हम सभी ने कभी न कभी अपने मुंह में छाले होने की समस्या का सामना किया ही होता है। बड़े तो किसी न किसी तरह इस परेशानी का सामना कर लेते हैं, लेकिन अगर बच्चों के मुंह में छाले हो जाएं तो उन्हें बहुत ज्यादा दर्द और दिक्कत का सामना करना पड़ता है। बच्चों के मुंह में छाले (Mouth Ulcers) होने के कई कारण हो सकते हैं, जिसमें हर्पगिना की समस्या भी शामिल है। यह समस्या 3 से 10 साल के बच्चों में बहुत ज्यादा होती है। इस समस्या में बच्चों के मुंह के अंदर बहुत सारे छाले होते हैं, जिसके कारण उनका खाना, पीना या बोल पाना भी मुश्किल हो सकता है। ऐसे में आइए किरण मल्टी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के कंसल्टेंट पीडियाट्रिशियन और न्यूबोर्न स्पेशलिस्ट डॉ. पवन मंडाविया से जानते हैं बच्चों में हर्पंगिना की समस्या क्या है?
हर्पंगिना क्या है?
हर्पंगिना, एक वायरल इंफेक्शन है, जो आमतौर पर 3 से 10 साल तक की उम्र के बच्चों में देखने को मिलता है। इस बीमारी में बच्चों के मुंह में छोटे-छोटे छाले या घाव होते हैं, जिस कारण बच्चों का खाना, पीना और बोलना काफी मुश्किल हो जाता है। यह समस्या खासकर गले के पीछे होता है। यह इंफेक्शन एंटरोवायरस के कारण होता है। यह बीमारी अक्सर गर्मियों के मौसम में ज्यादा होती है। ऐसे में हर्पंगिना से इंफेक्टेड व्यक्ति के हाथों को साफ रखने से बीमारी फैलने का जोखिम कम होता है।
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हर्पंगिना के लक्षण क्या है?
हर्पंगिना की समस्या बच्चों में आमतौर पर तेज बुखार के साथ शुरू होता है, जो 101°F से 104°F तक होता है और ये कुछ दिनों तक रहता है। आमतौर पर इस समस्या में ये लक्षण नजर आ सकते हैं-
- मुंह या गले के पीछे छोटे, छाले या घाव
- निगलने में समस्या या दर्द
- गले में खराश
- सिरदर्द होना
- भूख न लगना
- छोटे बच्चों में चिड़चिड़ापन
- थकान महसूस होना
- कभी-कभी उल्टी आना
हर्पंगिना होने के कारण
हर्पैंगिना एंटरोवायरस नाम के वायरस के कारण होता है, जिसमें कॉक्ससैकी ए वायरस सबसे आम है। यह इंफेक्शन संक्रमित व्यक्ति की लार, नाक के बलगम या मल के सीधे संपर्क के कारण फैल सकता है। आमतौर पर यह समस्या बच्चों में स्कूलों, डे केयर या अन्य जगहों से फैलता है, जहां बच्चे एक दूसरे के संपर्क में ज्यादा होते है।
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हर्पंगिना का इलाज
- हर्पैंगिना के लिए कोई खास एंटीवायरल इलाज नहीं है, लेकिन लक्षणों को घर पर ही कंट्रोल किया जा सकता है, जिससे बच्चों को राहत मिल सके-
- गुनगुने पानी में नमक डालकर सुबह और शाम बच्चे को गरारे कराएं।
- संक्रमित बच्चे में डिहाइड्रेशन की समस्या रोकने के लिए उन्हें पर्याप्त मात्रा में पानी पिलाएं।
- डॉक्टर की सलाह पर दर्द की दवाएं और बुखार की दवां दें सकते हैं।
- बच्चे को कम मसाले और कम एसिड वाले खाद्य पदार्थ खाने के लिए दें।
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आमतौर पर बच्चों में ये इंफेक्श एक हफ्ते के अंजर अपने आप ठीक हो सकता है। हालांकि, अगर लक्षण बिगड़ते हैं या डिहाइड्रेशन होता है, तो डॉक्टर से कंसल्ट जरूर करें।
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