What Challenges Elderly People Face With Mental Illness In Hindi: आपने देखा होगा कि इन दिनों हर उम्र वर्ग किसी न किसी तरह की मानसिक परेशानी से गुजर रहा है। चाहे युवा वर्ग की बात करें या छोटे बच्चों की। कोई अपनी फानेंशियल स्थिति से परेशान है, तो कोई घर-परिवार को सही तरह से मैनेज नहीं कर पा रहा है, इसलिए परेशान है। हाल के सालों में बुजुर्गों में भी अकेलापन बढ़ा है। डब्लूएचओ की मानें, तो बुजुर्गों में मेंटल हेल्थ इश्यूज होने के पीछे कई कारण जिम्मेदार हैं, जैसे खराब स्वास्थ्य, घर में इमोशनल सपोर्ट न मिलना और सोशल एन्वायरमेंट का उनके अनुकूल न होना। ऐसे में बुजुर्गों में स्ट्रेस, एंग्जाइटी और डिप्रेशन बढ़ रहा है। यहां तक कि बुजुर्गों में डिमेंशिया और अल्जाइमर जैसी मानसिक समस्याएं भी देखी जा रही है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि बुजुर्गों को मानसिक बीमारी होने पर किस तरह के चैलेंजेस का सामना करना पड़ता है? वरिष्ठ मनोवैज्ञानिक डॉ. अरविंद ओत्ता से जानते हैं इस लेख में-
मानसिक बीमारी होने पर बुजुर्गों को किस तरह की परेशानियां होती हैं?- What Challenges Elderly People Face With Mental Illness In Hindi
नींद न आना
जब बुजुर्गों को किसी तरह की मेंटल इनलेस होती है, तो उन्हें सबसे ज्यादा अनिद्रा की समस्या होने लगती है। ध्यान रखें कि नींद न आना किसी के लिए भी सही नहीं है। अच्छी नींद न लेने से स्वास्थ्य से कई तरह की समस्या हो सकती है, जैसे हार्ट डिजीज होना, इम्यूनिटी का कमजोर होना आदि। वहीं, बुजुर्गों की बात करें, तो उनके लिए पर्याप्त नींद लेना बहुत जरूरी है। ऐसा न करने पर उनका स्वास्थ्य बिगड़ सकता है। वे बीमार हो सकते हैं।
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अकेलापन महसूस करना
बढ़ती उम्र में अक्सर लोगों को भूलने की बीमारी हो जाती है। ऐसा डिमेंशिया या अल्जाइमर जैसी मेंटल डिस्ऑर्डर के कारण होता है। अगर कोई बुजुर्ग इस तरह की मेंटल इलनेस से गुजर रहा है, तो वे अक्सर तनाव से घिरे रहते हैं। यह स्थिति उनमें अकेलापन भर देती है। वे अपने मन की बातें किसी से साझा करने से बचते हैं। विशेषज्ञों की मानें, तो जब कोई अपनी मन की बातें शेयर नहीं करता है, तो उनकी तबीयत बिगड़ सकती है।
थकान से भर जाना
किसी भी तरह की मेंटल इलनेस व्यक्ति को थकान से भर देती है। दरअसल, जब कोई तनाव या डिप्रेशन जैसी मेंटल इलनेस से गुजरता है, तो वे मानसिक रूप से पर्याप्त रेस्ट नहीं कर पाते हैं। ऐसे में उन्हें किसी भी तरह के काम करने का मन नहीं करता है। वे ज्यादातर समय लो एनर्जी फील करते हैं। ऊर्जा की कमी होने पर भी ऐसा देखने को मिलता है कि व्यक्ति बेवजह थकान महसूस करता है।
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याद्दाश्त पर असर पड़ना
जैसा कि कुछ देर पहले ही जिक्र किया है कि डिमेंशिया या अल्जाइमर जैसी मेंटल इलनेस लोगों की याद्दाश्त को प्रभावित करते हैं। इसके अलावा, अगर बुजुर्ग व्यक्ति अकेलापन, तनाव या अवसाद से गुजर रहा है, तो इसका भी उनकी याद्दाश्त पर बुरा असर पड़ता है। यह कंडीशन बुजुर्ग लेगों को परेशान कर सकती है। ध्यान रखें कि शुरुआती दिनों में चीजों को याद न रख पाना ज्यादा परेशान नहीं करता है। लेकिन, धीरे-धीरे यह आदत में बदल जाती है और फिर रोजमर्रा की जिंदगी पर नेगेटिव असर डालती है।
खानपान में बदलाव
मेंटल इलनेस के कारण बुजुर्ग लोगों में खानपान से जुड़ी समस्या हो सकती है। कहने की जरूरत नहीं है कि जब कोई बहुत परेशान होता है, तो उन्हें कुछ खाने-पीने का मन नहीं करता है। जबकि, बुजुर्गों को हमेशा हेल्दी डाइट लेनी चाहिए। ऐसा इसलिए भी है, क्योंकि अधिक उम्र में लोगों की इम्यूनिटी कमजोर हो जाती है, हड्डियों पर नकारात्मक असर पड़ने लगता है। ऐसे में अगर हेल्दी डाइट पैटर्न को फॉलो न किया जाए, तो बुजुर्ग व्यक्ति जल्दी-जल्दी बीमार पड़ सकता है। यह स्थिति उनकी मेंटल हेल्थ को और भी खराब कर सकती है।