प्रेग्नेंसी के दौरान मां और बच्चे दोनों के स्वास्थ्य का बेहतर ध्यान रखना बेहद जरूरी है। ऐसे में गर्भावस्था के दौरान समय-सम. पर महिला के गर्भ का अल्ट्रासाउंड किया जाता है। लेकिन प्रेग्नेंसी में अल्ट्रासाउंड (Pregnancy Ultrasound) क्यों किया जाता है, और इसे करना क्यों जरूरी है, यह कई महिलाएं नहीं जानती हैं। इतना ही नहीं, कुछ महिलाएं तो प्रेग्नेंसी के दौरान होने वाली इन स्कैनिंग को लेकर डरती भी हैं, कि कहीं इसका बुरा असर उनके भ्रूण पर न पड़ें। अल्ट्रासाउंड के दौरान महिलाओं के गर्भ में पल रहे भ्रूण की स्थिति का आकलन किया जाता है, ताकि शिशु के स्वास्थ्य की सही जानकारी मिल सके। मुंबई के मदरकेयर मैटरनिटी हॉस्पिटल के गायनेकोलॉजिस्ट डॉ. मनन शेठ से जानते हैं प्रेग्नेंसी में कौन कौन से महीने में अल्ट्रासाउंड होता है?
प्रेगनेंसी के दौरान कितनी बार अल्ट्रासाउंड करवाना चाहिए?
एनटी (न्यूकल ट्रांसलूसेंसी) स्कैन
एनटी स्कैन, जिसे न्यूकल ट्रांसलूसेंसी (First Ultrasound During Pregnancy) भी कहा जाता है, प्रेग्नेंसी के तीसरे महीने यानी 11 से 14वें हफ्ते के बीच किया जाता है। इस अल्ट्रासाउंड से बच्चे की गर्दन के पीछे न्युकल फोल्ड की मोटाई को मापा जाता है। यह डाउन सिंड्रोम और अन्य जेनेटिक स्थितियों के जोखिम का आकलन करने में मदद करता है। यह बच्चे के मानसिक और शारीरिक विकास के बारे में शुरुआती जानकारी देने का भी काम करता है।
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एनोमली स्कैन
प्रेग्नेंसी के 5वें महीने या 18 से 22 हफ्ते के बीच एनोमली स्कैन किया जाता है। इस अल्ट्रासाउंड में भ्रूण और गर्भ की बारीकि से जांच की जाती है। यह अल्ट्रासाउंड महिला के गर्भ में किसी भी संरचनात्मक असामान्यताओं का पता लगाने के लिए बच्चे की शारीरिक रचना की जांच करता है। यह स्कैनिंग शिशु के दिल, दिमाग, रीढ़ और अन्य अंगों के विकास की जांच करता है। स्कैन प्लेसेंटा और बच्चे के ओवरऑल विकास की भी जांच की जाती है।
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टर्म स्कैन
प्रेग्नेंसी के 9वें महीने यानी 36वें हफ्ते में टर्म स्कैनिंग की जाती है। यह स्कैन डिलीवरी से पहले बच्चे के विकास, अनुमानित वजन और स्थिति (ब्रीच, सिर नीचे, आदि) का आकलन करता है। यह एमनियोटिक फ्लूड की मात्रा, प्लेसेंटल स्थिति और बच्चे के ओवरऑल हेल्थ की जांच करने के लिए किया जाता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि डिलीवरी के लिए सब कुछ सही है।
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प्रेग्नेंसी के दौरान ये 3 अल्ट्रासाउड टेस्ट भ्रूण की स्थिति की जांच और उनके ओवरऑल हेल्थ के आकलन के लिए बहुत जरूरी है।
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