Elderly Mental Health: अक्सर देखा जाता है कि बढ़ती उम्र के साथ बुजुर्गों के व्यवहार में बदलाव आ जाता है। उनके अंदर चिड़चिड़ापन बढ़ना, मूड स्विंग और बच्चों तक पर गुस्सा करने की आदत बढ़ने लगती है। लेकिन इस स्थिति को सामान्य समझकर नजरअंदाज कर देना बहुत गंभीर होता है। बुजुर्गों में बीते कुछ सालों से मानसिक समस्याएं बढ़ रही हैं। ऐसा कहा जाता है कि कोविड-19 की वजह से भी मानसिक समस्याओं के मरीजों में वृद्धि हुई है। मानसिक बीमारियों के प्रभाव और इसके प्रति जागरूकता के महत्व को समझते हुए ओनलीमायहेल्थ ने एक खास सीरीज शुरू की है, जिसका नाम है "Mental Health A-Z"। इस खास सीरीज में देश के प्रसिद्ध साइकैट्रिस्ट और साइकोथेरेपिस्ट डॉ निमेष देसाई (Dr. Nimesh G. Desai, Senior Consultant Psychiatrist & Psychotherapist) बता रहे हैं बुजुर्गों में मानसिक समस्याएं और उनकी देखभाल से जुड़ी जानकारी के बारे में। आइये इस लेख में NIMHANS, AIIMS जैसे देश के बड़े अस्पतालों में अपनी सेवाएं दे चुके और Institute of Human Behavior and Allied Sciences, Delhi के डॉयरेक्टर भी रहे डॉ. निमेष देसाई से जानते हैं, बुजुर्गों में मानसिक समस्याओं की शुरुआत कैसे होती है और इस स्थिति में किन चीजों का ध्यान रखना चाहिए?
बुजुर्गों में मानसिक समस्याएं- Elderly Mental Health in Hindi
आमतौर पर 60 साल की उम्र के बाद व्यक्ति के शारीरिक और मानसिक स्थिति में बड़ा बदलाव देखने को मिलता है। इस उम्र में मानसिक प्रकृति में बदलाव अक्सर लोगों के समझ में नहीं आता है और गलतफहमी का शिकार हो जाते हैं। डॉ देसाई कहते हैं कि बुजुर्गों में मानसिक समस्याओं को समझने के लिए हमें उनकी सिचुएशन और मानस को बारीकी से समझने की जरूरत है। इस उम्र में पर्सनालिटी ट्रेंड्स शायद और रिजिड हो जाते हैं, विचार कुछ सेटल हो जाते हैं, नजरिया बादल जाता है दुनिया को देखने का और जीवन को समझने का। बुजुर्गों में इन बदलावों को समझना बहुत जरूरी है, क्योंकि इस स्थिति में उन्हें सही देखभाल न मिलने से परेशानियां बढ़ जाती हैं।
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बुजुर्गों में मानसिक समस्याओं के लिए सामाजिक और बायोलॉजिकल दोनों ही कारण जिम्मेदार होते हैं। पुराने समय में 60 साल से अधिक उम्र के व्यक्ति में डिप्रेशन या मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े लक्षणों को देखने पर लोग कहते थे कि वह सठिया गया है या पागल हो गया है। लेकिन धीरे-धीरे समाज में जागरूकता बढ़ी, तो इन स्थितियों को देखने और समझने का नजरिया भी बदला है। बुजुर्गों में डिक्रीजिंग एबिलिट डिसेबिलिटी डिप्रेशन को बढ़ावा देने का काम करता है और इसके अलावा डिमेंशिया जैसी स्थितियों का खतरा भी बढ़ जाता है।
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बुजुर्गों में मानसिक समस्याओं के लक्षण- Mental Health Issue Symptoms in Elderly People in Hindi
बुजुर्गों में मानसिक समस्याओं से जुड़े लक्षणों को सही समय पर पहचान लेने से काम आसान हो जाता है। बुजुर्गों में मानसिक समस्याओं की शुरुआत होने पर ये लक्षण मुख्य रूप से दिखाई देते हैं-
- शारीरिक एनर्जी और भूख में कमी
- चीजों को भूलने की आदत
- मनोदशा में बदलाव
- सोने में दिक्कत या नींद की कमी
- गुस्सा, चिड़चिड़ापन और आक्रामकता
- ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई और बेचैन रहना
- आत्मघाती विचार
बुजुर्गों का ध्यान कैसे रखें?- How To Provide Elderly Mental Health Care?
बुजुर्गों में मानसिक समस्याओं के लक्षण पहचानने के बाद आपको सबसे पहले विशेषज्ञ डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। डॉक्टर की सलाह के अलावा आपका पॉजिटिव रहना बहुत जरूरी है। साथ की उम्र के बाद बहुत सारे व्यक्तियों का मिनिमम इंटेलेकचुअल मेमोरी कम होने लगता है। ऐसे में परिवार की सही भागीदारी, पॉजिटिव सोच और सही समय पर इलाज मिलना बहुत जरूरी होता है। बुजुर्गों की मदद करने के लिए मनोवैज्ञानिक सहायता लेनी चाहिए और उन्हें खुश रखने के लिए उनके साथ समय जरूर बिताना चाहिए।
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डिप्रेशन, डिमेंशिया जैसी मानसिक समस्याओं में इलाज के साथ-साथ सही देखभाल मिलने से मरीज की स्थिति बिगड़ने का खतरा कम रहता है। इस स्थिति में परिवार के लोगों की सहायता और सही समय पर डॉक्टर से परामर्श करने के बाद इलाज लेना फायदेमंद होता है।
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