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आयुर्वेद में 'कर्णपूरण' से होता है कान से जुड़ी समस्याओं का इलाज, आयुर्वेदाचार्य से जानें इस थेरेपी के बारे मे

कान में दर्द और अन्य समस्याओं को दूर करने के लिए आप कर्णपूरण थेरेपी ले सकते हैं। आगे आयुर्वेदाचार्य से जानते हैं इसके फायदे
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आयुर्वेद में 'कर्णपूरण' से होता है कान से जुड़ी समस्याओं का इलाज, आयुर्वेदाचार्य से जानें इस थेरेपी के बारे मे


Benefits Of Karna Poorana Therapy In Hindi: सर्दियों में अक्सर लोगों को कान की समस्या का सामना करना पड़ सकता है। यह समस्या हर उम्र को लोगों को परेशान कर सकती है। कान में दर्द होने पर आपको बोलने और खाने में भी दर्द महसूस हो सकता है। कुछ लोगों को कान में दर्द की वजह से सिरदर्द भी समस्या हो सकती है। आयुर्वेद के अनुसार वात की समस्या से लोगों को कान में दर्द, पस या संक्रमण हो सकता है। इससे बचने के लिए आयुर्वेद में कई थेरेपी का जिक्र मिलता है। ओनलीमायहेल्थ के द्वारा अपने पाठकों को आयुर्वेद के प्रति जागरुक करने के लिए विशेष सीरीज 'आरोग्य विद आयुर्वेद' को शुरु किया गया है। इस सीरीज में आयुर्वेद के अनुभवी डॉक्टरों की मदद से कई महत्वपूर्ण जानकारियों को आपके साथ शेयर किया जाता है। साथ ही, गंभीर बीमारियों के इलाज और थेरेपी के बारे में भी विस्तार से चर्चा की जाती है। आज की अरोग्य विद आयुर्वेद की सीरीज में कान की समस्या को दूर करने के लिए कर्ण पूरण थेरेपी के बारे में बताया जा रहा है। इस थेरेपी के बारे में जानने के लिए हमने मध्य प्रदेश के सरकारी अस्पताल में कार्यरत मेडिकल ऑफिसर डॉ. सोनल गर्ग से बात की।

कर्ण पूरण थेरेपी के बारे में बताते हुए डॉक्टर सोनल गर्ग ने कहा कि आयुर्वेद में कर्ण पूरण में "कर्ण" का अर्थ "कान" होता है। इसके अलावा, "पूरण" का अर्थ "गिरना" है। कर्ण पूरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें औषधिय युकत तेल को निर्धारित अवधि के लिए कान में डाला जाता है। यह थेरेपी एक अनुभवी आयुर्वेद चिकित्सक की देखरेख में की जाती है। इस थेरेपी का उपयोग कान से जुड़ी समस्याओं को दूर करने के लिए किया जाता है। 

karna poorana therapy for ear problems

कर्णपूरण थेरेपी के फायदे - Karna Poorna Benefits For Ear Problems In Hindi 

  • कर्ण पूरण थेरेपी में औषधिय युक्त तेल को कान में डाला जाता है। इससे कान को पोषण मिलता है और फंगल व अन्य संक्रमण कम होता है। 
  • इस थेरेपी से ईयर कैनल और कान के मध्य हिस्से को साफ करने में मदद मिलती है। 
  • कान की छोटी हड्डियों (ओस्कल्स) के रूखेपन से बचाव करती है। 
  • यह थेरेपी मन को शांत करती है और तंत्रिका तंत्र को आराम पहुंचाती है। 
  • वात असंतुलन के कारण होने वाले सिरदर्द से राहत प्रदान करती है।
  • गर्दन और जबड़ों में दर्द कम करने में सहायक।
  • कान के अंदर होने वाली खुजली को दूर करने के लिए आप इस थेरेपी का उपयोग कर सकते हैं। इस थेरेपी कान में दर्द को दूर करने में मदद मिलती है। 
  • कर्णपूरण थेरेपी से कान की क्षमता बेहतर होती है और सुनने से जुड़ी समस्याओं में आराम मिलता है। इससे ब्रेन पावर भी बेहतर होती है। 
  • स्ट्रेस, तनाव और अनिद्रा की समस्या को दूर करने के लिए आप कर्फ पूरण थेरेपी की मदद ले सकते हैं। इससे सिरदर्द और माइग्रेन की समस्या को कम किया जा सकता है। 
  • कान के कुछ संक्रमण को दूर करने के लिए आप इस थेरेपी को उपयोग कर सकते हैं। जबकि, सभी प्रकार के संक्रमण के लिए इसका उपयोग नहीं किया जा सकता है। किस संक्रमण को दूर करने के लिए इस थेरेपी का उपयोग किया जाएगा, इस बात का निर्णय आपके डॉक्टर ले सकते हैं। 

कर्ण पूरण थेरेपी कैसे की जाती है? - How to Practice Karna Purana in Hindi 

  • इस थेरेपी में रोगी को एक बंद हवा वाले कमरे में एक करवट लेकर लेटाया जाता है। इसके बाद आयुर्वेदाचार्य कान के अंदर औषधिय युक्त तेल की बूंदों को डालते हैं। 
  • इससे पहले कान के बाहरी हिस्से की मसाज की जाती है। जिसके बाद तेल की बूंद को कान के अंदर तक पहुंचाया जाता है। 
  • इसके बाद कान के निचले हिस्से की हल्के हाथों से मसाज की जाती है। जिससे तेल कान के अंदर पहुंच जाता है। 
  • यह प्रक्रिया 5 से 10 मिनट तक चल सकती है। 
  • इससे कान के भीतरी हिस्से में मौजूद मांसपेशियों को आराम मिलता है। साथ ही, कान के संक्रमण और दर्द कम होने लगता है। 
  • एक कान के तेल को डालने के बाद इस प्रक्रिया को दूसरे कान में दोहराया जाता है। 

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शरीर के अन्य अंगों की तरह ही कान को भी विशेष देखभाल की आवश्यकता होती है। इसके लिए पंचकर्म में शामिल कर्णपूरण थेरेपी का इस्तेमाल कर सकते हैं। आरोग्य विद आयुर्वेद की नई सीरीज में हम किसी अन्य बीमारी के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे। इसके साथ ही अगली सीरीज में आपको आर्युवेद के किसी नए रोग या थेरेपी के बारे में जानकारी प्रदान करेंगे। आयुर्वेद से जुड़ी मुख्य जानकारियों के लिए आप हमारी वेबसाइट www.onlymyhealth.com के साथ जरूर जुड़ें। इस सीरीज के लेखों को आप अपने दोस्तों और परिचितों के साथ शेयर कर सकते हैं। 

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