मासिक धर्म या पीरियड भारत जैसे विकासशील देश में आज भी इस विषय पर बात बहुत कम होती है। जो लोग पीरियड्स जैसे विषय बात भी करते हैं तो बहुत संकोच और शर्म के साथ। लेकिन महिलाओं को होने वाले पीरियड्स किसी शर्म या संकोच का मुद्दा नहीं बल्कि बीमारी का है। अनियमित पीरियड्स, ज्यादा हैवी ब्लीडिंग और महीने में 2 से 3 बार पीरियड्स होने की वजह से महिलाओं को कई बीमारियों से गुजरना पड़ सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट बताती है अनियमित पीरियड्स की वजह से महिलाओं में हार्ट संबंधी बीमारियों का खतरा ज्यादा रहता है। सुनने में थोड़ा सा अजीब जरूर लग सकता है कि लेकिन पीरियड्स का सीधा कनेक्शन हार्ट हेल्थ से है। आज इस लेख में हम महिलाओं और लड़कियों को होने वाले अनियमित पीरियड्स और हार्ट के बीच क्या कनेक्शन है इसके बारे में बताने जा रहे हैं। इस विषय पर ज्यादा जानकारी के लिए हमने गुरुग्राम स्थित सीके बिड़ला अस्पताल की स्त्री व प्रसुति रोग विशेषज्ञ आस्था दयाल से बातचीत की।
डॉ. सीमा का कहना है कि महिलाओं में होने वाले अनियमित पीरियड्स को पीसीओएस (पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम) कहा जाता है। इस बीमारी में महिलाओं के शरीर में पुरुष हार्मोन की उच्चता देखी जाती है, जिसकी वजह से महिलाओं को पीरियड्स सही तरीके से नहीं होते हैं। अनियमित पीरियड्स की वजह से महिलाओं का वजन बढ़ना, मोटापा और शरीर में चर्बी जमा होना जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। इन लक्षणों की वजह से महिलाओं को डायबिटीज या हाइपरटेंशन की भी शिकायत होती है और ये सारे ही फैक्ट हार्ट अटैक और हार्ट स्ट्रोक के हैं। इसकी वजह से महिलाओं में हार्ट अटैक और हार्ट स्ट्रोक का खतरा भी बढ़ता है।
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पीसीओएस (PCOS) के लक्षण - PCOS Symptoms in Hindi
- नींद ना आना
- सिर में दर्द होना/li>
- थकान महसूस होना
- बालों का झड़ना
- त्वचा पर कील मुहांसों का होना
- मूड स्विंग्स
- अनियमित मासिक धर्म
- गर्भधारण करने में समस्या
- बार-बार गर्भपात होना
- डिप्रेशन या एंग्जायटी
- टेस्टोस्टेरोन स्तर का हाई होना आदि।
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क्या इसका कोई इलाज है?
हेल्थ एक्सपर्ट का कहना है कि वैसे तो पीसीओएस बीमारी का कोई निश्चित इलाज मौजूद नहीं है लेकिन अपनी लाइफस्टाइल में जरूरी बदलाव करके पीसीओएस को आसानी से मैनेज जरूर किया जा सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि महिलाओं को अपने स्वास्थ्य का ख्याल रखने के लिए सक्रिय रहने की जरूरत है। अतिरिक्त वजन कम करने से पीसीओएस के कुछ लक्षणों की गंभीरता कम की जा सकती है। अगर पीसीओएस से पीड़ित महिलाएं अपने वजन में सिर्फ 5 से 10 प्रतिशत की भी कमी कर लें तो इसका सेहत पर बेहतर प्रभाव नजर आता है जिसमें- मासिक धर्म चक्र का अनियमित होना, मूड का बेहतर रहना और डायबिटीज और हृदय रोग का जोखिम भी कम होना शामिल है।