When Wisdom Tooth Extraction Is Needed In Hindi: अक्लदाढ़, मुंह के ठीक पीछे के हिस्से में मोलर का तीसरा सेट होते हैं। आमतौर, पर अक्लदाढ़ आने की सही उम्र 17 से 21 साल के बीच होती है। अक्लदाढ़ निकलने की प्रक्रिया कुछ लोगों के लिए तो सामान्य रहती है, वहीं कुछ लोगों के लिए यह बहुत ही कष्टकारी हो सकता है। अक्लदाढ़ निकलने पर उन्हें दाढ़ में दर्द होने लगता है, जबड़े में दर्द होता है और कई अन्य तरह की परेशशनियां भी हो सकती है। हालांकि, जब अक्लदाढ़ पूरी तरह से निकल जाते हैं, तो दिक्कतें कम हो जाती है। वहीं, कुछ परिस्थितियां ऐसी आ जाती हैं, जब अक्लदाढ़ को रिमूव करवाना पड़ जाता है। रिसस डेंटल क्लिनिक में एम.डी.एस ओरल और मैक्सिलोफेशियल सर्जन, डॉ. जया करमचंदानी से बातचीत पर आधारित।
अन्य दांतों को नुकसान
अक्लदाढ़ के होने या न होने से व्यक्ति को विशेष फर्क नहीं पड़ता है। लेकिन, कई बार ऐसा होता है कि अक्लदाढ़ की वजह से अन्य दांतों को नुकसान होने लगता है, जैसे दांतों में पर्मानेंट दर्द होने लगता है, दांतों की एलाइनमेंट बिगड़ जाती है, यानी दांतों में क्राउड हो जाता है, जिससे दांतों की शेप बिगड़ जाती है। जाहिर है, इससे दांतों की अन्य समस्याओं का जन्म हो सकता है। इसलिए, ऐसी स्थिति आने पर अक्लदाढ़ को रिमूव करना सही रहता है।
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जबड़े को नुकसान होता है
अक्लदाढ़ के कारण जबड़े में पस से भरी गांठ बन जाती है, जिससे मुंह में सूजन हो जाती है। यह स्थिति न सिर्फ खतरनाक होती है, बल्कि बहुत कष्टकारी और असहनीय दर्द भी देती है। इस तरह की स्थिति को झेलना आसान नहीं होता है। इससे बचने के लिए जरूरी है कि अक्लदाढ़ को समय रहते निकलवा दिया जाए। क्योंकि, अगर जबड़े में हुए इस गांठ को सही तरह से उपचार न किया जाए, तो यह जबड़े के साथ नर्व्स को भी नुकसान पहुंचा सकती है।
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साइनस का दर्द
जब सही तरह से अक्लदाढ़ नहीं निकल पाता है या फिर कुछ-कुछ महीनों के गैप में वहां दर्द उठता है, अगर उसकी अनदेखी की जाए, तो इससे साइनस का दर्द भी उठ सकता है। यहां तक कि व्यक्ति को साइनस का दबाव और भारीपन महसूस हो सकता है। समय रहते इसका इलाज न किया जाए, तो बीमारी गंभीर रूप ले सकती है।
मसूड़ों में तकलीफ
अक्लदाढ़ के कारण सिर्फ दांत या जबड़ा ही नहीं, बल्कि मसूड़ों में दर्द होने गलता है। यहां तक कि कई बार अक्लदाढ़ में दर्द होने के कारण सही तरह से ब्रश करने में दिक्कत आती है, जिससे मसूड़ों में गम्स या बैक्टीरिया हो जाते है। नतीजतन, व्यक्ति को मसूड़ों से जुड़ी परेशानी भी होने लगती है। ऐसे में जरूरी है कि व्यक्ति अक्लदाढ़ को समय रहने निकलवा दे, ताकि मसूड़ों की समस्या से वह बच सके।
कैविटी का रिस्क
जब अक्लदाढ़ के कारण दांतों की सफाई अच्छी तरह कसे नहीं होती है, तो मसूड़ों के साथ-साथ दांतों में भी तकलीफ बढ़ जाती है। मुंह से बदबू आना और दांतों के बीच कैविटी बनने की समस्या भी होने लगती है। अगर, इसे समय रहने कंट्रोल न किया जाए, तो कैविटी की वजह से भी दांतों में दर्द हो सकता है। ऐसी स्थिति से बचने के लिए, पहले से ही अक्लदाढ़ को रिमूव करवा दें।
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