ज्यादातर लोग जब स्वास्थ्य की बात करते हैं, तो उनकी चर्चा सिर्फ शारीरिक स्वास्थ्य तक ही सीमित रहती है, जबकि मानसिक स्वास्थ्य भी अपने आप में बहुत जरूरी विषय है। मानसिक स्वास्थ्य यानी मेंटल हेल्थ (Mental Health) के बारे में आम लोगों के बीच अभी भी बहुत कम जागरूकता है, जिसके कारण इससे जुड़े बहुत सारे मिथक समाज में व्याप्त हैं। कोई मानसिक समस्याओं को पागलपन मानता है, तो कोई इसे समस्या मानता ही नहीं है। यही कारण है कि मानसिक स्वास्थ्य के महत्व को समझते हुए इसके प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए ओनलीमायहेल्थ ने एक खास सीरीज शुरू की है, जिसका नाम है "Mental Health A-Z"। इस सीरीज में हमारे साथ जुड़े हैं देश के प्रसिद्ध साइकैट्रिस्ट और साइकोथेरेपिस्ट डॉ निमेष देसाई (Dr. Nimesh G. Desai, Senior Consultant Psychiatrist & Psychotherapist)। डॉ देसाई NIMHANS, AIIMS जैसे देश के बड़े अस्पतालों में अपनी सेवाएं दे चुके हैं और Institute of Human Behavior and Allied Sciences, Delhi के डॉयरेक्टर भी रहे हैं। इसके अलावा वे दूरदर्शन पर प्रसारित मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े कई टीवी सीरीज में बतौर सब्जेट एक्सपर्ट और एंकर भी काम कर चुके हैं। ओनलीमायहेल्थ की इस Mental Health A-Z सीरीज के जरिए डॉ देसाई विभिन्न प्रकार की मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के बारे में विस्तार से बताएंगे। इस सीरीज से जुड़े वीडियोज आप ओनलीमायहेल्थ के यूट्यूब चैनल पर देख सकते हैं और आर्टिकल्स वेबसाइट पर पढ़ सकते हैं। आज इस सीरीज के पहले एपिसोड में डॉ निमेष देसाई बात कर रहे हैं एंग्जायटी (Anxiety) के बारे में।
एंग्जायटी क्या है? | What is Anxiety
एंग्जायटी के बारे में बात करते हुए डॉ देसाई बताते हैं कि तनाव, चिंता, टेंशन एक बहुत साधारण अनुभव है, जिससे सभी गुजरते हैं। इसे ही एंग्जायटी (Anxiety) कहा जाता है। एंग्जायटी के लक्षण शारीरिक भी हो सकते हैं और मानसिक भी। कई बार बहुत छोटी सी बात भी ओवरथिंकिंग की वजह से एंग्जायटी का कारण बन जाती है, जो हम लोग सामान्यतः रोजमर्रा की जिंदगी में अनुभव करते हैं ये थोड़े समय के लिए होती है। वहीं कुछ व्यक्तियों में एंग्जायटी उनकी पर्सनैलिटी का हिस्सा बन जाती है, यानी वो हर समय परेशान रहते हैं। इस दूसरी तरह की समस्या को क्रॉनिक एंग्जायटी (Chronic Anxiety) कहते हैं।
टॉप स्टोरीज़
एंग्जायटी के लक्षण | Symptoms of Anxiety in Hindi
- धड़कन का बढ़ना
- मुंह सूखने लगना
- हाथों में पसीना आना
- बोलने में परेशानी होना
- तनाव में रहना
- बेचैनी महसूस करना
एंग्जायटी का इलाज कैसे किया जा सकता है? | What is Treatment of Anxiety in Hindi
डॉ देसाई के अनुसार 21वीं सदी में तनाव हर किसी के जीवन का हिस्सा बन चुका है। इसलिए हर तरह की एंग्जायटी को डॉक्टरी इलाज की जरूरत नहीं होती है। कुछ मामलों में जिनमें समस्या गंभीर होती है, उनमें एक्सपर्ट की मदद ली जा सकती है। आमतौर पर इस तरह की समस्या के लिए मनोवैज्ञानिक, मनोचिकित्सक, मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ के पास जाना चाहिए। ये एक्सपर्ट्स आपकी तकलीफ और इसके ग्रेड को समझकर आपका इलाज करते हैं। इसके लिए बहुत सारी रिलैक्शेसन टेक्नीक की मदद ली जाती है। मगर भारतीय परंपरा में प्रचलित योग और ध्यान भी इसमें काफी मददगार साबित होते हैं।
एंग्जायटी होने पर न करें ये गलतियां | Do not Do These Mistakes If You Have Anxiety
डॉ देसाई बताते हैं कि बहुत सारे लोग एंग्जायटी होने पर बिना डॉक्टर की सलाह के एंग्जायटी की दवा या नींद की गोलियां लेने लगते हैं। इसके अलावा कई लोग चिकित्सक को दिखाते हैं और उसने अगर किसी दवा का प्रिस्क्रिप्शन 2 महीने के लिए लिखा है, तो भी लोग इसे 5-6 महीने तक खाते रहते हैं। ये ऐसी गलतियां हैं, जिनसे इन दवाओं की लत लग जाती है और सेहत पर बुरा असर पड़ सकता है। इसके अलावा इन दवाओं का आपके रोजमर्रा के काम पर भी असर पड़ सकता है। इन दवाओं को लंबे समय तक इस्तेमाल करने से इम्यून सिस्टम भी कमजोर हो जाता है।
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एंग्जायटी होने पर इसे कैसे दूर करें? | How do I stop my anxiety
एंग्जायटी को गहरी सांस लेने की प्रक्रिया (Deep Breathing) के जरिए बहुत आसानी से कम किया जा सकता है। इस सरल से तरीक से आपको बहुत जल्दी एंग्जायटी को दूर करने में मदद मिलेगी।
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