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Hemophobia: हीमोफोबिया क्या है और क्यों होता है? 35 वर्षीय राकेश की केस स्टडी से समझें

What Is Hemophobia In Hindi: हिमोफोबिया होने पर मरीज को खूब देखकर दर लगने लगता है। कई बार डर इतना बढ़ जाता है कि व्यक्ति बेहोश तक हो जाता है। 
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Hemophobia:  हीमोफोबिया क्या है और क्यों होता है? 35 वर्षीय राकेश की केस स्टडी से समझें


What Is Hemophobia Explained With A Real Case Study In Hindi: "35 वर्षीय राकेश के लिए अपनी बेटी को वैक्सीनेशन के लिए ले जाने में दिक्कतें होती थीं। वह उसे फर्स्ट-एड ट्रेनिंग के लिए भी नहीं ले जा पाता था। दरअसल, उसे डर लगता था कि कहीं अगर उसने किसी का ब्लड देख लिया, तो न जाने क्या होगा? वास्तव में, राकेश हीमोफोबिया का शिकार था। वह एक ऐसी बीमारी है, जिसमें व्यक्ति ब्लड देखकर या इसके बारे में सोचकर काफी ज्यादा डर जाता है। यह डर इतना गहरा होता है कि कई बार मरीज खून देखकर बेहोश तक हो जाता है। यही नहीं, हीमोफोबिया कई बार व्यक्ति के रोजमर्रा के कामकाज को भी प्रभावित करने लगता है। राकेश के साथ यही होने लगा था। अंततः वह मेरे पास आया। करीब 12 सप्ताह तक उसका इलाज चला, जिसके तहत उसकी काउंसलिंग हुई और कई अन्य उपाय आजमाए गए। अब उसकी स्थिति में काफी सुधार है।"

यह केस स्टडी हमारे साथ क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट और माइंडट्राइब की फाउंडर डॉ. प्रेरणा कोहली ने शेयर की है, जिन्होंने राकेश का ट्रीटमेंट किया। राकेश के साथ बातचीत करके और ट्रीटमेंट के दौरान डॉक्टर प्रेरणा को पता चला कि वह हीमोफोबिया का मरीज है।

ओनलीमायहेल्थ ऐसे मानसिक विकारों और रोगों की बेहतर तरीके से समझने के लिए ‘मेंटल हेल्थ मैटर्स’ नाम से एक विशेष सीरीज चला रहा है। इस सीरीज के जरिए हम विभिन्न मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं के बारे में अपने पाठकों को बता रहे हैं। इस सीरीज में हम आपको मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी बीमारी के लक्षण, कारण और इलाज के संबंध में जरूरी जानकारी दे विस्तार से बताते हैं। आज इस सीरीज में हम आपको राकेश की केस स्टडी की मदद से ‘हीमोफोबिया’ के बारे में बताएंगे।

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क्या है हीमोफोबिया - What Is Hemophobia

What Is Hemophobia

हीमोफोबिया एक किस्म का फोबिया है, जिसमें व्यक्ति को खून देखकर बहुत ज्यादा डर लगने लगता है। यही नहीं, खून देखकर इन लोगों को गंभीर चिंता हो जाती है, घबराहट होने लगती है और यहां तक कि बेहोश भी हो सकते हैं। ऐसा व्यक्ति के साथ अपना खून देखकर भी हो सकता है और दूसरों का खून देखकर भी। ध्यान देने वाली बात ये है कि हर फोबिया की तरह, हीमोफोबिया होने पर भी व्यक्ति की रोजमर्रा की जिंदगी प्रभावित हो सकती है, जो कि गंभीर चिंता का विषय बन सकता है। इससे निदान के लिए प्रोफेशनल की मदद लेना जरूरी है।

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हीमोफोबिया के लक्षण - Symptoms Of Hemophobia 

