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फेकल ट्रांसप्लांट क्या होता है? एक्सपर्ट से जानें यह सुरक्षित है या नहीं

What is Fecal Transplant in Hindi: फेकल ट्रांसप्लांट यानी स्वस्थ कोलोन से मल को इंफेक्टेड कोलाने में ट्रांसप्लांट करना। क्या यह तरीका वाकई फायदेमंद होता है और यह कितना सुरक्षित है? आएइ, जानते हैं डॉक्टर से।
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फेकल ट्रांसप्लांट क्या होता है? एक्सपर्ट से जानें यह सुरक्षित है या नहीं


What is Fecal Transplant in Hindi: फेकल ट्रांसप्लांट, इसे फेकल माइक्रोबायोटा ट्रांसप्लांट भी कहा जाता है। यह असल में स्टूल ट्रांसप्लांट होता है। यह एक तरह का मेडिकल प्रोसीजर होता है, जो कि स्वस्थ आदमी के स्टूल को बीमार व्यक्ति के गट्स में डाला जाता है। यह स्थिति तब पैदा होती है, जब किसी की पेट में जब हजार से ज्यादा माइक्रोऑर्गेनिज्म बुरी तरह प्रभावित हो जाते हैं। हालांकि, इस प्रोसीजर से अब तक लोग अंजान हैं। लेकिन, इसका गट हेल्थ पर पॉजिटिव असर पड़ सकता है। आइए, जानते हैं विस्तार से आखिर फेकल ट्रांसप्लांट क्या होता है और ऐसा करवाया जाना सुरक्षित है या नहीं? इस बारे में हमने यशोदा अस्पताल के सीनियर कंसल्टेंट इंटरनल मेडिसिन डॉ.एसपी सिंह से बात की।

फेकल ट्रांसप्लांट क्या है?- What is Fecal Transplant in Hindi

What is Fecal Transplant 01

जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है कि फेकल ट्रांसप्लांट का मतलब है कि हेल्दी कोलोन से स्टूल (मल) लिया जाना और उनके कोलोन में ट्रांसप्लांट करना, जिनके कोलोन में दिक्कत है या बीमारी है। आपको यह शायद जानकर हैरानी होगी कि मल में हजारों की संख्या में माइक्रोबायोटा होते हैं, जो कि अस्वस्थ कोलोन को स्वस्थ बनाने का काम करते हैं। वैसे तो फेकल ट्रांसप्लांट (मल प्रत्यारोपण) प्रक्रिया का इस्तेमाल तभी किया जाता है, जब किसी व्यक्ति का गंभीर रूप से बैक्टीरियल इंफेक्शन होता है। इस ट्रांसप्लांट प्रक्रिया में मल के थोड़े से सैंपल के जरिए माइक्रोबायोटा को संक्रमित कोलोन में डाला जाता है। इससे प्रभावित कोलोन में माइक्रोबायोटा के स्तर को बैलेंस करने में मदद मिलती है। इससे गट हेल्थ में सुधार होता है।

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क्या फेकल ट्रांसप्लांट फायदेमंद है?

आपको पता होगा कि हर व्यक्ति के पेट में लाखों-करोड़ों की संख्या में माइक्रोऑर्गेनिज्म होते हैं। इनमें से ज्यादातर माइक्रोऑर्गेनिज्म स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद माने जाते हैं। साथ ही, ये सूक्ष्मजीव शरीर को स्वस्थ रखने में कई तरह से मददगार साबित होते हैं। जैसे इन सूक्ष्मजीवों की मदद से पेट में नुकसानदायक जर्म्स पैदा नहीं हो पाते हैं, जिससे स्वास्थ्य सामान्य बना रहता है। लेकिन, कुछ स्थितियों में पेट में मौजूद ये सूक्ष्मजीव या माइक्रोऑर्गेनिज्म प्रभावित हो सकते हैं। ऐसा खासकर, उन लोगों के साथ होता है, जो लंबे समय से दवा ले रहे हैं या किसी बीमारी से ग्रस्त हैं। आपको बता दें कि आंत माइक्रोबायोम का एक नाजुक इकोसिस्टम है। जब बेकार माइक्रोऑर्गेनिज्म उपयोगी सूक्ष्मजीवों की तुलना में अधिक हो जाती हैं, तो ऐसे में यह इकोसिस्टम असंतुलित हो जाता है। वहीं, फेकल ट्रांसप्लांट की मदद से इस अंसतुलन को संतुलित करने में मदद मिलती है। इस प्रक्रिया को डॉक्टर अंजाम देते हैं। इसलिए, इसकी जरूरत है या नहीं, इस बारे में डॉक्टर ही आपको सही सूचना दे सकते हैं। इसके अलावा, ऐसा किया जाना किसी की हेल्थ के कितना आवश्यक है, इन सब चीजों पर नजर रखते हुए वे इस प्रक्रिया को करने का निर्णय लेते हैं।

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किन बीमारियों में फेकल ट्रांसप्लांट की जरूरत होती है?

What is Fecal Transplant 02

वैसे तो इस तरह की प्रक्रिया को बहुत कम मामलों में ही इस्तेमाल किया जाता है, जैसे क्लोस्ट्रीडियम डिफिसाइल। लेकिन, यह कई अन्य बीमारियों में भी कारगर तरीके से काम कर सकता है, जैसे-

  • आंत में सूजन (इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज)
  • इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम (आईबीएस)
  • मोटापा
  • लिवर डिजीज
  • डायबिटीज
  • फूड एलर्जी
  • ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (एएसडी)
  • डिप्रेशन
  • एंग्जाइटर डिसऑर्डर
  • मल्टीपल स्केलेरोसिस (एमएस)।

All Image Credit: Freepik

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