Doctor Verified

Cornea Transplants से जुड़े इन 4 बातों पर लोग करते हैं भरोसा, जानें इनकी सच्चाई

Myths And Facts About Cornea Transplants In Hindi: कॉर्नियल ट्रांसप्लांट सर्जरी से कई लोगों को डर लगता है, क्योंकि माना जाता है कि यह दर्दभरी प्रक्रिया है। जबकि, ऐसा नहीं है। इसी तरह के अन्य मिथक के बारे में इस लेख में जानेंगे-
  • SHARE
  • FOLLOW
Cornea Transplants से जुड़े इन 4 बातों पर लोग करते हैं भरोसा, जानें इनकी सच्चाई


Myths And Facts About Cornea Transplants In Hindi: कॉर्नियल ट्रांसप्लांट को हम केराटोप्लास्टी के नाम से भी जानते हैं। यह एक तरह की मेडिकल प्रक्रिया है। यह प्रक्रिया तब की जाती है, जब किसी की कॉर्निया डैमेज हो जाती है। प्रक्रिया के दौरान क्षतिग्रस्त कॉर्निया को रिमूव करके वहां हेल्दी टिश्यूज लगाए जाते हैं। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन की मानें, तो हाल के सालों में कोविड के बाद से लोगों में कॉर्नियल ट्रांसप्लांट के मामले हिंदुस्तान में बढ़े हैं। इसका मतलब है कि हमें कॉर्नियल ट्रांसप्लांट की ओर विशेष ध्यान देना चाहिए। ऐसा नहीं है कि लोग इसके ओर जागरूक नहीं हो रहे हैं। लेकिन, लोग इसको लेकर गलत बातों पर भी भरोसा कर बैठते हैं। इस बारे में हमने हैदराबाद के सोमाजीगुडा में स्थित मैक्सीविजन सुपर स्पेशियलिटी आई हॉस्पिटल के Cataract and Refractive Surgeon डॉ. अखिल बेवरा से बात की।

कॉर्नियल ट्रांसप्लांट से जुड़े मिथक और उनकी सच्चाई- Myths And Facts Related To Cornea Transplants In Hindi

myths and facts about cornea transplants 01

मिथकः कॉर्नियल ट्रांसप्लांट बहुत ज्यादा रिस्की होता है

सच्चाईः यह सच है कि हर तरह के ट्रांसप्लांट या सर्जरी में रिस्क होता है। इसी तरह से कॉर्नियल ट्रांसप्लांट में भी होता है। लेकिन, यह हर बार असफल होगा, इस पर विश्वास करना सही नहीं होगा। कॉर्नियल ट्रांसप्लांट सर्जरी ज्यादातर सफल रहती है। विशेषज्ञों की मानें, तो इसके सफलता दर 90 फीसदी से ज्यादा होती है।

इसे भी पढ़ें: आंखों की रोशनी कम हो रही है तो कराएं कॉर्निया ट्रांसप्‍लांट, पहले से तेज होगी नजर

मिथकः आंख पूरी तरह रिमूव हो जाती है

सच्चाईः कई लोग यह मानते हैं कि कॉर्नियल ट्रांसप्लांट प्रक्रिया के दौरान आंख पूरी तरह चेंज हो जाती है। जबकि, ऐसा नहीं है। विशेषज्ञों की मानें, तो कॉर्नियल ट्रांसप्लांट में आंख के सामने की ओर स्पष्ट, गुंबद के आकार की परत को ट्रांसप्लांट किया जाता है। आंख के बाकी हिस्से जैसे रेटिना, आईरिस, लेंस आदि को छुआ भी नहीं जाता है।

मिथकः कॉर्नियल ट्रांसप्लांट के तुरंत बाद आंखें सही हो जाती हैं

सच्चाईः ध्यान रखें कि कॉर्नियल ट्रांसप्लांट किसी तरह की जादू की छड़ी नहीं है। यह एक सर्जरी है, जिसे रिकवरी में समय लगता है। इसके अलावा, आंखों की नजर में भी धीरे-धीरे ही ही सुधार होता है। कुछ मामलों में रिकवरी में करीब हफ्ता भर लग जाता है, तो वहीं कुछ मरीजों को पूरी तरह ठीक होने में एक महीना भी लग सकता है। यह व्यक्ति की इम्यूनिटी पर निर्भर करता है कि कॉर्नियल ट्रांसप्लांट सर्जरी उस पर कितनी कारगर साबित होती है।

इसे भी पढ़ें: आंखों से जुड़ी समस्याओं को दूर करने में फायदेमंद हैं ये 10 आयुर्वेदिक उपाय, रोशनी भी होगी तेज

मिथकः कॉर्नियल ट्रांसप्लांट सर्जरी में काफी दर्द होता है

सच्चाईः कॉर्नियल ट्रांसप्लांट एक सर्जरीकल प्रक्रिया है। लेकिन, इस ट्रांसप्लांटेशन के दौरान मरीज को दर्द हो, इसकी संभवना कम है। ऐसा इसलिए, क्योंकि डॉक्टर यह सुनिश्चित करते हैं कि कॉर्नियल ट्रांसप्लांट सर्जरी के दौरान मरीज को दिक्कत न हों। हां, सर्जरी के बाद मरीज को असहजता या तकलीफ हो सकती है।

All Image Credit: Freepik

Read Next

टॉन्सिल्स से बचाव के लिए अपनाएं गरारे की यह पारंपरिक तकनीक, जल्द दिखेगा असर

Disclaimer

How we keep this article up to date:

We work with experts and keep a close eye on the latest in health and wellness. Whenever there is a new research or helpful information, we update our articles with accurate and useful advice.

  • Current Version