Dialysis Vs Kidney Transplant: किडनी हमारे शरीर के जरूरी अंगों में से एक है, जो ब्लड को फिल्टर करने और हानिकारक पदार्थों को बाहर निकालने का कार्य करती है। बीते कुछ सालों में किडनी संबंधी रोग तेजी से बढ़े हैं और कई लोगों को यह पता ही नहीं चलता कि उनकी किडनी धीरे-धीरे खराब हो रही है। इसका मुख्य कारण यह है कि किडनी फेलियर के लक्षण तब दिखाई देते हैं जब स्थिति गंभीर हो चुकी होती है। जब किडनी अपनी कार्यक्षमता पूरी तरह से खो देती है, तो शरीर में विषैले तत्व जमा होने लगते हैं, जिससे जीवन को खतरा हो सकता है। ऐसे में मरीजों के मन में यह सवाल उठता है कि इस स्थिति में डायलिसिस करवाना सही रहेगा या किडनी ट्रांसप्लांट ही एकमात्र समाधान है? इस बारे में ज्यादा जानकारी के लिए हमने फरीदाबाद स्थित अमृता हॉस्पिटल के नेफ्रोलॉजी के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. कुणाल राज गांधी (Dr. Kunal Gandhi, Senior Consultant, Nephrology) से बात की-
डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट? किस स्टेज पर कौन सा इलाज बेहतर - Which Is Better Dialysis Or Transplant
डायलिसिस क्या है? - What Is Dialysis
डायलिसिस में ब्लड से हानिकारक तत्वों, अतिरिक्त पानी और नमक को बाहर (What exactly does dialysis do) निकाला जाता है। यह उन मरीजों के लिए आवश्यक होता है जिनकी किडनी सही तरीके से काम नहीं कर रही होती।
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डायलिसिस कब करना पड़ता है? - When Is Dialysis Needed For Kidney
जब किडनी केवल 10-15% ही कार्य कर रही हो और जब शरीर में अत्यधिक टॉक्सिन्स जमा हो जाएं। इसके अलावा अगर मरीज किडनी ट्रांसप्लांट के लिए तैयार नहीं हो या डोनर उपलब्ध न हो तब भी डायलिसिस जरूरी होता है।
डायलिसिस के फायदे और नुकसान
- यह तत्काल प्रभाव से शरीर को विषाक्त पदार्थों से मुक्त करता है।
- यह किडनी फेल होने के बाद भी जीवन को बनाए रखने में मदद करता है।
- डायलिसिस के लिए नियमित रूप से अस्पताल जाना पड़ता है।
- डायलिसिस की प्रक्रिया में समय और एनर्जी ज्यादा लगती है।
- डायलिसिस के कारण कमजोरी होने पर चेहरा काला होने लगता है, साथ ही शरीर में कमजोरी और अन्य समस्याएं हो सकती हैं।
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किडनी ट्रांसप्लांट क्या है? - What Is A Kidney Transplant
किडनी ट्रांसप्लांट एक शल्य चिकित्सा प्रक्रिया यानी सर्जिकल प्रोसीजर है, जिसमें मरीज को किसी स्वस्थ व्यक्ति की किडनी प्रत्यारोपित की जाती है। यह प्रक्रिया तब अपनाई जाती है जब किडनी पूरी तरह से काम करना बंद कर देती है।
किडनी ट्रांसप्लांट की सलाह कब दी जाती है? - In Which Condition Is A Kidney Transplant Required
जब डायलिसिस लंबे समय तक चलने के बावजूद स्वास्थ्य में सुधार नहीं हो रहा हो और मरीज की उम्र और स्वास्थ्य ट्रांसप्लांट के लिए उपयुक्त हो। साथ ही जब परिवार या किसी अन्य व्यक्ति से किडनी डोनेशन संभव हो।
किडनी ट्रांसप्लांट के फायदे और नुकसान
- किडनी ट्रांसप्लांट एक दीर्घकालिक समाधान है।
- मरीज को डायलिसिस से छुटकारा मिल जाता है।
- जीवन की क्वालिटी बेहतर होती है।
- सही डोनर मिलना मुश्किल हो सकता है।
- प्रत्यारोपण के बाद दवाइयां लेनी पड़ती हैं।
- सर्जरी से संबंधित जोखिम होते हैं।
डॉ. कुणाल राज गांधी का कहना है कि यदि मरीज को तुरंत उपचार की जरूरत है और ट्रांसप्लांट संभव नहीं है, तो डायलिसिस सबसे अच्छा विकल्प होता है। यदि मरीज स्वस्थ है और डोनर उपलब्ध है, तो किडनी ट्रांसप्लांट बेहतर होता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि यह अधिक स्थायी समाधान है। किडनी ट्रांसप्लांट के बाद मरीज की लाइफस्टाइल ज्यादा सामान्य हो जाती है, जबकि डायलिसिस के दौरान शरीर पर कई तरह के नकारात्मक प्रभाव हो सकते हैं कुछ प्रतिबंधों का पालन करना पड़ता है।
निष्कर्ष
डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट दोनों ही किडनी फेलियर के इलाज के लिए जरूरी विकल्प हैं। सही उपचार का निर्णय मरीज की स्थिति, उम्र, डोनर की उपलब्धता और अन्य स्वास्थ्य कारकों पर निर्भर करता है। यदि किडनी पूरी तरह से फेल हो चुकी है और ट्रांसप्लांट संभव है, तो यह अधिक फायदेमंद होता है। लेकिन यदि ट्रांसप्लांट संभव नहीं है, तो डायलिसिस से जीवन को बनाए रखा जा सकता है। सही समय पर डॉक्टर से परामर्श लेना और उचित निर्णय लेना सबसे जरूरी होता है।
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