Doomscrolling affects Mental Health: आप जब सुबह उठते हैं, तो सबसे पहले क्या करते हैं? अपने फोन को स्क्रॉल करने लगते हैं न, आप ही नहीं, कई लोग ऐसा करते हैं। अब जब सोशल मीडिया का जमाना है तो हर व्यक्ति अपने फोन की स्क्रीन को स्क्रॉल ही कर रहा है। मीडिया स्क्रोलिंग में कई बार आपकी नजर नेगेटिव न्यूज पर भी जाती है। आप उसमें फंस जाते हैं और उसी में अटके रहते हैं। दरअसल, मोबाइल की स्क्रीन पर स्क्रॉल करते रहना आपकी मेंटल हेल्थ को प्रभावित कर रहा है। आइए जानते हैं कि डूमस्क्रॉलिंग क्या है, इससे आपकी मेंटल हेल्थ पर क्या असर पड़ रहा है, और इससे कैसे बचा जाए? हमने इस बारे में बेंगलुरु के एस्टर व्हाइटफील्ड अस्पताल की मनोचिकित्सक डॉ. प्रीति दुग्गर गुप्ता (Dr. Pretty Duggar Gupta, Consultant – Psychiatrist, Aster Whitefield Hospital, Bengaluru) से विस्तार में बात की।
क्या है डूमस्क्रॉलिंग-What is Doomscrolling?
यह शब्द 'doomscrolling' दो शब्दों 'doom' और 'scrolling' से मिलकर बना है। यहां डूम का मतलब है विनाश और स्क्रॉल यानी स्क्रीन को चलाना। जब आप एक ऐसी आदत अपना लेते हैं जिसमें लोग सोशल मीडिया और वेबपेज पर नेगेटिव और परेशान करने वाली खबरें लगातार देखते रहते हैं। एक खबर से दूसरी खबर, एक पोस्ट से दूसरी पोस्ट को स्क्रॉल करते रहते हैं। लेकिन ऐसा करते क्यों हैं लोग?
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क्यों करते हैं हम डूमस्क्रॉलिंग-Why do we Doomscrolling?
दरअसल, doomscrolling शब्द कोरोना के समय में ज्यादा चर्चा में आया था, लेकिन आज भी ज्यादातर व्यक्ति इस आदत को हावी होते हुए देख रहे हैं। कोरोना के समय में हर व्यक्ति नेगेटिव न्यूज से घिरा रहता था और उसे हर एक अपडेट लेनी होती थी। ऐसे ही आज के समय में कोई क्राइम न्यूज देखता है, तो उसे बार-बार देखना अच्छा लगता है, क्योंकि इंसान का दिमाग पहले से ही किसी खतरे को पहचानने की कोशिश करता है। जब व्यक्ति नेगेटिव न्यूज लगातार देखता है, तब व्यक्ति को लगता है कि वह उस न्यूज को लगातार देखकर खुद को सावधान कर रहा है या अधिक जानकारी ले रहा है। जबकि ऐसा नहीं है, इससे तनाव, डर और बैचेनी बढ़ती है और मानसिक स्वास्थ्य पर असर डालती है।
डूमस्क्रॉलिंग से मानसिक स्वास्थ्य पर असर-Doomscrolling affects Mental Health
जब आप लगातार नेगेटिव न्यज या परेशान करने वाली खबरें पढ़ते हैं, तो इसका सीधा असर आपके दिमाग और शरीर पर पड़ता है। ऐसा करने से दिमाग का एक हिस्सा एमिग्डाला एक्टिव होता है, जो भावनाओं, खासतौर पर डर और चिंता से जुड़ा होता है। ऐसे में व्यक्ति के स्ट्रेस वाला हार्मोन कॉर्टिसोल एक्टिव हो जाता है और आपका मूड, नींद और ध्यान सब खराब हो जाता है। क्योंकि डूमस्क्रॉलिंग आपके डोपामिन सिस्टम को भी एक्टिव कर देती है। जिसमें आप बार-बार नेगेटिव और टेंशन से भरी खबरें पढ़ना पसंद करते हैं। इसकी जब आदत लग जाती है तो आप चिड़चिड़े हो जाते हैं, एक विचार पर टिक नहीं पाते, कभी-कभी डर लगता है और बैचेनी होती है। कुछ मरीज तो यह तक बताते हैं कि देर रात तक स्क्रॉल करने से उन्हें फ्यूचर की चिंता बढ़ जाती है और नींद भी नहीं आती।
- नींद में कमी
- चिड़चिड़ापन
- ध्यान में कमी
- सिरदर्द और थकान
- सामाजिकता में कमी
- आंखों में दर्द
इससे महिलाएं ज्यादा प्रभावित होती हैं-Women are more affected by Doomscrolling
इस आदत का संबंध हमारे दिमाग के लिम्बिक सिस्टम से होता है। यह हमें खतरों से सावधान रहने की चेतावनी देता है। अगर आप नेगेटिव न्यूज देखते हैं, तो आपका दिमाग आपको ऐसी खबरें और पढ़ने के लिए मजबूर करेगा। हालांकि, माना जाता है कि इससे महिलाएं ज्यादा प्रभावित होती हैं।
डूमस्क्रॉलिंग आदत से कैसे छुटकारा पाएं-How to get rid of the Doomscrolling habit?
