Pitta Dosha in Hindi: आयुर्वेद के अनुसार हमारा शरीर वात, पित्त और कफ से बना होता है। स्वस्थ रहने के लिए इन तीनों का संतुलन में होना जरूरी होता है। जब इनमें से एक भी असंतुलित होता है, तो तरह-तरह की बीमारियां जन्म लेने लगती हैं। असंतुलित वात, पित्त और कफ की वजह से अलग-अलग बीमारियां होने लगती हैं। इनके असंतुलित होने से क्रोनिक डिजीज की समस्याएं हो जाती हैं। आज हम बात कर रहे हैं शरीर में पित्त बढ़ने के बारे में। यानि जब शरीर में पित्त बढ़ता है, तो इस स्थिति में व्यक्ति पित्त दोष से जुड़े लक्षणों का सामना करना पड़ता है। तो चलिए विस्तार से जानते हैं क्या है पित्त दोष? किस मौसम में पित्त दोष होने का जोखिम अधिक बना रहता है-
पित्त दोष क्या है? (What is Pitta in Ayurveda)
पित्त अग्नि और जल दो तत्वों से मिलकर बना है। पित्त शरीर में बनने वाले हॉर्मोन और एंजाइम को नियंत्रित करता है। शरीर का तापमान, पाचक अग्नि पित्त ही नियंत्रित करती है। छोटी आंत और पेट में पित्त पाया जाता है। इसलिए स्वस्थ रहने के लिए पित्त का संतुलन में होना बहुत जरूरी होता है। असंतुलित पित्त होने पर 40 से अधिक तरह के रोग पैदा हो सकता है। इस स्थिति को पित्त दोष कहा जाता है। पित्त दोष होने पर पाचन अग्नि कमजोर पड़ने लगती है, खाया हुआ भोजन ठीक से डायजेस्ट नहीं हो पाता है। पित्त दोष होने या पित्त के असंतुलित होने पर पेट से जुड़ी समस्याएं जैसे कब्ज, एसिडिटी और अपच से अकसर व्यक्ति परेशान रहता है। ऐसे में इसे संतुलन में रखना बहुत जरूरी होता है। अच्छी जीवनशैली और खान-पान से पित्त को संतुलन में रखा जा सकता है।
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किस मौसम में बढ़ता है पित्त
वैसे तो पित्त के विरुद्ध भोजन करने, खराब जीवनशैली की वजह से पित्त किसी भी मौसम में बढ़ सकता है। लेकिन सर्दियों के शुरुआती मौसम में पित्त बढ़ने की संभावना अधिक रहती है। इसके अलावा युवावस्था में पित्त के बढ़ने की संभावना अधिक रहती है। पित्त अकसर गर्म तासीर के खाद्य पदार्थों जैसे मेवे, गर्म मसाले, लाल मिर्च आदि खाने से बढ़ता है। इसके अलावा तनाव में रहने, जरूरत से ज्यादा काम करने या क्षमता से अधिक एक्सरसाइज करने की वजह से भी पित्त बढ़ सकता है। पित्त को संतुलन में रखने के लिए ठंडी तासीर के खाद्य पदार्थ खाना फायदेमंद होता है। इसके अलावा हल्की एक्सरसाइज की जानी चाहिए।
पित्त दोष के कारण (Pitta Dosha Causes in Hindi)
खराब जीवनशैली और गलत आहार पित्त दोष के मुख्य कारण माने जाते हैं। अधिक मसालेदार, चटपटे और तीखे खाद्य पदार्थ पित्त बढ़ाते हैं। इसके अलावा खट्टे, गर्म खाद्य पदार्थों से भी शरीर में पित्त बढ़ता है। मानसिक तनाव में रहने, गुस्से में रहने, अधिक मात्रा में शराब पीने से भी पित्त दोष हो सकता है। इतना ही नहीं समय पर खाना न खाना और अधिक मेहनत करना भी पित्त बढ़ने के कारण माने जाते हैं। तिल का तेल, सरसों का तेल, मांस आदि पित्त को बढ़ाते हैं। वही छाछ, नारियल पानी, फल और सब्जियां खाने से पित्त संतुलन में रहता है।
पित्त को शांत करने के उपाय (How to Balance Pitta Dosha)
- पित्त को शांत करने के लिए घी सबसे अच्छा ऑप्शन है।
- मौसमी फल और सब्जियां भी पित्त को संतुलित करती हैं।
- सभी तरह की दालें पित्त को संतुलित रखते हैं।
- सलाद, अंकुरित अनाज, एलोवेरा जूस से पित्त को शांत किया जा सकता है। ये पित्त को संतुलित करने के बेहतर उपाय हैं।
- ठंडे तासीर के तेल जैसे नारियल के तेल, चंदन के तेल से शरीर की मालिश करें।
- खाना खाने के बाद वॉक करने की आदत डालें। धूप में घूमने से बचें।
- गर्म पानी से न नहाएं। सामान्य या ठंडे पानी से नहाएं।
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अगर आपकी भी पित्त प्रकृति है, तो इसे संतुलन में रखने के लिए सही आहार और जीवनशैली अपनाना बहुत जरूरी है। इससे पित्त को शांत किया जा सकता है, कई बीमारियों से बचा जा सकता है। अगर पित्त दोष के कोई लक्षण नजर आते हैं, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।