What Should be Eaten During Seasonal Change : हमारे देश में प्रत्येक दो महीने में मौसम में बदलाव देखा जाता है। मौसम में होने वाले इस बदलाव को आयुर्वेद की भाषा में ऋतुचर्या कहते हैं। मौसम के बदलाव का सीधा प्रभाव हमारे शरीर और मन पर पड़ता है। विभिन्न ऋतुओं में हमारे शरीर में वात, पित्त और कफ का असंतुलन हो सकता है। इसलिए, ऋतु के अनुसार खान-पान में बदलाव करना आवश्यक होता है। ऋतु बदलने पर खानपान में बदलाव न किया जाए, तो यह विभिन्न प्रकार की बीमारियों का कारण बनता है। इन दिनों जब एक बार फिर ऋतु परिवर्तन हो रहा है, तो हम आपको बताने जा रहे हैं, इस समय में आपको क्या खाना चाहिए।
ऋतु में बदलाव होने पर क्या खाना चाहिए- What Should be Eaten in Season change
दिल्ली की आशा आयुर्वेदा के डायरेक्टर और आयुर्वेदिक एक्सपर्ट डॉ. चंचल शर्मा का कहना है कि आयुर्वेदा के अनुसार 6 ऋतुएं होती हैं, इसके अनुसार जीवनशैली और खान पान में परिवर्तन लाना ही ऋतुचर्या कहलाता है। अगर आप ऋतु में बदलाव होने पर भी स्वस्थ रहना चाहते हैं तो आपको इसे जरूर अपनाना चाहिए। मार्च से लेकर मई के मध्य तक बसंत ऋतु का समय होता है। बसंत ऋतुके दौरान अगर आप अपने आस पास ध्यान से देखें तो पाएंगे कि पेड़ों में नई पत्तियां और रंग बिरंगे फूल खिलने लगते हैं। इस ऋतु के प्रभाव से आपके शरीर में कफ दोष अनियंत्रित हो जाता है और शरीर में ऊर्जा की कमी महसूस होती है। बदलते ऋतु का असर आपके पाचन तंत्र पर भी देखा जाता है। इसलिए इस दौरान खानपान का विशेष ध्यान रखना जरूरी होता है।
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बसंत ऋतु में क्या खाना चाहिए- What should be eaten in spring season
डॉ. चंचल शर्मा के अनुसार, इस मौसम में आपको कुछ भी खाने से पहले इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि उसे पचाने में कितना समय लगेगा। ऋतु में बदलाव होने पर आहार में ऐसे खाद्य पदार्थों को शामिल करना चाहिए, जिन्हें आसानी से पचाया जा सकता हो।
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हल्का और पचने में आसान भोजन- भोजन में मूंग की दाल, खिचड़ी, चने की दाल जैसी चीजें शामिल करें। यह आसानी से पच जाती हैं और पाचन तंत्र पर किसी प्रकार का अतिरिक्त बोझ भी नहीं डालती हैं।
कड़वे, कसैले खाद्य पदार्थ- मेथी, करेला, पालक, और अदरक जैसी चीजें कड़वी और कसैली होती हैं। इनका सेवन करने से शरीर में जमा अतिरिक्त कफ को हटाने में मदद मिलती है।
शहद का सेवन- शहद का सेवन कफ को संतुलित करने के लिए बेहद फायदेमंद होता है। ऋतु में बदलाव होने पर प्रतिदिन सुबह गुनगुने पानी के साथ 1 चम्मच शहद मिलाकर पीने से सर्दी, खांसी और जुकाम की समस्या नहीं होती है।
गर्म और तरल पदार्थ-अदरक की चाय, पुदीना की चाय और हल्दी वाला दूध शरीर को अंदर से गर्म करते हैं। इससे इम्यूनिटी को स्ट्रांग बनाने में मदद मिलती है।
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बसंत ऋतु में क्या नहीं खाना चाहिए- What should not be eaten in spring
भारी और तैलीय भोजन- समोसा, पूड़ी, कचौरी और तले हुए खाद्य पदार्थ खाने से पाचन क्रिया कमजोर हो जाती है। तैलीय भोजन शरीर में पित्त के दोष को भी बढ़ावा देता है।
दूध और दूध से बने उत्पाद- बदलते मौसम में रात को दूध और दूध से बनें अन्य पदार्थों का सेवन करने से बचना चाहिए। यह कफ को बढ़ाकर बीमारियों का खतरा पैदा करता है।
मीठा-अत्यधिक मीठा खाना कफ को बढ़ावा देता है इसलिए इस बदलते मौसम में मिठाइयां, शक्कर और क्रीम जैसी चीजों का सेवन करने से बचें।
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निष्कर्ष
ऋतु में बदलाव होने पर सही खान-पान और दिनचर्या अपनाने से शरीर में कफ दोष को संतुलित किया जा सकता है। आयुर्वेद के अनुसार, हल्का और पचने में आसान आहार लेना इस मौसम में बेहद महत्वपूर्ण है। इसलिए अपने भोजन को मौसम के अनुसार बदलें और स्वस्थ रहें।