डिलीवरी से पहले अक्सर महिलाएं प्रेग्नेंसी के दौरान डिप्रेशन यानी अवसाद का शिकार हो जाती हैं, ये डिप्रेशन किसी भी कारण से हो सकता है जैसे स्वास्थ्य को लेकर चिंता, घर पर खराब माहौल, गर्भस्थ शिशु को लेकर ओवरप्रोटेक्टिव होना आदि। इस डिप्रेशन को मेडिकल भाषा में एंटीनेटल डिप्रेशन यानी प्रसव पूर्व डिप्रेशन के नाम से जानते हैं। ये डिप्रेशन अक्सर उन महिलाओं में देखने को मिलता है जिनके आसपास का माहौल अच्छा नहीं होता या जो डॉक्टर के संपर्क में नहीं रहतीं। एंटीनेटल डिप्रेशन के कारण आप हाई बीपी, घबराहट, अनिद्रा आदि समस्याओं का शिकार हो सकती हैं इसलिए समय रहते इसका इलाज जरूरी है। इस लेख में हम एंटीनेटल डिप्रेशन को दूर करने के लिए आसान उपायों पर चर्चा करेंगे। इस विषय पर बेहतर जानकारी के लिए हमने लखनऊ के झलकारीबाई अस्पताल की गाइनोकॉलोजिस्ट डॉ दीपा शर्मा से बात की।
image source: google
1. प्रेग्नेंसी और डिलीवरी से जुड़ी जानकारी इकट्ठा करें
अगर आपको लग रहा है कि आप डिलीवरी से पहले अवसाद का शिकार हो गई हैं तो आप प्रेग्नेंसी और डिलीवरी से जुड़ी जानकारी इकट्ठा करें, इसके लिए आप किताबों का इस्तेमाल करें। प्रेग्नेंसी पर लिखी गई किताबों को पढ़ें जिससे आपको सही जानकारी मिलेगी और आप चिंता से बचेंगी। आपको जानकारी के लिए अच्छी किताबें यूज करनी चाहिए वहीं आप इंटरनेट पर दी गई जानकारी से बचें, उसमें जानकारी के ओवरलोड से भी आप चिंता का शिकार हो सकती हैं।
इसे भी पढ़ें- प्रेगन्नेसी के दौरान कौन से टीके लगवाने हैं जरूरी? डॉक्टर से जानें पूरी जानकारी
टॉप स्टोरीज़
2. कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी (Cognitive behaviour therapy)
अगर आपको डिलीवरी से पहले अपने और होने वाले बच्चे के स्वास्थ्य को लेकर चिंता सता रही है और आप डिप्रेशन के लक्षण महसूस कर रही हैं तो आप कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी अपनाएं। कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी को टॉक थेरेपी भी कहा जाता है। दिमाग में चल रही परेशानी को ठीक करने के लिए इस थैरेपी का इस्तेमाल किया जाता है। इस थैरेपी में काउंसलिंग के जरिए आपकी परेशानी का उपाय दिया जाता है। आम व्यक्ति को इस थैरेपी में दवा भी दी जाती हैं पर आप गर्भवती हैं तो डॉक्टर आपको ज्यादा दवा लेने की सलाह नहीं देंगे तो केवल थैरेपी से ही इलाज किया जाता है।
3. फल, सब्जियां, मेवे खाएं (Eat fruits, vegetables, dry fruits during pregnancy)
प्रेग्नेंसी में आपकी अच्छी सेहत के पीछे डाइट का अहम रोल है। आप जो भी खाएंगी उसका अच्छा या बुरा असर आपके और होने वाले बच्चे के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है। अगर डिलीवरी से पहले आप अवसाद का शिकार हो गई हैं तो आप ताजे फल और सब्जियों का सेवन करें। ताजे फल और सब्जियों में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जिससे डिप्रेशन कम होता है। इसके अलावा आप मेवों का सेवन करें। मेवों में आप बादाम, अखरोट, काजू, अंजीर, खजूर आदि को मिक्स करके खा सकते हैं वहीं सीजनल फ्रूट्स और वेजिटेबल को ही डाइट में शामिल करें।
4. क्या सुबह टहलने से डिप्रेशन दूर होता है?
image source: google
कई एक्सपर्ट्स और डॉक्टर ये मानते हैं कि सुबह सूरज की किरणें, ताजा वातावरण हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है। अगर आप प्रेगनेंट हैं तो डॉक्टर आपको वॉक करने की सलाह देते हैं पर अगर आप एंटीनेटल यानी प्रसव पूर्व डिप्रेशन से गुजर रही हैं तो आपको टहलने के लिए सुबह का समय चुनना चाहिए। इस समय आपको प्रकृति के करीब रहने का मौका मिलेगा, ताजी हवा से आपका तनाव कम होगा और वॉक करने से शरीर को ऑक्सीजन मिलेगा जिससे डिप्रेशन का लेवल भी कम होगा।
इसे भी पढ़ें- क्या सच में शिशु को स्तनपान कराने से कम होता है महिलाओं को हार्ट की बीमारी का खतरा? जानें डॉक्टर की राय
5. एंटीनेटल चेकअप क्यों जरूरी है? (Importance of antenatal checkup during pregnancy)
एंटीनेटल डिप्रेशन यानी प्रसव पूर्व डिप्रेशन से बचने के लिए आपको एंटीनेटल चेकअप करवाना चाहिए। एंटीनेटल का मतलब है प्रसव पूर्व जांचें। इनमें ब्लड शुगर लेवल, बीपी की जांच, वजन, अल्ट्रासाउंड आदि शामिल होता है। ये चेकअप डिप्रेशन की जांच नहीं करता पर डिलीवरी से पहले समय-समय पर चेकअप करवाने से आप अपने सेहत को लेकर निश्चिंत रहेंगी और आप डिप्रेशन का शिकार होने से बच जाएंगी।
प्रसव पूर्व डिप्रेशन से बचने के लिए हल्की एक्सरसाइज करें, रिच डाइट लें और समय-समय पर चेकअप करवाएं।
main image source: parents.com