महिलाओं के शरीर में ओवुलेशन की प्रक्रिया का अहम रोल है। अगर आपको गर्भधारण करना है या प्रेग्नेंसी से बचना है तो ओवुलेशन को समझना जरूरी है। कई बार ओवुलेशन की साइकिल दो बार भी होती है उस केस में प्रेगनेंट होने पर जुड़वा बच्चे होते हैं पर आमतौर पर मासिक चक्र से पहले एक ही बार ओवुलेशन होता है। ओवुलेशन को समझने के लिए पीरियड्स से पहले लक्षणों की पहचान करनी चाहिए। इस लेख में हम ओवुलेशन से जुड़ी जरूरी बातों को जानेंगे। इस विषय पर बेहतर जानकारी के लिए हमने लखनऊ के वीरांगना झलकारीबाई अस्पताल की सीनियर गाइनोकॉलोजिस्ट डॉ दीपा शर्मा से बात की।
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ओवुलेशन के लक्षण (Symptoms of ovulation)
- अगर आपके मूड में बदलाव नजर आए।
- ब्रेस्ट एरिया में भारीपन महसूस हो।
- वजाइना से हल्की ब्लीडिंग।
- शरीर के तापमान में बदलाव।
- शरीर में पानी की कमी।
- पेट में हल्का दर्द महसूस होना।
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ओवुलेशन क्या होता है? (Ovulation meaning in hindi)
ओवुलेशन पीरियड्स यानी मासिक चक्र का ही एक हिस्सा है। शॉर्ट में समझें तो जब फीमेल ओवरी में एग रिलीज होते हैं तब ओवुलेशन होता है। ओवुलेशन (ovulation meaning in hindi) महिलाओं के शरीर में महीने का वो समय होता है जब अंडे यानी फीमेल एग्स मेल स्पर्म के साथ मिलने को तैयार होते हैं। हर महीने ओवरी यानी अंडकोष से 15 से 20 एग्स रिलीज होते हैं। से एग्स फैलोपियन ट्यूब के जरिए गर्भाशय यानी यूट्रस तक पहुंचते हैं। ये जरूरी नहीं है कि ओवरी में अंडे के रिलीज होने का मतलब प्रेगनेंसी हो ही जाए। अगर एग, स्पर्म के साथ फर्टिलाइज हो गया तो ही प्रेगनेंसी होती है वरना नहीं। एग फर्टिलाइज न होने की स्थिति में वो टूट कर पीरियड्स की प्रक्रिया के जरिए यूट्राइन लाइनिंग से ब्लड के फॉर्म में शरीर के बाहर निकल जाता है।
ओवुलेशन कब होता है? (Ovulation duration in hindi)
शॉर्ट में समझें तो पीरियड्स के 12 से 15 दिन पहले ओवुलेशन की प्रक्रिया (ovulation meaning in hindi) होती है। ओवुलेशन का समय सब महिलाओं में अलग होता है। ये समय उम्र के मुताबिक भी होता है। अगर आपकी उम्र 20 से 35 साल के बीच है तो ओवुलेशन पीरियड्स के 10 से 19 दिन के बीच होता है।
ओवुलेशन का पता लगाने के लिए टेस्ट? (Tests for ovulation)
ओवुलेशन का पता लगाने के लिए डॉक्टर दो तरह के टेस्ट मुख्य तौर पर करते हैं। पहला है सीरियल फॉलिक्युलर स्टडी स्कैन (serial follicular study) और दूसरा है पीटीएस (pts test) इन दोनों टेस्ट के जरिए ओवुलेशन का पता लगाया जाता है। अंडाणु रिलीज होने के 24 घंटे के अंदर वो फर्टिलाइज हो सकते हैं। आप खुद भी इसे टेस्ट कर सकते हैं। ओवुलेशन चक्र के शुरूआत में ग्रीवा यानी (योनी और गर्भाशय के बीच का रास्ता) सख्त और बंद होता है पर जैसे ही ओवुलेशन चक्र शुरू होता है, ग्रीवा मुलायम हो जाता है ताकि स्पर्म को अंदर ले सके। अगर आप ग्रीवा की जांच करें तो इसका पता लगा सकती हैं वहीं पीरियड्स के खत्म होते ही वो जगह फिर से सख्त हो जाती है।
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ओवुलेशन का समय पता लगाने के फायदे
ओवुलेशन का सही समय का पता लगाने से महिलाओं को दो तरीके के फायदे होते हैं। पहला ये कि अगर आपको ओवुलेशन का सही समय पता लग जाए तो प्रेगनेंसी में आसानी होती है। वहीं दूसरा फायदा ये कि अगर आपको गर्भनिरोधक तरीका अपनाना है तो आप ओवुलेशन प्रक्रिया के दौरान संबंध न बनाएं इससे आप बर्थ कंट्रोल कर सकती हैं। जिन महिलाओं को अनियमित पीरियड्स (irregular periods) यानी हर माह पीरियड्स नहीं होते उनमें ओवुलेशन का समय अलग हो सकता है।
प्रेग्नेंसी की संभावना कब ज्यादा हो सकती है? (Right time to plan pregnancy)
प्रेगनेंसी प्लान (Pregnancy planning) करने के लिए ओवुलेशन को समझना जरूरी है। एलएच एक हार्मोन है जो यूरिन में मौजूद होता है पर ओवुलेशन से पहले इसका लेवल बढ़ जाता है। एलएच यानी ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन के बढ़ने से प्रेगनेंट होने की संभावना बढ़ती है। ओवुलेशन से एक या दो दिन पहले एलएच हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है, अगर इस दौरान आप पॉर्टनर के साथ ट्राय करेंगी तो प्रेगनेंट होने की संभावना ज्यादा होगी।
ओवुलेशन के दौरान आपको किसी तरह का तेज दर्द या लक्षणों में बदलाव नजर आए तो आपको डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
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