Hormones Responsible for Women Mood Swings: मन का छोटी-छोटी बात पर बदलना, अचानक से मन की उदासी, गुस्सा आना, चिड़चिड़ापन और घबराहट जैसी चीजें मूड स्विंग्स कहलाते हैं। पुरुषों की तुलना में मूड स्विंग्स की परेशानी महिलाओं में ज्यादा देखी जाती है। पीरियड्स, प्रेग्नेंसी और ब्रेस्टफीडिंग जैसे जीवन के अहम पड़ाव पर महिलाओं को लंबे समय तक मूड स्विंग्स की परेशानी से जूझना पड़ता है। आमतौर पर महिलाएं मूड स्विंग्स को आसान बात समझती हैं, लेकिन इसके पीछे कई हार्मोनल बदलावों की अहम भूमिका होती है।
एलांटिस हेल्थकेयर दिल्ली के मैनेजिंग डायरेक्टर, इनफर्टिलिटी स्पेशलिस्ट और स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. मनन गुप्ता (Dr. Mannan Gupta, Obstetrician, Gynecologist and Infertility Specialist, New delhi) के अनुसार, पीरियड्स से पहले महिलाओं के शरीर में कई प्रकार के हार्मोनल बदलाव होते हैं। यह बदलाव लगातार होते हैं, तो मूड स्विंग की परेशानी होना आम बात है।
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महिलाओं के मूड स्विंग्स के पीछे कौन से हार्मोन जिम्मेदार हैं- Which hormones are responsible for mood swings in women
डॉ. मनन गुप्ता का कहना है कि महिलाओं के मूड स्विंग्स के पीछे मुख्य रूप से एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन जिम्मेदार होते हैं।
1. मूड स्विंग में एस्ट्रोजन की भूमिका- Role of Estrogen in Mood Swings
एस्ट्रोजन महिलाओं का प्रमुख सेक्स हार्मोन है। एस्ट्रोजन सिर्फ प्रजनन प्रणाली ही नहीं, बल्कि दिमाग में सेरोटोनिन जैसे “फील गुड” रसायनों के बदलावों में भी अहम भूमिका निभाता है। स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ के अनुसार, जब शरीर में एस्ट्रोजन का स्तर कम होता है, तो सेरोटोनिन भी गिर जाता है, जिससे मानसिक अवसाद और चिड़चिड़ापन बढ़ने की समस्या होती है। हर महिला को पीरियड्स सर्कल से से पहले एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन दोनों में गिरावट आती है। यही कारण है पीरियड्स से पहले मूड स्विंग की परेशानी महिलाओं को होती है। प्रेगनेंसी के दौरान एस्ट्रोजन का स्तर काफी बढ़ जाता है, जिसके कारण उन्हें मानसिक तनाव का सामना करना पड़ता है।
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2. मूड स्विंग में प्रोजेस्टेरोन - Role of Progesterone in Mood Swings
प्रोजेस्टेरोन महिलाओं के पीरियड्स सर्कल को संतुलित करने और गर्भधारण के ओवेलुशेन पीरियड को कंट्रोल करता है। प्रोजेस्टेरोन मस्तिष्क में GABA (Gamma Aminobutyric Acid) नामक न्यूरोट्रांसमीटर को एक्टिव करने में मदद करता है। खानपान, जीवनशैली और अन्य कारणों से जब महिलाओं के शरीर में प्रोजेस्टेरोन हार्मोन गिरता है, तो इसकी वजह से मूड स्विंग की परेशानी होती है। प्रेग्नेंसी में प्रोजेस्टेरोन का स्तर काफी बढ़ जाता है। यही कारण है कि प्रेग्नेंसी में महिलाओं को मानसिक तनाव की समस्या देखी जाती है।
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महिलाएं हार्मोन को संतुलित करने के लिए क्या करें- What should women do to balance their hormones
- डॉ. मनन गुप्ता के अनुसार, महिलाओं के हार्मोन असंतुलित होने के पीछे मुख्य रूप से अनियमित खानपान और जीवनशैली जिम्मेदार हैं। इन्हें संतुलित करने लिए रोजमर्रा की लाइफस्टाइल में कुछ बदलाव करने चाहिए। आइए जानते हैं इसके बारे में।
- प्रतिदिन 30 मिनट योग, वॉक या हल्की कार्डियो जैसी एक्सरसाइज करें। इस तरह की एक्टिविटी महिलाओं के शरीर के हार्मोन को संतुलित करने में मदद करती है।
- खाने में ओमेगा-3 फैटी एसिड, मैग्नीशियम और जिंक युक्त खाद्य पदार्थों को शामिल करें। यह हार्मोन संतुलित रखने में मददगार है।
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मूड स्विंग्स की परेशानी महिलाओं में बहुत ही आम है। लेकिन यह समस्या बार-बार हो रही है, तो डॉक्टर की सलाह पर हार्मोन टेस्ट जरूर करवाएं। सही टेस्टिंग और इलाज के जरिए हार्मोन को संतुलित किया जा सकता है।