What Hormones Affect Women's Health: मारी हार्मोनल हेल्थ भी फिजिकल हेल्थ जितनी जरूरी होती है। इसलिए हार्मेन्स में होने वाले बदलाव ओवरऑल हेल्थ को प्रभावित करते हैं। हार्मोन्स का फिजिकल और मेंटल हेल्थ दोनों से सीधा कनेक्शन होता है। इसलिए फिजिकल और मेंटल हेल्थ को नुकसान होने पर हार्मोन्स भी इंबैलेंस होना शुरू हो जाते हैं। उदाहरण के लिए अगर आप ज्यादा स्ट्रेस लेते है, तो इससे कोर्टिसोल हार्मोन इंबैलेंस हो सकता है। अगर आप कार्बोहाइड्रेट ज्यादा खाते हैं, तो इससे आपको डायबिटीज का खतरा हो सकता है। ये हार्मोन्स महिलाओं से जुड़ी समस्याओं का कारण भी बन सकते हैं। ये बदलाव पीरियड्स शुरू होने से लेकर मेनोपॉज तक लगातार चलते हैं। जिसका असर फिजिकल और मेंटल हेल्थ दोनों में होता है। पीरियड्स साइकिल से लेकर फर्टिलिटी, मूड, मेटाबॉलिज्म और बोन हेल्थ तक हार्मोन्स महिलाओं की सेहत पर असर डालते हैं। हार्मोन्स में आने वाले बदलाव महिलाओं की सेहत को कैसे प्रभावित करते हैं। आइए जानते हैं इस सवाल का जवाब गुरुग्राम स्थित सीके बिड़ला अस्पताल की स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. आस्था दयाल से।
हार्मोन्स इंबैलेंस होने से रिप्रोडक्टिव हेल्थ प्रभावित होती है
महिलाओं में एस्ट्रोजन, प्रोजेस्टेरोन और थायराइड हार्मोन्स इंबैलेंंस होने से रिप्रोडक्टिव हेल्थ से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं। इन हार्मोन्स में बदलाव होने से पीसीओएस, पीसीओडी, इर्रेगुलर पीरियड्स, वजन में बदलाव और मूड डिसऑर्डर जैसी समस्याओं का खतरा रहता है। इसके कारण भविष्य में रिप्रोडक्टिव हेल्थ से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं।
हार्ट और बोन डिजीज का खतरा बढ़ जाता है
महिलाओं के शरीर में प्यूबर्टी, प्रेग्नेंसी और मेनोपॉज के दौरान कई बदलाव आते हैं। ऐसे में अगर कोई हार्मोन इंबैलेंस हो जाता है, तो इससे कई समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है। मेनोपॉज के दौरान एस्ट्रोजन हार्मोन इंबैलेंस होने की संभावना रहती है। ऐसे में महिला में हड्डियों और दिल से जुड़ी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। वहीं, ऐसे में थायराइड हार्मोन इंबैलेंस होने से थकावट, डिप्रेशन और वजन बढ़ने जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
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महिलाओं में हार्मोनल इंबैलेंस को कैसे कंट्रोल करें? How To Prevent Hormonal Imbalance In Women
एक्सपर्ट के मुताबिक डाइट और लाइफस्टाइल में कुछ बदलाव करके हार्मोनल इंबैलेंस रोके जा सकते हैं-
- स्ट्रेस मैनेज करने पर काम करें। क्योंकि इससे कोर्टिसोल हार्मोन बैलेंस रहेगा और ओवरऑल हेल्थ को फायदा होगा।
- हमेशा बैलेंस्ड डाइट लें। डेली डाइट में प्रोटीन, कार्ब्स, हेल्दी फैट्स और कई विटामिन्स शामिल करें। इससे बॉडी को सभी न्यूट्रिएंट्स मिलेंगे और हार्मोनल इंबैलेंस का खतरा कम होगा।
- वेट मेंटेन करके रखें। क्योंकि वेट बढ़ने या ज्यादा कम होने से भी हार्मोनल इंबैलेंस का खतरा रहता है। इसके कारण रिप्रोडक्टिव हेल्थ से जुड़ी समस्याओं का खतरा बढ़ सकता है।
- अपने लाइफस्टाइल में एक्सरसाइज और योग जरूर शामिल करें। इससे हार्मोन्स बैलेंस रखेंगे और बीमारियों का खतरा भी कम होगा।
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लेख में हमने जाना हार्मोन्स में बदलाव महिलाओं की सेहत को किस तरह प्रभावित करते हैं। हार्मोन्स को बैलेंस रखने के लिए डाइट और लाइफस्टाइल को भी हेल्दी रखें। लेख में दी गई जानकारी पसंद आई हो, तो इसे शेयर करना न भूलें।