Doctor Verified

आयुर्वेद के अनुसार गर्भवती महिला को अलग-अलग ऋतुओं में कैसे खुद का ध्यान रखना चाहिए? एक्सपर्ट से जानें

Ritucharya Seasonal Pregnancy Care in Ayurveda: आयुर्वेद में ऋतुचर्या के अनुसार, प्रेग्नेंट महिलाएं अपना ख्याल रखें, तो यह उनके और गर्भस्थ शिशु के लिए फायदेमंद होता है।
  • SHARE
  • FOLLOW
आयुर्वेद के अनुसार गर्भवती महिला को अलग-अलग ऋतुओं में कैसे खुद का ध्यान रखना चाहिए? एक्सपर्ट से जानें

Ritucharya Seasonal Pregnancy Care in Ayurveda:प्रेग्नेंसी हर महिला के लिए खास और नाजुक समय होता है। प्रेग्नेंसी में हर महिला को अपनी सेहत का खास ख्याल रखने की जरूरत होती है, ताकि गर्भस्थ शिशु का विकास अच्छे से हो सके। प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए आयुर्वेद में ऋतुचर्या यानी मौसम के अनुसार जीवनशैली और आहार का पालन करना बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। दिल्ली की आशा आयुर्वेदा की डायरेक्टर और स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. चंचल शर्मा का कहना है कि प्रेग्नेंसी में सही ऋतुचर्या अपनाने से मां और शिशु दोनों का स्वास्थ्य बेहतर रहता है, प्रसव आसान होता है और शिशु का विकास भी संतुलित तरीके से होता है। आयुर्वेद के अनुसार गर्भवती महिला को अलग-अलग ऋतुओं में कैसे खुद का ध्यान रखना चाहिए? इस लेख में हम इसी विषय पर चर्चा करने वाले हैं।

इसे भी पढ़ेंः क्या पहली प्रेग्नेंसी IVF से होने के बाद दूसरी प्रेग्नेंसी नॉर्मल हो सकती है? डॉक्टर से जानें जवाब 

ऋतुचर्या क्या होती है?- What is seasonal routine?

डॉ. चंचल शर्मा के अनुसार, आयुर्वेद में बदलते मौसम के साथ अपनी जीवनशैली, खान-पान और आदतों में बदलाव करना ऋतुचर्या कहलाता है। इससे आपको अपने स्वास्थ्य का बेहतर ख्याल रखने में मदद मिलेगी। अगर प्रेग्नेंसी की बात करें तो ऋतुचर्या का महत्व और भी बढ़ जाता है, क्योंकि इस दौरान महिला का शरीर तुलनात्मक रूप से अधिक संवेदनशील हो जाता है। आयुर्वेद के अनुसार, बदलते मौसम का असर आपके शरीर में मौजूद तीनों दोषों (वात, पित्त और कफ) पर पड़ता है। स्वस्थ गर्भावस्था के लिए इन कारकों को संतुलित करना बहुत ज़रूरी है।

इसे भी पढ़ेंः क्या प्रेग्नेंसी में जड़ वाली सब्जियां खा सकते हैं? डॉक्टर से जानें जवाब

Ritucharya-Seasonal-Pregnancy-Care-in-Ayurveda-inside

1. वसंत ऋतु (मार्च -मई)

वसंत ऋतु के मौसम में ठंडक का एहसास कम होने लगता है और धीरे-धीरे गर्मी बढ़ रही होती है। वसंत ऋतु में आपके शरीर पर कफ दोष का नियंत्रण होता है, जो ठंडा और भारी स्वभाव का होता है। वसंत ऋतु में प्रेग्नेंट महिलाएं बहुत थका हुआ और सुस्त महसूस कर सकती हैं। इसलिए वसंत में प्रेग्नेंट महिलाओं को हल्का और आसानी से पचने वाला खाना खाने की सलाह दी जाती है।

प्रेग्नेंट महिलाएं वसंत ऋतु में क्या करें- What should pregnant women do in spring season?

  • हल्का और ताजा भोजन करें। 
  • सुबह खाली पेट हल्का गुनगुना पानी पिएं।
  • ताजे फल और नींबू पानी पिएं।

 

प्रेग्नेंट महिलाएं वसंत ऋतु में क्या न करें- What pregnant women should not do in spring season

 

  • बहुत ठंडी या भारी चीजें खाने से बचें।
  • रात को देर तक जागने की कोशिश न करें।
  • बहुत अधिक मीठा और तला-भुना खाने से बचें। 

2. ग्रीष्म ऋतु (जून - अगस्त)