हीमोफोबिया होने पर व्यक्ति को अलग-अलग तरह के लक्षण नजर आ सकते हैं। जैसे कि राकेश के केस में देखा कि वह खून देखकर डरता था, वे अपने भाई-बहन को फर्स्ट-एड ट्रेनिंग सेंटर नहीं ले जाता था क्योंकि खून देखकर उसे बेचैनी होने लगती थी। यहां तक कि वह एक बार खून देखकर बेहोश भी हो चुका था। डॉ. प्रेरणा कोहली इसके अन्य लक्षणों के बारे में बताती हैं-

  • तेज़ दिल की धड़कन या घबराहट
  • सांस लेने में तकलीफ होना
  • शरीर कांपना
  • बुरी तरह चक्कर आना
  • मतली या पेट ख़राब होना
  • अत्यधिक पसीना आना

हीमोफोबिया का कारण - Causes Of Hemophobia

Causes Of Hemophobia

ज्यादातर फोबिया की तरह, हीमोफोबिया के कारणों को भी पूरी तरह से समझा नहीं गया है । व्यक्ति-दर-व्यक्ति इसका कारण अलग-अलग हो सकता है। जैसा कि हमने राकेश की केस स्टडी से समझा कि उसे हीमोफोबिया हुआ क्योंकि उसके साथ उसके बचपन की कुछ बुरी यादें जुड़ी थीं। दरअसल, बचपन में उसने अपनी आंखों से एक एक्सीडेंट देखा था, जिसने राकेश के मन में गहरी छाप छोड़ी थी। वह डर उसके मन से कभी गया ही नहीं। नतीजतन, अब वह हीमोफोबिया का शिकार है। डॉ. प्रेरणा कोहली के अनुसार, ‘हीमोफोबिया का कोई निश्चित कारण नहीं है, लेकिन फिर भी जो ज्ञात कारण हैं, वे इस प्रकार हैं-

  • बुरा अनुभवः अगर किसी ने कोई ऐसी दुर्घटना देखी है, जिसमें व्यक्ति ने बहुत ज्यादा खून देखा है या फिर गंभीर चोट लगी है, तो इससे हीमोफोबिया ट्रिगर हो सकता है। इस अवस्था में मरीज के मन में ब्लड को एक नेगेटिव मेमेरी की याद कर लेता है, जिससे मरीज को डर लगने लगता है।
  • आसपास का माहौलः कई बार ऐसा होता है कि घर का कोई सदस्य खून देखकर चीखता-चिल्लाता है या असहज हो जाता है। अगर कोई बच्चा अपने आसपास किसी को ऐसा करते देखता है, तो उसके मन में भी खून को लेकर डर बैठ जाता है।
  • पारिवारिक इतिहासः अगर घर में किसी को हीमोफोबिया है, तो संभावित पीढ़ी में भी इस तरह की समस्या का रिस्क बना रहता है।
  • स्वाभाविक प्रतिक्रियाः कुछ लोग खून देखकर सहज ही घबरा जाते हैं और बेहोश हो जाते हैं।

हीमोफोबिया का इलाज - Treatment Of Hemophobia 

जैसा कि राकेश को अपनी बीमारी का पता चला और वह डॉ. प्रेरणा कोहली के पास अपना ट्रीटमेंट करवाने के लिए पहुंचा। ट्रीटमेंट के दौरान, उसे साइकोएजुकेशन दी गई, उसका एसेसमेंट किया गया, ट्रीटमेंट के प्लानिंग और स्ट्रेटेजी तैयार की गई। इन सबको फॉलो करते हुए राकेश का इलाज किया गया। 12 सप्ताह तक चले इस ट्रीटमेंट की मदद से अब राकेश अपनी बेटी को फर्स्ट-एड ट्रेनिंग ले जाने लगा है और बेहिच उसे वैक्सीनेशन के लिए भी ले जाता है। जहां तक इसके अन्य इलाजों की बात है, तो वे हैं-

कॉग्निटिव-बिहेवियरल थेरेपी (सीबीटी): इस तरह के फोबिया से लड़ने के लिए सीबीटी सबसे पहली थेरेपी होती है। इसके तहत, व्यक्ति के मन में खून को लेकर जो विचार है, उसे समझा जाता है और उसे बदलने की कोशिश की जाती है। सीबीटी की मददसे व्यक्ति अपने डर का सामना करने में सक्षम बनता है और अपनी डर को मैनेज करा सीखता है। यही नहीं, जो बातें उसके रोजमर्रा के कामकाज को बाधित कर रही थीं, उसे भी व्यक्ति रोकने की कोशिश करता है।

