आज के समय में तेज आवाज में गाने सुनना, घर के बाहर गाड़ियों की हॉन की आवाजें और न जाने कितना नॉइज पॉल्यूशन फैला हुआ है, जिसका बुरा असर आपके कानों पर पड़ता है। तेज आवाजों के कारण कान में दर्द होने की समस्या बढ़ती है। आमतौर पर काम में दर्द किसी इंफेक्शन के कारण भी हो सकता है। कानों से जुड़ी समस्याओं से बचने के लिए लोग अक्सर तरह-तरह के उपाय आजमाते हैं, जिसमें रात को सोने से पहले कान में तेल डालना भी शामिल है। लेकिन, क्या आपको पता है कान से जुड़ी समस्याओं को दूर करने के लिए आयुर्वेद में कर्ण धूपन थेरेपी का इस्तेमाल किया जाता है, जिसमें कुछ औषधियों की मदद से कान में धूआ डाला जाता है और ये थेरेपी की जाती हैं। ऐसे में आइए तुलसी आयुर्वेद क्लिनिक के आयुर्वेदिक डॉक्टर अंकित अग्रवाल से जानते हैं कर्ण धूपन थेरेपी क्या है और इसके क्या फायदे हैं?
कर्ण धूपन थेरेपी क्या होती है?
कर्ण धूपन थेरेपी एक प्राचीन आयुर्वेदिक अभ्यास है, जिसमें कान की नली को साफ करने और कान से जुड़ी समस्याओं का इलाज करने के लिए औषधीय धुएं का उपयोग किया जाता है। इसका उपयोग पारंपरिक रूप से कान के स्वास्थ्य को बढ़ावा देने, वात, पित्त और कफ जैसे शारीरिक दोषों को संतुलित करने और ओवरऑल हेल्थ को बढ़ावा देने के लिए किया जाता है।
इसे भी पढ़ें: कान में खुजली क्यों होती है? जानें कैसे पता लगाएं इसका कारण
कर्ण धूपन थेरेपी के फायदे
- कर्ण धूपन के दौरान निकलने वाले औषधीय धुएं से कान की अशुद्धियों, मैल और अन्य रुकावटों को साफ करने और हटाने में मदद मिलती है।
- यह थेरेपी वात, पित्त और कफ दोषों में संतुलन बहाल करने में मदद करती है, जो आयुर्वेद में ओवरऑल हेल्थ को बनाए रखने के लिए जरूरी है।
- कर्ण धूपन थेरेपी कान को साफ करके सुनने की क्षमता में सुधार करने में फायदेमंद है।
- इस थेरेपी के धुएं का शांत प्रभाव तनाव को कम कर सकता है, जिससे मन को शांत करने में मदद मिलती है।
- दोषों को संतुलित करके और कान से संबंधित असुविधा को दूर करके, यह थेरेपी एकाग्रता में सुधार कर सकती है।
- इस थेरेपी का उपयोग अक्सर कानों में बजने (टिनिटस) के लक्षणों को कम करने और कान की परेशानी को दूर करने के लिए किया जाता है।
View this post on Instagram
कर्ण धूपन थेरेपी आपके कान के स्वास्थ्य के साथ मानसिक स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाने में मदद करता है। लेकिन इस थेरेपी को घर पर करने से बचना चाहिए और हमेशा किसी आयुर्वेदिक डॉक्टर या एक्सपर्ट की मदद लेनी चाहिए।
Image Credit: Freepik