आयुर्वेदिक डॉ. चंचल शर्मा के अनुसार, ग्रीष्म ऋतु शुष्क और तेज धूप वाली होती है। इस दौरान शरीर में पित्त दोष बढ़ता है। इस दौरान प्रेग्नेंट महिलाओं को डिहाइड्रेशन की समस्या हो सकती है। इससे बचने के लिए आपको अपने खाने में नारियल पानी, तरबूज और खीरा जैसे मौसमी फलों को शामिल करना चाहिए।

प्रेग्नेंट महिलाएं ग्रीष्म ऋतु में क्या करें- What should pregnant women do in summer

  • अपनी डाइट में ज्यादा मात्रा में पानी और लिक्विड वाली चीजों को शामिल करें।
  • शरीर को ठंडक देने वाले खाद्य पदार्थ जैसे खीरा, तरबूज, संतरा खाएं।
  • हल्के सूती कपड़े पहनें, ज्यादा धूप में जानें से बचें।

 

प्रेग्नेंट महिलाएं ग्रीष्म ऋतु में क्या न करें- What pregnant women should not do in summer

 

  • बहुत मसालेदार और तैलीय खाना खाने से बचें।
  • बाहर धूप से संपर्क न बनाएं।
  • ज्यादा ठंडे पानी से नहाने से बचें।

इसे भी पढ़ेंः सी-सेक्शन डिलीवरी के बाद नहीं हो रहा है ब्रेस्ट मिल्क प्रोडक्शन, तो जानें इसके पीछे का कारण 

3. वर्षा ऋतु (सितंबर - अक्टूबर) 

वर्षा ऋतु जिसे आम भाषा में बरसात कहा जाता है। बरसात के मौसम में वातावरण में नमी बढ़ जाती है, जिससे कफ और वात दोषों का नियंत्रण बिगड़ सकता है। इस दौरान प्रेग्नेंट महिलाओं को गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल रोग और अन्य संक्रमण होने का खतरा बढ़ जाता है।

प्रेग्नेंट महिलाएं वर्षा ऋतु में क्या करें- What should pregnant women do in rainy season

  • खाने में हल्का और आसानी से पचने वाली चीजों को शामिल करें।
  • संक्रमण से बचाव करने के लिए घर और आसपास की सफाई का ध्यान रखें।
  • हर्बल तेल से शरीर की मालिश करें। 

प्रेग्नेंट महिलाएं वर्षा ऋतु में क्या न करें- What pregnant women should not do in rainy season

  • बासी और ज्यादा तला-भुना खाना न खाएं।  
  • बाहर के खाने से बचें क्योंकि इस मौसम में संक्रमण की संभावना अधिक होती है।  
  • ज्यादा ठंडी चीजों को खाने से बचें।

इसे भी पढ़ेंः प्रेग्नेंसी में दृष्टि धामी ने भारी डंबल्स के साथ किया वर्कआउट, डॉक्टर से जानें क्या ऐसा करना है सेफ?

Can-You-Drink-Kombucha-While-Pregnant-inidew2

4. शरद ऋतु (नवंबर - दिसंबर)

सर्दियों के दौरान वातावरण बहुत ठंडा और शुष्क हो जाता है। इस समय वात और कफ दोषों की मात्रा बढ़ जाती है। शरद ऋतु में प्रेग्नेंट महिलाएं को ज्यादा ठंडे खाद्य पदार्थ न खाने की सलाह दी जाती है।

प्रेग्नेंट महिलाएं वर्षा ऋतु में क्या करें- What should pregnant women do in rainy season

  • घी, ड्राई फ्रूट्स और नट्स का सेवन करें।
  • हल्के गुनगुने पानी से नहाए, ताकि शरीर गर्म रखें।
  • शरीर को गर्म रखने के लिए अदरक की चाय पिएं।

प्रेग्नेंट महिलाएं वर्षा ऋतु में क्या न करें- What pregnant women should not do in rainy season

  • ज्यादा ठंडी चीजें खाने से बचें। 
  • हल्के कपड़े पहनने की बजाय गर्म कपड़े पहनें। 
  • लंबे समय तक भूखे रहने से बचें।

इसे भी पढ़ेंः नॉर्मल डिलीवरी में कितने टांके आते हैं? डॉक्टर से जानिए इसके बारे में

निष्कर्ष

आयुर्वेद में हर मौसम के अनुसार खानपान, दिनचर्या और सावधानियों का पालन करने की सलाह दी गई है, जिससे गर्भवती महिला का स्वास्थ्य अच्छा रहता है और शिशु का सही विकास होता है। आप डॉ. चंचल शर्मा द्वारा बताई गई ऋतुचर्या को अपनाकर प्रेग्नेंसी के दौरान स्वस्थ रह सकती हैं।

Read Next

मेथी और अलसी के बीज भिगोकर खाने से बालों की कई समस्याएं होती हैं दूर, आयुर्वेदिक एक्सपर्ट से जानें फायदे

Disclaimer