डूमस्क्रॉलिंग एक ऐसी आदत है, जिस पर आपको ध्यान देने की जरूरत है। इस बात को समझना जरूरी है कि स्क्रॉल सुबह या रात में तो बिल्कुल न करें।
समय सीमा तय करें।
न्यूज देखने के लिए समय निर्धारित करें, सुबह उठते ही फोन को स्क्रॉल न करें और रात को सोने से पहले भी फोन को न चलाएं।
अपनी फीड को ठीक करें।
फीड कैसा आ रहा है आपको फोन पर, यह मायने रखता है। अपनी फीड में नेगेटिव न्यूज न आने दें। जो नेगेटिव है, उन अकाउंट्स और पेज को अनफॉलो कर दें और बार-बार न देखें।
माइंडफुलनेस अपनाएं।
गहरी सांस लें, मेडिटेशन करें और वॉक करें। ये सब करने से आपकी स्क्रॉल करने की आदत धीरे-धीरे कम होगी।
दूसरी आदतें अपनाएं।
जब भी आपका फोन स्क्रॉल करने का मन करे, तो उस जगह कुछ और करने लग जाएं, जैसे किताब पढ़ना, अपना पसंदीदा काम करना, म्यूजिक सुनना आदि।
जानकारी रखें, लेकिन ज्यादा नहीं।
जब भी आपको न्यूज पढ़नी हो या जानकारी प्राप्त करनी हो, तो एक-दो भरोसेमंद वेबसाइट से ही देखें या पढ़ें, लेकिन अन्य वेबसाइट्स पर जाने से बचें और बेवजह परेशान न हों।
निष्कर्ष
आज के समय में डूमस्क्रॉलिंग एक गंभीर मानसिक स्वास्थ्य समस्या बनती जा रही है। इसलिए जरूरी है कि जागरूक रहें। खबरें पढ़ें, लेकिन जानकारी के लिए, क्योंकि अगर आप ज्यादा स्क्रीन पर समय बिताते हैं तो चिड़चिड़ापन, तनाव और डर जैसी परेशानियों से जूझ सकते हैं। अगर आपको डूमस्क्रॉलिंग करने से मूड खराब हो रहा है या गुस्सा आ रहा है, तो किसी एक्सपर्ट की सलाह लें और फोन से कुछ वक्त के लिए दूरी बना लें।
FAQ
क्या मानसिक स्वास्थ्य के लिए doomscrolling खराब है?
हां, doomscrolling करने से मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ता है। यह चिंता, तनाव और डर की ओर ले जाता है।मेंटल हेल्थ कैसे ठीक करें?
मेंटल हेल्थ को ठीक करने के लिए सही रूटीन अपनाएं। सही आहार लें, हाइड्रेट रहें और व्यायाम करें। अपने पसंदीदा काम करें और खुश रहने की कोशिश करें।लगातार स्क्रॉलिंग आपके दिमाग को क्या करती है?
लगातार स्क्रॉलिंग करने से दिमाग में तनाव और चिंता का हार्मोन रिलीज हो जाता है, जिससे बार-बार स्क्रॉल करने का मन करता है, जिससे मूड खराब होता है और आप डर में जीने लग जाते हैं।