
अक्सर पुरुष अपनी थकान, चिड़चिड़ेपन या सेक्स ड्राइव में आई कमी को काम का दबाव, उम्र या तनाव मानकर नजरअंदाज कर देते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसके पीछे एक छोटा-सा हार्मोनल असंतुलन बड़ी भूमिका निभा सकता है? शरीर में मौजूद प्रोलैक्टिन हार्मोन, जिसे आमतौर पर महिलाओं और स्तनपान से जोड़कर देखा जाता है, पुरुषों के स्वास्थ्य के लिए भी उतना ही अहम होता है। जब पुरुषों में यह हार्मोन जरूरत से ज्यादा बढ़ जाता है, तो इसका असर सिर्फ मूड या एनर्जी तक सीमित नहीं रहता, बल्कि यह यौन जीवन, फर्टिलिटी और मानसिक स्वास्थ्य को भी चुपचाप प्रभावित करने लगता है। इस लेख में यशोदा हॉस्पिटल, हैदराबाद के सीनियर कंसल्टेंट जनरल फिजिशियन, डॉ. के. शशि किरण (Dr. K. Seshi Kiran, Senior Consultant General Physician, Yashoda Hospitals, Hyderabad) से जानिए, पुरुषों में प्रोलैक्टिन बढ़ने से क्या समस्याएं होती हैं?
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पुरुषों में प्रोलैक्टिन बढ़ने से क्या समस्याएं होती हैं? - What happens when prolactin levels are high in men
जनरल फिजिशियन, डॉ. के. शशि किरण बताते हैं कि प्रोलैक्टिन एक जरूरी हार्मोन है, जो पिट्यूटरी ग्रंथि (Pituitary Gland) से निकलता है। आमतौर पर इसे महिलाओं से जोड़कर देखा जाता है, लेकिन पुरुषों के शरीर में भी इसकी सीमित मात्रा जरूरी होती है। पुरुषों में प्रोलैक्टिन का मुख्य काम हार्मोनल संतुलन बनाए रखना, इम्यून सिस्टम को सपोर्ट करना और टेस्टोस्टेरोन के प्रभाव को संतुलित रखना होता है। डॉ. के. शशि किरण बताते हैं कि जब इसकी मात्रा सामान्य सीमा से अधिक हो जाती है, तो इसे हाइपरप्रोलैक्टिनेमिया (Hyperprolactinemia) कहा जाता है।
जब पुरुषों में प्रोलैक्टिन का स्तर बढ़ने लगता है, तो इसके शुरुआती लक्षण अक्सर नजरअंदाज हो जाते हैं। लगातार थकान महसूस होना, कमजोरी, चिड़चिड़ापन और मूड स्विंग्स इसके शुरुआती संकेत हो सकते हैं।
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1. यौन स्वास्थ्य पर बढ़े प्रोलैक्टिन का असर
प्रोलैक्टिन का सीधा असर पुरुषों के यौन स्वास्थ्य पर पड़ सकता है। इसके बढ़ने से टेस्टोस्टेरोन हार्मोन का लेवल घटने लगता है, जिससे सेक्स ड्राइव में कमी, इरेक्टाइल डिसफंक्शन और थकान की समस्या हो सकती है। कई मामलों में पुरुषों को यौन इच्छा कम लगने लगती है, लंबे समय तक यह स्थिति बनी रहने पर यौन आत्मविश्वास भी प्रभावित होता है।
2. फर्टिलिटी पर प्रभाव
हाई प्रोलैक्टिन लेवल पुरुषों की फर्टिलिटी को भी प्रभावित कर सकता है। इससे स्पर्म काउंट कम हो सकता है और स्पर्म की क्वालिटी खराब हो सकती है। कुछ मामलों में स्पर्म की गतिशीलता (motility) भी घट जाती है, जिससे गर्भधारण में कठिनाई आती है। यदि कोई कपल लंबे समय से फैमली प्लान बना रहा है और सफलता नहीं मिल रही, तो पुरुष में प्रोलैक्टिन की जांच जरूरी हो जाती है।
3. शारीरिक बदलाव
प्रोलैक्टिन बढ़ने पर पुरुषों में कुछ शारीरिक बदलाव भी देखने को मिल सकते हैं। जैसे स्तनों में सूजन या दर्द, मांसपेशियों की ताकत कम होना और शरीर में फैट बढ़ना। हड्डियों की मजबूती भी प्रभावित हो सकती है, जिससे भविष्य में ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा बढ़ जाता है।
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डॉक्टर की सलाह
प्रोलैक्टिन की जांच एक साधारण ब्लड टेस्ट से की जाती है। अगर लेवल ज्यादा पाया जाता है, तो डॉक्टर MRI स्कैन या अन्य जांच की सलाह दे सकते हैं। इलाज कारण पर निर्भर करता है। कई मामलों में दवाओं से ही प्रोलैक्टिन को कंट्रोल किया जा सकता है। लाइफस्टाइल में सुधार, तनाव कम करना और नींद पूरी लेना भी इलाज का अहम हिस्सा है।
निष्कर्ष
पुरुषों में बढ़ा हुआ प्रोलैक्टिन लेवल केवल हार्मोनल समस्या नहीं, बल्कि यौन स्वास्थ्य, फर्टिलिटी और मानसिक संतुलन से जुड़ा गंभीर संकेत हो सकता है। इसके लक्षण धीरे-धीरे सामने आते हैं, इसलिए समय रहते पहचान और इलाज बेहद जरूरी है। यदि लंबे समय से कमजोरी, यौन समस्याएं या मूड से जुड़ी परेशानी महसूस हो रही हो, तो बिना झिझक हार्मोन जांच करानी चाहिए। सही समय पर इलाज से प्रोलैक्टिन को कंट्रोल किया जा सकता है और पुरुष सामान्य, हेल्दी जीवन जी सकते हैं।
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FAQ
प्रोलैक्टिन हार्मोन क्या होता है?
प्रोलैक्टिन एक हार्मोन है जो पिट्यूटरी ग्रंथि से निकलता है। यह महिलाओं में दूध बनने में मदद करता है, लेकिन पुरुषों में भी हार्मोनल संतुलन और फर्टिलिटी से जुड़ा होता है।प्रोलैक्टिन टेस्ट कैसे होता है?
प्रोलैक्टिन की जांच एक साधारण ब्लड टेस्ट से होती है। आमतौर पर यह टेस्ट सुबह के समय करवाने की सलाह दी जाती है ताकि सही रिजल्ट मिल सके।क्या प्रोलैक्टिन लेवल को ठीक किया जा सकता है?
ज्यादातर मामलों में दवाओं और लाइफस्टाइल में बदलाव से प्रोलैक्टिन को कंट्रोल किया जा सकता है। गंभीर मामलों में डॉक्टर अन्य इलाज की सलाह दे सकते हैं।
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Dec 31, 2025 13:42 IST
Published By : Akanksha Tiwari