एक्सपोज़र थेरेपीः यह सीबीटी का ही एक रूप है जहां एक व्यक्ति धीरे-धीरे और बार-बार उस चीज के संपर्क में आता है, जिससे उसे डर लगता है। हीमोफोबिया ट्रीटमेंट के दौरान व्यक्ति को बार-बार खून के संपर्क में लाकर उसके मन में डर को हटाने की कोशिश की जाती है। इसकी शुरुआत खून के बारे में बात करने से होती है, फिर एक तस्वीर देखने से, फिर एक वीडियो देखने से, और इसी तरह, धीरे-धीरे व्यक्ति को रियल ब्लड दिखाया जाता है।

रिलैक्सेशन तकनीकः यह तकनीक हीमोफोबिया से जुड़ी चिंता के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकती है। इसमें व्यक्ति योगा, एक्सरसाइज, ब्रीदिंग एक्सरसाइज करता है, जिससे मन को रिलैक्स रखने में मदद मिलती है।

दवाः हीमोफोबिया के गंभीर लक्षणों को नियंत्रित करने में मदद के लिए कुछ मामलों में दवा का उपयोग किया जा सकता है। हालांकि, यह मरीज की स्थिति पर निर्भर करता है।

हीमोफोबिया के मरीज कैसे मदद करें - How To Help Someone With Hemophobia

हीमोफोबिया से पीड़ित किसी करीबी की मदद करने के लिए बहुत जरूरी है कि आपमें धैर्य हो। यहां हम आपको कुझ सुझाव दे रहे हैं, इन्हें भी फॉलो कर सकते हैं-

  • खुद को एजुकेट करेंः आप सबसे पहले यह समझें कि हीमोफोबिया क्या है और यह आपके व्यक्ति को कैसे प्रभावित करता है। ध्यान रखें कि यह एक फोबिया है, जो व्यक्ति के मन में बैठा हुआ है। इस फोबिया को लेकर व्यक्ति का मजाक न उड़ाएं।
  • मदद करेंः अपने करीबी के डर की खिल्ली उड़ाने के बजाय, उसके डर को स्वीकार करें और मरीज को कहें कि यह असामान्य नहीं है। ऐसा कई लोगों के साथ होता है। 
  • एक्सपर्ट की मदद लेंः हीमोफोबिया से आप अकेले नहीं लड़ सकते हैं। इसलिए, कोशिश करें कि आप अपने करीबी को किसी एक्सपर्ट के पास ले जाएं। उसे थेरेपी और एक्सपोजर थेरेपी के लिए मोटिवेट करें। आपके करीबी व्यक्ति को इससे काफी मदद मिलेगी।
  • धैर्य रखेंः जैसा कि हमने शुरू में ही कहा कि किसी भी तरह के फोबिया के मरीज की मदद करनी है, तो आपको धैर्य बनाए रखना होगा। आप अपने करीबी के बिहेवियर पर चिढ़े नहीं, बल्कि धैर्य बनाकर उसकी मदद करने की कोशिश करें। अगर उन्हें अचाकन डर का अटैक आ जाए, तो आप उसे कंट्रोल करने में मदद करें।
राकेश की तरह अगर आपके घर में भी ऐसा कोई है, जिसे हीमोफोबिया है, तो आप सावधान हो जाएं। उसे लेकर तुरंत एक्सपर्ट के पास जाएं। इस लेख में हम "हीमोफोबिया" से जुडी सभी जानकारी देने की कोशिश की है। अगर फिर भी आपके मन में कोई सवाल रह गए हैं, तो हमारी वेबसाइट https://www.onlymyhealth.com में 'Hemophobia' से जुड़े दूसरे लेख पढ़ें या हमारे सोशल प्लेटफार्म से जुड़ें।

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