनाई देने पर कौन सा योग करना चाहिए-Yoga to improve hearing in hindi

Taarika Dave कहती हैं कि कुछ योगासनों को करना आपके श्रवण स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है जैस कि कान के लिए बेस्ट योगा की बात करें भ्रामरी प्राणायाम (Bhramari Pranayama) जिसमें मधुमक्खी की सांसों की तरह गुनगुनाहट करनी हो होती है, बेस्ट है। भ्रामरी प्राणायाम कानों की सेहत के लिए बहुत फायद अक्सर श्रवण स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए अनुशंसित किया जाता है, क्योंकि इसके कंपन श्रवण तंत्र को उत्तेजित करते हैं, आंतरिक कान में रक्त संचार में सुधार करते हैं और तंत्रिका तंत्र को शांत करते हैं।

भ्रामरी प्राणायाम कैसे करें?

भ्रामरी प्राणायाम करने के लिए किसी शांत जगह पर ध्याम मुद्रा में बैठ जाएं। फिर
-आंख बंद कर लें और दोनों हाथों से कानों को बंद कर लें।
-ऊं का उच्चारण करें लेकिन इस दौरान मुंह बंद रखें और नाक से सांस लेते रहें।
-इससे कंपन होगी और आपको महसूस होगा कि मधुमक्खी जैसी आवाज पैदा हो रही है।
-इसे 5 से 8 मिनट करें।

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षण्मुखी मुद्रा-Shanmukhi Mudra

भ्रामरी प्राणायाम के अलावा आप कानों के काम काज को बेहतर बनाने के लिए इन योगासनों की मदद ले सकते हैं। जैसे कि षण्मुखी मुद्रा। इसका मतलब होता है छह द्वारों को बंद करना यानी कि आपको अपने छह इंद्रियों को बंद करना है जैसे कि दोनों कान, आंखें, मुंह और नाक। इन्हें बंद करके आपको आंतरिक ध्यान करना होता है। इससे श्रवण स्वास्थ्य को फायदा मिलता है और तंत्रिका तंत्र शांत हो जाती है और आंतरिक कान के ब्लड सर्कुलेशन में सुधार होता है।

षण्मुखी मुद्रा कैसे करें?

षण्मुखी मुद्रा करना मुश्किल नहीं है, बस आपको कुछ टिप्स को लगातार फॉलो करना है। जैसे कि पहले तो

  • -अंगूठे से कान, तर्जनी से आंखों को, मध्यमा से नाक के छेदों और रिंग फिंगर से अपने ऊपरी होंठ और छोटी वाली उंगली से होंठों के निचले हिस्से को बंद करें।
  • -इसके बाद गहरी सांस लें और कुछ देर के लिए सांस को अंदर ही रोकें।
  • -धीमे-धीमे सांस छोड़े और 5 से 8 मिनट तक इसे करते रहें।

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विपरीत करणी-Viparita Karani (legs-up-the-wall pose)

अगर आपको लग रहा है कि आपके कान बंद हो गया हैं या फिर कम सुनाई दे रहा है तो आप इस योग को कर सकते हैं। इसमें दीवार पर पैर रखकर जैसे हल्के उलटे आसन शामिल हैं, जो सिर और कानों में रक्त प्रवाह को बढ़ाते हैं। इससे कान खुल जाता है जिससे सुनने की क्षमता बढ़ जाती है।

विपरीत करणी कैसे करें?

विपरीत करणी के लिए दीवार के सहारे लेट जाएं और पैर को दीवारों पर सीधे रखें। इस दौरान पीठ को सीधी रखने की कोशिश करें। फिर

  • -हाथों को दोनों तरफ सीधे रखें और हथेलियों को खुली रखें।
  • -पैर को दीवार से हटाकर नीचे सामने की ओर सीधा रखें।
  • -फिर आरान से उठाकर दीवार से टिका दें।
  • -इस योगासन को 5 से 10 मिनट तक लगातार करते रहें। आप इसे 5 सेट में कर सकते हैं।

इंटरनेशनल टिनिटस जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन में भ्रामरी को टिनिटस की गंभीरता को कम करने में प्रभावी पाया गया तो बाकी यह दोनों ही कानों के फंक्शन को बेहतर बनाने में मदद कर सकते हैं। हालाकि, योग चिकित्सा हस्तक्षेप का विकल्प नहीं है, और कई मामलों में किसी ईएनटी विशेषज्ञ का सुझाव जरूरी है। दरअसल, कई बार कान की दिक्कत गंभीर हो सकती है और इसका कारण कोई गंभीर बीमारी हो सकती है। इसलिए जैसे ही दिक्कत महसूस हो सबसे पहले इएनटी स्पेशलिस्ट को दिखाएं।

FAQ

  • कान की समस्याओं के बारे में चिंता कब करें?

    जब आपके कान के पर्दे को नुकसान हो जाए या फिर कान से तरह पदार्थ आने लगे तो आपको कान की समस्याओं के बारे में चिंता करने की जरूरत है। ऐसे में डॉक्टर को दिखाएं।
  • कान की सबसे गंभीर स्थिति क्या है?

    कान की सबसे गंभीर स्थिति है मास्टॉयडाइटिस जब कान की हड्डी में इंफेक्शन हो जाता है। इसके अलावा कान का पर्दा फटना भी गंभीर स्थिति है।
  • कैसे पता चलेगा कि कान का संक्रमण मस्तिष्क में फैल गया है?

    कान का संक्रमण खासकर कि ओटिटिस मीडिया की स्थिति में इंफेक्शन ब्रेन तक फैल सकता है। ऐसे में सिरदर्द, उल्टी और बुखार जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

 

 

 

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