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Social Apnea क्या है? जानें वीकेंड और नींद से जुड़े इस नुकसान के बारे में

सोशल एपनिया क्या (Social Apnea in Hindi) है और इस वजह से आपको क्या-क्या समस्याएं हो सकती है, आइए जानते हैं इस बारे में विस्तार से कि इसका कारण क्या है।
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Social Apnea क्या है? जानें वीकेंड और नींद से जुड़े इस नुकसान के बारे में


सोशल एपनिया (Social Apnea in Hindi) के बारे में आप कितना जानते हैं? दरअसल, आजकल ये हर किसी को परेशान करती है और हर दूसरा इंसान वीकेंड के बाद इस महसूस करता है। इसकी वजह से नींद का पैटर्न, सोने और जगने का समय और कई दिनों तक पेट का हाजमा भी खराब रहता है। लेकिन, यह स्थिति आती क्यों है और इसका कारण क्या है? जानते हैं इस बारे में डॉ. ज्योति मिश्रा, सीनियर कंसल्टेंट - साइकोलॉजी, अपोलो स्पेक्ट्रा हॉस्पिटल, चिराग एन्क्लेव, दिल्ली से जिन्होंने बताया कि कैसे यह समस्या आजकल की युवा पीढ़ी में घर करती जा रही है और हर सोमवार जब लोग ऑफिस जाते हैं कैसे इस समस्या से निपटने में मुश्किल होती है। पर सबसे पहले जान लेते हैं सोशल एपनिया है क्या?

सोशल एपनिया क्या है-What is Social Apnea in hindi

डॉ. ज्योति मिश्रा बताते हैं कि सोशल एप्निया यानी सोशल एंजायटी एक ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति सामाजिक परिस्थितियों में असहज महसूस करता है या बात करने, मिलने-जुलने या समूह में रहने से डरता है। इसे सोशल एंग्जायटी डिस्टर्बेंस भी कहा जाता है। यह समस्या व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य पर असर डालती है और रोजमर्रा की जिंदगी को प्रभावित कर सकती है। वीकेंड में, जब लोग अक्सर दोस्तों या परिवार के साथ मिलते हैं या कार्यक्रमों में जाते हैं, तब सोशल एप्निया वाले लोग ज्यादा तनाव या घबराहट महसूस कर सकते हैं। यह स्थिति उनकी सामाजिक गतिविधियों को सीमित कर सकती है और अलगाव की भावना पैदा कर सकती है जिससे उनकी नींद भी प्रभावित होती है।

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सोशल एपनिया की वजह से नींद कैसे प्रभावित होती है?

सोशल एपनिया को आसान शब्दों में समझें तो यह नींद से जुड़ी बीमारी ही है जोकि वीकेंड के बाद प्रभावित करती है। जब आप वीकेंड पर दोस्तों और घर वालों के साथ समय बिताने और पार्टी करने के बाद देर रात सोते हैं तो नींद का पैटर्न प्रभावित हो जाता है। अगले दिन जब मंडे आता है तो नींद पूरी नहीं होती इससे उलझन हो सकती है।

सोशल एपनिया का इलाज क्या है-Social Apnea Prevention Tips in hindi

सोशल एप्निया का इलाज थेरैपी, जैसे काउंसलिंग, माइंडफुलनेस और कभी-कभी दवाओं के जरिए किया जाता है। इसे नजरअंदाज करने पर यह समस्या बढ़ सकती है और व्यक्ति के सामान्य जीवन में बाधा बन सकती है। इसके अलावा ऑफिस वाले लोगों की प्रोडक्टिविटी भी इससे प्रभावित होती है।

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इसलिए, जो लोग सोशल एप्निया के लक्षण महसूस करें, उन्हें तुरंत विशेषज्ञ से संपर्क करना चाहिए ताकि सही इलाज मिल सके और वे अपनी सामाजिक जिंदगी को बेहतर बना सकें।

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  • Nov 02, 2025 16:47 IST

    Published By : Pallavi Kumari

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